भारत के दो महानायक का जन्मदिन आज, पढ़ें बहादुर और बापू के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें
Gandhi Shastri Jayanti 2025: आज भारत के दो महानतम नायकों का जन्मदिन है। पहले हैं महात्मा गांधी, जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है, और दूसरे हैं भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री। तो आइए उनके इस खास दिन पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें जानें। शास्त्री जी के जीवन की झलकियां आज भी लाखों भारतीयों को प्रेरित करती हैं। वहीं 2 अक्टूबर, 1869 को जन्मे महात्मा गांधी "सत्याग्रह" और "अहिंसा" को जीवन का आधार मानते थे। आज गांधी जयंती न केवल एक राष्ट्रीय अवकाश है, बल्कि उनके आदर्शों को अपनाने और उन पर अमल करने का भी अवसर है।
Gandhi Jayanti 2025: बापू के जीवन के कुछ अनसुनी बातें

बता दें कि स्वच्छता, सादगी, आत्मनिर्भरता और देशभक्ति गांधी जी के जीवन के प्रमुख संदेश थे। गांधीजी के विचारों ने न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में लोगों को प्रेरित किया। दूसरी तरफ शास्त्री जी की बात करें तो वो सादगी, त्याग और दृढ़ संकल्प की मिसाल कायम करने वाले एक प्रेरणादायक हैं। शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय (अब पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन) में एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। चार वर्ष की आयु में उन्होंने मुगलसराय के ईस्ट सेंट्रल रेलवे इंटर कॉलेज में दाखिला लिया, जहां मौलवी बुद्धन मियां उनके पहले गुरु बने।
Lal Bahadur Shastri Jayanti: शास्त्री जी का बचपन
बनारस के हरिश्चंद्र हाई स्कूल में शिक्षक निष्कामेश्वर प्रसाद मिश्र के प्रभाव में वे स्वतंत्रता संग्राम की ओर आकर्षित हुए। महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन (1921) ने उनके किशोर मन को झकझोर दिया। उन्होंने काशी विद्यापीठ में भी दाखिला लिया, जो ब्रिटिश शासन के विरुद्ध स्थापित राष्ट्रीय संस्था थी। यहां उन्होंने दर्शनशास्त्र और नीतिशास्त्र में प्रथम श्रेणी से स्नातक किया और 'शास्त्री' उपाधि प्राप्त की।
Lal Bahadur Shastri's contribution to India's Independence: भारत की स्वतंत्रता में शास्त्री जी का योगदान
स्वतंत्रता संग्राम में लाल बहादुर शास्त्री की भूमिका अडिग रही। 1921 से ही वे कांग्रेस से जुड़े और गांधीजी के नमक सत्याग्रह (1930) में सक्रिय भागीदारी की। ब्रिटिश जेलों में कुल नौ वर्ष बिताए, जहां उन्होंने पश्चिमी दार्शनिकों, क्रांतिकारियों और समाज सुधारकों की किताबें पढ़कर अपने विचारों को समृद्ध किया। जेल से बाहर आकर उन्होंने कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी देशभक्ति का प्रमाण यह था कि वे कभी पद या सत्ता के भूखे न रहे, बल्कि जनसेवा को अपना धर्म मानते थे।
Shastri's Political Journey: शास्त्री जी का राजनीतिक सफर
1947 में भारत की आजादी के बाद लाल बहादुर शास्त्री का राजनीतिक सफर तेजी से बढ़ा। वे पहले उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव बने, फिर परिवहन एवं वित्त मंत्री। 1952 में नेहरू कैबिनेट में रेल मंत्री के रूप में उन्होंने भारतीय रेलवे को नई दिशा दी। लेकिन, 1956 के ट्रेन हादसे में 146 यात्रियों की मौत के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया, जो राजनीतिक ईमानदारी की अनुपम मिसाल है। बाद में गृह मंत्री (1961-63) और वाणिज्य मंत्री के रूप में उन्होंने प्रशासनिक सुधारों को मजबूत किया।
Anti-Hindi Agitation of 1965: 1965 का एंटी-हिंदी आंदोलन

उनके कार्यकाल में 1965 का मद्रास एंटी-हिंदी आंदोलन भी एक बड़ी चुनौती थी। हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने के प्रयासों का विरोध दक्षिण भारत में हुआ, लेकिन शास्त्री जी ने संयम से स्थिति संभाली और भाषाई सद्भाव पर जोर दिया। उनकी सादगी कथाओं से भरी है। प्रधानमंत्री रहते वे साइकिल से बाजार जाते, धोती पहनते और सादा जीवन जीते थे। एक बार उन्होंने अपनी सारी संपत्ति दान कर दी, जिसमें मात्र कुछ किताबें और कपड़े थे।
Gandhi Shastri Jayanti 2025: : शास्त्री जी भारत के प्रधानमंत्री कब बने?
9 जून 1964 को जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने। उनका कार्यकाल मात्र 19 माह का था, लेकिन चुनौतियों से भरा रहा। 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध छिड़ गया। सीमाओं पर सैनिकों की वीरता और खाद्य संकट के बीच शास्त्री जी ने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया, जो आज भी प्रासंगिक है।
इस नारे ने सेना का मनोबल बढ़ाया और किसानों को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी। युद्ध के दौरान उन्होंने गेहूं उत्पादन बढ़ाने के लिए हरित क्रांति की नींव रखी, जबकि दूध उत्पादन को भी प्रोत्साहन दिया। उनका जीवन छोटे-छोटे कार्यों में भी नैतिकता और पारदर्शिता का प्रतीक था। 11 जनवरी 1966 में ताशकंद समझौते के बाद उनकी रहस्यमयी मृत्यु ने देश को स्तब्ध कर दिया।
Gandhi's life Stories : गांधी के जीवन की कहानियां
2 अक्टूबर भारत के लिए एक विशेष दिन है। इसी दिन महात्मा गांधी का जन्म हुआ था और उन्होंने भारत की आज़ादी में अहम भूमिका निभाई थी। इसे गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है और इसे अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी जाना जाता है। गांधीजी ने अपना जीवन भेदभाव मिटाने और देश को आज़ाद कराने के लिए समर्पित कर दिया। उनके कुछ प्रेरक नारे और शब्द आज भी देशभक्ति की प्रेरणा देते हैं। ये भी पढ़ें: गृह मंत्री अमित शाह का हरियाणा दौरा, सुरक्षा के कड़े इंतजाम