For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

टैक्स लगाए बिना अर्थव्यवस्था की छलांग

संसद के बजट सत्र में लोकसभा ने विपक्ष के सवालों के बावजूद वित्त विधेयक को पारित कर दिया। वित्त विधेयक पर हुई चर्चा के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो जवाब दिया, उस पर ध्यान देना भी जरूरी है।

03:08 AM Mar 27, 2022 IST | Aditya Chopra

संसद के बजट सत्र में लोकसभा ने विपक्ष के सवालों के बावजूद वित्त विधेयक को पारित कर दिया। वित्त विधेयक पर हुई चर्चा के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो जवाब दिया, उस पर ध्यान देना भी जरूरी है।

टैक्स लगाए बिना अर्थव्यवस्था की छलांग
संसद के बजट सत्र में लोकसभा ने विपक्ष के सवालों के बावजूद वित्त विधेयक को पारित कर दिया। वित्त विधेयक पर हुई चर्चा के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो जवाब दिया, उस पर ध्यान देना भी जरूरी है। वित्त मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान रूस, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन आदि 32 देशों को टैक्स बढ़ाने पड़े। इन सभी देशों ने आयकर, एक्साइज ड्यूटी, हैल्थ संबंधी टैक्स बढ़ाए लेकिन मोदी सरकार ने न पिछले वर्ष कोई टैक्स बढ़ाया और न ही इस वर्ष टैक्स में कोई वृद्धि की। कोरोना काल में सरकार ने हर क्षेत्र को भारी-भरकम पैकेज दिए। कार्पोरेट टैक्स में कटौती से अर्थव्यवस्था, सरकार और कम्पनियों को मदद मिली। चालू वित्त वर्ष में अब तक 7.3 लाख करोड़ का कार्पोरेट कर संग्रह हुआ है। करदाताओं का आधार कुछ वर्ष पहले 5 करोड़ था जो अब बढ़कर 9.1 करोड़ हो गया है। इस बीच सरकार ने क्रिप्टो करंसी पर टैक्स लगाने के नियमों में और सख्ती कर दी है और लोकसभा ने क्रिप्टो टैक्स को लेकर संशोधन को मंजूरी दे दी है। संशोधन के बाद किसी एक डिजिटल एसेट्स में होने वाले फायदे को किसी दूसरे डिजिटल एसेट्स में हुई नुक्सान से भरपाई नहीं की जा सकेगी। यानी साफ है कि अगर ​किसी डिजिटल एसेट्स में फायदा हुआ है तो आपको टैक्स देना ही होगा।
Advertisement
इसमें कोई संदेह नहीं कि मोदी सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान बिना कोई टैक्स बढ़ाए चुनौतियों को कुशतलापूर्वक निपटा है। सरकार के आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत दिए गए आर्थिक पैकेज ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। अर्थव्यवस्था के सभी संकेतक सकारात्मक दिखाई दे रहे हैं। दुनिया के बाजारों में अब तक चीन,अमेरिका और कुछ अन्य देशों का दबदबा रहा है। इन देशों के वर्चस्व को तोड़ना भारत के लिए काफी मुश्किल था। भारत के आयात और निर्यात में काफी अंतर रहा है। व्यापारिक घाटा पाटने के लिए यह जरूरी है कि निर्यात को बढ़ावा देना होगा। भारत तेल आयात पर भारी-भरकम बिल अदा करता है उसके मुकाबले हमारा निर्यात काफी कम है लेकिन तमाम चुनौतियों के बावजूद यह पहली बार हुआ है कि भारत ने सरकार के घोषित लक्ष्य को हासिल करते हुए चालू वित्त वर्ष में निर्यात 400 अरब डालर के पार पहुंचा दिया है। ​निर्यात का 400 अरब डालर के पार जाना अपने आप में बहुत कुछ कहता है। प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसे बड़ी उपलब्धि मानते हुए कहा है कि यह आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में मील का पत्थर साबित होगा। अर्थव्यवस्था में छलांग ऐसे समय में सम्भव हुई है जब समूचे विश्व में कोरोना महामारी के चलते आर्थिक गतिविधियां शिथिल पड़ी हुई थीं। लॉकडाउन के दौरान लाखों लोगों के रोजगार छिन गए हैं। एमएसएमई के अधिकांश उद्योग बंद हो गए थे। पहले से ही कर्ज के बोझ के तले दबे लघु एवं सूक्ष्म उद्योग चलाने वालों के हौंसले पस्त हो चुके थे। पिछले 2 वर्षों के दौरान उत्पादन गतिविधियां ठप्प रहीं क्योंकि बाजार में खरीददार ही नहीं था। बाजार में खरीददार तब आता है जब लोगों की जेब में पैसा हो। आयात के मुकाबले निर्यात बढ़ने की एक बड़ी वजह यह भी है कि सरकार ने घरेलू उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए कई वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ा दिया। जिसके चलते देसी उत्पाद प्रतिस्पर्धा में खड़े हो गए। सरकार ने सूक्ष्म छोटे और मझोले उद्योगों को प्रोत्साहन दिया और भारत को उन बाजारों में पांव पसारने की जगह मिल गई जहां हालात काफी बदतर थे।
पैट्रोलियम उत्पाद, रसायन, रत्न, आभूषण और इंजीनियरिंग उत्पादों में निर्यात दर बढ़ी है। मोदी सरकार ने भी आम लोगों पर टैक्स का कम भार डालने की नीति पर काम किया। देश के करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया और विशाल आबादी वाले भारत में कोरोना महामारी के दौरान सफल टीकाकरण अभियान चलाया। सरकार की कारगर नीतियों के चलते देशवासियों का मनोबल बढ़ा। यह भी काफी गर्व करने की बात है कि कोरोना महामारी के दौरान भारत का एकमात्र सैक्टर कृषि सैक्टर ही रहा जिसमें लगातार ग्रोथ देखी गई। खाद्यान से हमारे देश के  भंडार भरे रहे और लोगों के सामने कोई संकट नहीं आया। जहां तक पैट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमतों का सवाल है उससे हर कोई प्रभावित है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते भी ईंधन की बढ़ती कीमतों का सामना हमें करना पड़ रहा है।
भारत ने स्वतंत्र विदेश नीति अपनाते हुए अमेरिका और नाटो देशों के दबाव में आए बिना रूस से तेल खरीद का सौदा कर ​लिया है। भारत के लिए एक सुनहरी अवसर भी है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पूरी दुनिया में खाद्यान की आपूर्ति बाधित हो रही है। भारत गेहूं समेत खाद्यान की बढ़ती हुई मांग को पूरा कर सकता है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद गेहूं के मूल्य 30 फीसदी से अधिक बढ़ चुके हैं। रूस और यूक्रेन मिलकर वैश्विक गेहूं आपूर्ति के लगभग एक चौथाई हिस्से का निर्यात करते हैं। सप्लाई रूकने से भारत की गेहूं और अन्य कृषि उत्पादों की निर्यात की मांग में बढ़ौतरी हुई है और भरात को इसका फायदा मिल सकता है। सरकार के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती महंगाई पर अंकुश लगाना और रोजगार के नए अवसर पैदा करने की है। यह भी देखना जरूरी है कि आम आदमी की जेब में बचत का पैसा हो और वह खरीददारी के लिए बाजार की ओर आकर्षित हों। बिना कोई टैक्स बढ़ाए कारोबार में उछाल बहुत बड़ी उप​लब्धि है और उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से कुलांचे भरेगी।
Advertisement
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
Advertisement
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
×