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Robert Vadra पर ED ने कसा शिकंजा, अवैध तरीके से कमाए इतने करोड़ रुपए

08:02 PM Aug 10, 2025 IST | Amit Kumar
robert vadra पर ed ने कसा शिकंजा  अवैध तरीके से कमाए इतने करोड़ रुपए
Robert Vadra

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक गंभीर मामले में Robert Vadra के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। यह कार्रवाई रविवार को की गई, जिसमें Robert Vadra पर दो कंपनियों के जरिए अवैध रूप से करोड़ों रुपये कमाने और उसका गलत इस्तेमाल करने का आरोप है। ईडी की जांच के अनुसार, रॉबर्ट वाड्रा को दो निजी कंपनियों के जरिए कुल 58 करोड़ रुपये की गैरकानूनी कमाई (Proceeds of Crime) प्राप्त हुई।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह धनराशि आपराधिक गतिविधियों से जुड़ी मानी जा रही है। जिसमें ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड (BBTPL) से वाड्रा को लगभग 5 करोड़ रुपये मिले। वहीं स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड (SLHPL) से 53 करोड़ रुपये वाड्रा को ट्रांसफर किए गए।

इस पैसे का कैसे किया गया इस्तेमाल?

ईडी का आरोप है कि वाड्रा ने इस अवैध कमाई का उपयोग कई प्रकार से किया, जैसे:

  • अचल संपत्तियों (जमीन, फ्लैट आदि) की खरीद में
  • निवेश और कारोबार में
  • अपनी कंपनियों को फंड देने और
  • कारोबारी कर्ज चुकाने में
  • इन सभी कामों के लिए उन्होंने इन दो कंपनियों से मिली रकम को अलग-अलग समय पर इस्तेमाल किया।

गुरुग्राम जमीन सौदे में भी बढ़ीं मुश्किलें

इसके अलावा, Robert Vadra के खिलाफ गुरुग्राम के शिकोहपुर इलाके में 2008 में हुए एक जमीन सौदे से जुड़ा मनी लॉन्ड्रिंग केस भी चल रहा है। इस मामले में भी जांच एजेंसियों ने उन्हें कठघरे में खड़ा किया है। राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष ईडी जज सुशांत चगोतरा ने चार्जशीट पर फैसला लेने से पहले वाड्रा को नोटिस जारी किया है। अदालत ने वाड्रा को 28 अगस्त को अदालत में हाज़िर होने और ईडी की दलीलों पर अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया है।

क्या है अगला कदम?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रॉबर्ट वाड्रा इस मामले में अपनी सफाई में क्या कहते हैं। यदि अदालत चार्जशीट को स्वीकार कर लेती है, तो उनके खिलाफ अदालत में विधिवत मुकदमा शुरू हो सकता है।

Operation Sindoor: जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आईआईटी मद्रास में भारतीय सेना अनुसंधान प्रकोष्ठ (आईएआरसी) ‘अग्निशोध’ का उद्घाटन किया, जो रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल का उद्देश्य एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, वायरलेस संचार और मानवरहित प्रणालियों जैसे उभरते क्षेत्रों में सैन्य कर्मियों को कुशल बनाना है, जिससे एक तकनीक-सक्षम बल का निर्माण हो सके। यह सहयोग आईआईटी मद्रास रिसर्च पार्क तक भी विस्तारित होगा, जिसमें एएमटीडीसी और प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन के साथ साझेदारी भी शामिल है।

Operation Sindoor – आतंकवाद के खिलाफ एक नया अध्याय”

इस अवसर पर, द्विवेदी ने “ऑपरेशन सिंदूर – आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक नया अध्याय” पर संकाय और छात्रों को संबोधित किया और इसे एक सैद्धांतिक बदलाव को दर्शाते हुए एक सुनियोजित, खुफिया-आधारित अभियान बताया। उन्होंने भारत की सक्रिय सुरक्षा स्थिति को सुदृढ़ करने में स्वदेशी तकनीक और सटीक सैन्य कार्रवाई की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने अकादमिक उत्कृष्टता के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के लिए आईआईटी संकाय की भी सराहना की।

‘हम शतरंज की चालें चल रहे थे’- Gen Upendra Dwivedi 

आईआईटी मद्रास में एक संबोधन के दौरान उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर में, हमने शतरंज खेला। हमें नहीं पता था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी और हम क्या करने वाले हैं। इसे ग्रे ज़ोन कहते हैं। ग्रे ज़ोन का मतलब है कि हम पारंपरिक ऑपरेशन नहीं कर रहे हैं। हम जो कर रहे हैं, वह पारंपरिक ऑपरेशन से थोड़ा कम है। हम शतरंज की चालें चल रहे थे, और वह (दुश्मन) भी शतरंज की चालें चल रहा था। कहीं हम उन्हें शह और मात दे रहे थे, तो कहीं हम अपनी जान गंवाने के जोखिम पर भी हार मान रहे थे, लेकिन यही तो ज़िंदगी है।”

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