भारत-स्पेन संबंध का नया दौर
भारत और स्पेन के बीच लोगों के सम्पर्क का पुराना इतिहास रहा है। स्पेन के पहले अप्रवासी भारतीय उपमहाद्वीप के सिंध क्षेत्र के लोग थे
भारत और स्पेन के बीच लोगों के सम्पर्क का पुराना इतिहास रहा है। स्पेन के पहले अप्रवासी भारतीय उपमहाद्वीप के सिंध क्षेत्र के लोग थे जो 19वीं शताब्दी के अंत में स्पेन गए आैर उसके केनरी द्वीप समूह में अपने घर बनाए। 1950 और 1960 के दशक में भारतीय मूल के कई लोग अफ्रीका से स्पेन गए और कई लोग सीधे भारत से गए। भारतीय फिल्में और भोजन स्पेन में काफी लोकप्रिय है। स्पेन में भारतीय फिल्मों की शूटिंग ने वहां के पर्यटन उद्योग को काफी बढ़ावा दिया है। 2011 में जिंदगी न मिलेगी दोबारा की रिलीज के बाद स्पेन में भारतीय टूरिस्टों की संख्या दोगुनी हो गई है। भारत और स्पेन में राजनयिक संबंध 1956 में स्थापित किए गए थे। दोनों देशों में सम्पर्क बना रहा और कई उच्च स्तरीय दौरे भी हुए। 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने स्पेन का दौरा किया था। उसके बाद स्पेन के तत्कालीन राजा जुआन कार्लोस प्रथम ने 2012 में भारत की यात्रा की थी। 1988 में प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय राजीव गांधी ने स्पेन की यात्रा की थी। इस यात्रा के 30 वर्ष बाद 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पेन की यात्रा की थी, तब दोनों देशों के बीच आर्थिक, सुरक्षा और सांस्कृतिक संबंध मजबूत किए थे। स्पेन में लगभग 75 हजार प्रवासी भारतीय रहते हैं। इसी को देखते हुए भारत ने बार्सिलोना में वाणिज्यक दूतावास भी शुरू किया था। अब स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज भारत की यात्रा पर आए हैं।
18 वर्षों के बाद स्पेन के किसी प्रधानमंत्री की यह भारत यात्रा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आैर पेड्रो सांचेज ने रोड शो करने के बाद एयर बस टाटा के विमान निर्माण इकाई का शुभारंभ किया। दोनों ने द्विपक्षीय संबंधों से लेकर वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का अदान-प्रदान किया। वडोदरा स्थित इस एयर क्राफ्ट प्लांट में स्पेनिश सी-295 एयर क्राफ्ट का उत्पादन होगा। इसको लेकर भारत और स्पेन के बीच 56 विमान बनाने का समझौता हुआ है। यह परियोजना इसलिए भी अहम है कि पहली बार कोई निजी कम्पनी सेना के लिए विमान बनाएगी। 16 एयर क्राफ्ट स्पेन में बनेंगे और 40 विमान उसके सहयोग से इस प्लांट में बनेंगे। भारतीय वायुसेना के लिए ट्रांसपोर्ट विमान भारत के लिए बहुत जरूरी है जिससे सैनिकों, हथियारों, ईंधन और हार्डवेयर को एक जगह से दूसरी जगह पहंुचाना आसान होगा।
सी-295 एयरक्राफ्ट की फंक्शनिंग की बात करें तो इसे दो पायलट्स उड़ाते हैं। इसमें एक साथ 73 सैनिक, 48 पैराट्रूपर्स, 12 स्ट्रेचर इंटेसिंव केयर मेडवैक, या 27 स्ट्रेचर मेडवैक के साथ 4 मिडिकल अटेंडेंट सफर कर सकते हैं। डायमेंशंस का उल्लेख करें तो यह C-295 एयरक्राफ्ट 9250 KG का वजन उठा सकता है। इसकी लंबाई 80.3 फीट, विंगस्पेन 84.8 फीट, ऊंचाई 28.5 फीट है। C-295 एयरक्राफ्ट में करीब 7650 फ्यूल आता है। इसके अलावा 482 KM/hr की रफ्तार से उड़ सकता है। इसकी एक खास बात यह भी है कि इसे लैंड करने के लिए छोटा रनवे की जरूरत होती है। उड़ान भरने के लिए इसे 844 मीटर से 934 मीटर लंबाई का रनवे चाहिए होता है। वहीं 420 मीटर के रनवे में यह आसानी से उतर सकता है। इसमें 6 हाई प्वाइंट्स होते हैं। इसके अलावा 800 किलो के हथियार भी लगाए जा सकते हैं।
स्पेन की कम्पनियों ने ‘मेक इन इंडिया’, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्मार्ट सिटी सिहत विभिन्न परियोजनाओं में रुचि दिखाई है। भारत और स्पेन का द्विपक्षीय व्यापार 10 अरब डालर पर पहंुच गया है। इसमें भारत 7.5 अरब डालर का निर्यात करता है जबकि आयात 2.5 अरब डालर का ही है। पिछले 3-4 वर्षों में स्पेन ने भारत में 4 अरब डालर से ज्यादा का निवेश किया है। स्पेन भारत में 16वां बड़ा निवेशक है। 230 से अधिक कम्पनियां भारत में काम कर रही हैं जबकि लगभग 80 भारतीय कम्पनियां स्पेन में काम कर रही हैं। भारत और स्पेन की दोस्ती का नया पड़ाव अब गुजरात बना है। अपने उन्नत शासन के लिए प्रसिद्ध वडोदरा में कभी अास्ट्रिया से विमान आए थे और हवाई पट्टी शुरू हुई थी। अब यह शहर एयर क्राफ्ट निर्माण का हब बनने जा रहा है। स्पेन पहले ही औद्योगिक और व्यापारिक क्षेत्राें में भारत काे सहयोग कर रहा है। आईटी, फार्मा, हरित हाईड्रोजन, इलैक्ट्रिक गतिशीलता और कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग की बहुत संभावनाएं मौजूद हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी तीसरी पारी में पूरी रफ्तार से दूसरे देशाें से संबंध बनाने में आगे बढ़ रहे हैं। भारत और स्पेन आतंकवाद का शिकार हुए हैं। इसलिए आतंकवाद पर दोनोें देशों के विचार एक हैं। दोनों ही देश अंतर्राष्ट्रीय शांति स्थिरता समृद्धि, सुरक्षा और अखंडता का समर्थन करते हैं।
भारत अपने तेज, सतत् और स्थाई आर्थिक विकास के लिए स्पेन को एक उपयुक्त साझेदार पाता है। दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंध लगातार बढ़ रहे हैं और द्विपक्षीय रूप से विस्तार करने और बड़े क्षेत्रीय बाजारों की पूर्ति करने के लिए व्यापार के पर्याप्त अवसर हैं, क्योंकि भारत स्पेन के लिए दक्षिण एशिया का प्रवेश द्वार हो सकता है, जबकि स्पेन यूरोपीय संघ का सदस्य है और इसके लैटिन अमेरिकी देशों के साथ घनिष्ठ सांस्कृतिक, भाषाई और आर्थिक संबंध हैं। भारत लैटिन अमेरिका में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है और इस संबंध में स्पेन के साथ जुड़ाव और सहयोग का सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com