अलका याग्निक की अपील
पिछले दिनों एक चौंकाने वाली खबर सामने आई कि जानी-मानी सिंगर अलका याग्निक को सुनाई देना बंद हो गया है। उनकी सेंसरी नर्व हियरिंग लाॅस हो जाने की खबर का मतलब था कि वह अब कभी सुन नहीं सकेंगी। अपनी मधुर आवाज से कानों में जादू घोलने वाली इस सिंगर के लिए यह एक बहुत बड़ी ट्रेजडी कही जा सकती है। इस बारे में खुद अलका जी ने अपनी डॉक्टर की रिपोर्ट सामने रखी जिसमें कहा गया है कि ज्यादा देर तक अगर कानों को भारी संगीत सुनने की आदत पड़ जाये तो हमारी क्षमता धीरे-धीरे खत्म हो सकती है। अलका के साथ भी यही हुआ। पिछले दो महीनों से वह सोशल मीडिया से दूर थी लेकिन जब इसका राज खुला तो उन्होंने अपनी अपील में कहा कि मैं लोगों को तेज म्यूजिक और हैडफोन से दूर रहने की सलाह देती हूं। उनकी यह अपील एक बहुत बड़ा सवाल भी छोड़ रही है कि हमारी युवा पीढ़ी जो कि मोबाइल पर तेज म्यूजिक सुनती है और हैड फोन से जुड़ी रहती है। अनेक चैनल और सोशल मीडिया से जुडे़ करोड़ों लोग जिनमें बच्चेऔर युवा पीढ़ी ज्यादा है, कानों में हैड फोन लगाए मस्त दिखाई देती है। सोते,उठते-बैठते और ड्राइविंग करने के दौरान कानों में हैड फोन या मोबाइल से जुड़े रहना हमारी श्रवण क्षमता के साथ-साथ हमारी दृष्टि संतुलन को भी कमजोर कर रही है।
आज की तारीख में जहां सड़कों पर बहुत ज्यादा शोर का प्रदूषण हो तो वहां हमें शांति की बहुत जरूरत है और अगर शोर की बात की जाये तो इसे हियरिंग लॉस से जोड़कर डाक्टरों का नजरिया चौंकाने वाला है। हमारे हेयरिंग लॉस को साउंड वेवस से नापा जाता है। जो आवाज हम सुनते हैं जब उसे डेसीमल नापते हैं तो शांत होने पर यह जीरो और मामूली सा फुसफसाने पर 30 डेसीमल होती है लेकिन जब हम बातचीत से जोड़ते हैं तो यह 60 डेसीमल होती है। लेकिन संगीत के दौरान यह 120 डेसीमल तक पहुंच जाती है। यही से सेंसरी हियरिंग लॉस हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट है कि इस दुनिया में हर वर्ष 20 प्रतिशत लोग जिनमें ज्यादा की उम्र 3 वर्ष से 40 वर्ष है वे सेंसरी हियरिंग लॉस अर्थात बेहरेपन का शिकार हो जाते हैं। मेरा यह मानना है कि हमारे देश की युवा पीढ़ी के लिए यह एक बहुत बड़ा अलार्म और अलर्ट है। अगर अभी नहीं संभले तो कहीं न कहीं बात बिगड़ सकती है। तेज संगीत या तेज हॉर्न किसी के लिए भी घातक हो सकता है। हैडफोन लगाने से संगीत का वाल्यूम बहुत बढ़ जाता है और वह हमारे सुनने के तंतुओं पर सीधा प्रभाव डालता है। तेज म्यूजिक की आदत बहुत घातक है।
छोटे-छोटे बच्चों को जिस तरह से मोबाइल पर चित्र दिखाने या उनके कानों में हैड फोन लगाने की आदत आगे चलकर खतरनाक हो सकती है। यह मैं अपनी तरफ से नहीं कह रही बल्कि सिंगर अलका याग्निक की मैडिकल रिपोर्ट के आधार पर कह रही हूं। स्कूल जाने वाले बच्चे या अन्य लोग जो वाहन चलाते समय भी तेज म्यूजिक और हैड फोन लगाकर आगे बढ़ते हैं तो वह अभी से संभल जाये और डेली रूटीन के कामकाज के दौरान अगर इससे बचें तो अच्छी बात है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। बॉलीवुड से जुड़े कितने ही गायक, कलाकार और प्रोडक्शन से जुड़े अन्य लोग आज भी खुद को आराम की मुद्रा में ले जाने के लिए सोने से पहले कानों में हैडफोन लगाने की बात कहते हैं और नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिशन का मानना है कि यह घातक है। यह हमारे दिमाग और कानों के तंतुओं के बीच संतुलन को बिगाड़ देती है। कई बार कुछ कीटाणु इतने घातक हाे जाते हैं कि कानों में अचानक कुछ न कुछ सुनाई देने की आवाजें आने लगती हैं जिसे ऊंचा सुनना अर्थात बहरापन कहा जाता है। तेज आवाज के हाई एक्सपोजर से बचना ही होगा।
आज के जमाने में मोबाइल या हैड फोन या तेज म्यूजिक का प्रचलन जरूरत से ज्यादा बढ़ चला है, यह अपने आपमें युवा पीढ़ी के लिए सबक लेने का वक्त है। हालांकि बुजुर्गों को यह समस्या हो सकती है लेकिन आज के समय में युवा पीढ़ी के साथ बहरेपन की समस्या या सडन हेयरिंग लॉस हो जाये तो उससे बचने के लिए कुछ करना होगा। यह रोग दवाओं से ठीक नहीं होता इसके लिए परहेज जरूरी है। खुद अलका याग्निक की अपील अपने आपमें एक बड़ा संदेश है जो यूथ को तेज संगीत और हैडफोन से दूर रहने की सलाह से जुड़ा है।