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बंगलादेश से मधुर संबंध

03:53 AM Aug 18, 2024 IST
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बंगलादेश की अंतरिम सरकार की मुख्य सलाहकार श्री मोहम्मद यूनुस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन करके अपने देश में हिंदुओं समेत सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की गारंटी दी है। बंगलादेश ऐसा देश है जिसका जब उदय 1971 में हुआ था तो इसके निर्माता शेख मुजीबुर्रहमान ने इसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया था परंतु बाद में यहां सैनिक तख्ता पलट होने पर इसका राजधर्म इस्लाम घोषित कर दिया गया। यह हकीकत है कि इस देश में 90 प्र​ितशत से अधिक मुस्लिम जनसंख्या है और हिंदू केवल 8 प्र​ितशत ही हैं परंतु यह भी हकीकत है कि इस देश की पिछली शेख हसीना सरकार के दौरान सभी धर्म के लोग निडर होकर रहा करते थे और सभी के अधिकार एक समान थे। मोहम्मद यूनुस का कहना है कि विगत 5 अगस्त को उनके देश में शेख हसीना की सरकार के विरुद्ध जन आक्रोश सुधर जाने पर जो सत्ता परिवर्तन हुआ उससे यहां के लोगों के नागरिक अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और सभी को पहले की भांति मिलजुल कर रहना चाहिए परंतु प्रश्न यह है की शेख हसीना के विरुद्ध जो जन आक्रोश पैदा हुआ और जिसने छात्र आंदोलन का रूप धारण किया उसमें इस देश के कुछ इस्लामी कट्टरपंथी लोग भी शामिल हो गए और उन्होंने हिंदुओं पर अत्याचार करने शुरू किए हालांकि यह भी सच है की 5 अगस्त के बाद कट्टरपंथियों ने बंगलादेश के 50 जिलों में सिर्फ पांच हिंदुओं का ही कत्ल किया और 205 स्थानाें पर आगजनी या दंगा किया परंतु इसे श्री मोहम्मद यूनुस के अनुसार मीडिया में बहुत बढ़ा- चढ़ा कर पेश किया गया इसके बावजूद उन्होंने श्री मोदी को आश्वासन दिया है कि उनके देश में अब आगे ऐसी किसी घटना को नहीं होने दिया जाएगा।
यहां यह भी विचारणीय है कि श्री यूनुस विगत दिनों बंगलादेश की राजधानी ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर में गए थे और वहां उन्होंने हिंदू नेताओं से भेंट की थी। इस बैठक में उन्होंने साफ किया और अपने देशवासियों को संदेश दिया कि यदि हिंदुओं पर अत्याचार नहीं रोका गया तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। श्री यूनुस की इस सदा शयता को भारत को भुलाना नहीं चाहिए और निश्चिंत होकर यह समझना चाहिए कि उनके नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार अब आगे किसी अत्याचार की घटना नहीं होने देगी। प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे साफ कहा कि भारत बंगलादेश के साथ अच्छे संबंध चाहता है और एक मजबूत बंगलादेश को देखना चाहता है। इससे स्पष्ट है कि भारत अपनी शांति और सौहार्द की विदेश नीति को ही आगे बढ़ना चाहता है चाहे किसी भी देश में कोई भी सरकार हो परंतु भारत का नजरिया उसे देश के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने का ही है। इससे पूर्व इस देश की अंतरिम सरकार के विदेश मंत्री ने भी हिंदुओं पर हुए अत्याचार के लिए माफी मांगी थी। भारतीयों को भी यह मालूम होना चाहिए की बंगलादेश में बेशक हिंदू धार्मिक अल्पसंख्यक हो परंतु उनकी संस्कृति बांग्ला ही है और 90 प्रतिशत लोग बेशक इस्लाम को मानते हैं उनकी भी पहली वरीयता और संस्कृति बांग्ला ही है। यह बांग्ला संस्कृति दोनों धर्म के लोगों को आपस में कसकर जोड़े रखती है। यह स्थिति पाकिस्तान परस्त कुछ इस्लामी कट्टरपंथियों से बर्दाश्त नहीं होती और वह इस देश में हिंदुओं के खिलाफ धार्मिक उन्माद फैलाने का काम करते रहते हैं इसके बावजूद आधी संख्या मुस्लिम समाज हिंदुओं को अपने ही देश का अभिन्न अंग मानता है और उनके रीति-रिवाज व धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करता है।
बंगलादेश के पुराने हिंदू मंदिर इस देश की घोषित विरासत हैं, बेशक किसका राजधर्म इस्लाम हो इस हकीकत को भी हमें जानना चाहिए। अब शेख हसीना का बंगलादेश में शासन नहीं है। उनका शासन बेशक भारत के साथ दोस्ती का शासन था परंतु भारत की यह घोषित विदेश नीति है कि वह किसी भी देश के आंतरिक मामलों में कोई दखल नहीं देता है अतः यह बंगलादेश के लोगों का अधिकार है कि वह अपनी मनमर्जी की सरकार स्थापित करें। मोहम्मद यूनुस सरकार के साथ भारत के संबंध मधुर और दोस्ताना हो इसका इशारा श्री मोदी ने उनके साथ हुई टेलीफोन पर बातचीत में साफ कर दिया है। बंगलादेश में यदि स्थिरता और मजबूती आती है तो एक पड़ोसी देश होने के नाते यह भारत के हक में है। एक तरफ जहां भारत की सीमाएं पाकिस्तान से लगती हैं तो वहीं दूसरी तरफ बंगलादेश से लगती हैं। बंगलादेश से लगने वाली सीमाओं पर सर्वदा शांति और भाईचारे का माहौल रहता है। इसके अर्थ को समझ जाना चाहिए और बंगलादेश में उसके लोगों द्वारा जो भी और जिस प्रकार का भी शासन स्थापित किया जाता है उसके साथ भारत के संबंध मधुर और सौहार्दपूर्ण हो ऐसी कोशिश दोनों ओर से होनी चाहिए। यह बंगलादेश का भी कर्त्तव्य बनता है कि वह भारत के उपकारों को कभी भूले नहीं क्योंकि इस देश का अस्तित्व मानचित्र में लाने में भारत की ही अहम भूमिका रही है।

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