भारत-ओमान संबंधों की ऊंचाई
भारत और ओमान हजारों वर्ष पुराने हैं। दोनों देश भूगोल, इतिहास और संस्कृति से जुड़े हुए हैं। यद्यपि दोनों देशों के बीच 1955 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे और वर्ष 2008 में इन संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बदल दिया गया था। ओमान भारत की पश्चिम एशिया नीति का प्रमुख स्तम्भ है। 1971 में जब मस्कट में भारतीय दूतावास खुला तो दोनों देश एक-एक कदम आगे बढ़े। एक कहानी बहुत दिलचस्प है जिसने दुनिया के रिश्तों का नया संदेश दिया था। 1994 में जब तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा मस्कट गए थे तब ओमान के तत्कालीन सुल्तान कबूस पहली बार प्रोटोकॉल तोड़कर उनका स्वागत करने एयरपोर्ट पहुंच गए थे। सुल्तान कबूस मस्कट पहुंचे विमान में चढ़ गए और डाॅक्टर शंकर दयाल शर्मा को साथ लेकर विमान से उतरे। जिस कार में डाॅक्टर शंकर दयाल शर्मा को बिठाया गया उस कार को ड्राइव भी सुल्तान कबूस ने किया। सुल्तान कबूस को एक ऐसे राजा के तौर पर जाना जाता रहा जिन्होंने कभी भी प्रोटोकॉल नहीं तोड़ा था। डॉक्टर शर्मा को प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत करने के बारे में जब सुल्तान कबूस से पूछा गया तो उन्होंने बेहद सरल जवाब िदया कि जब वह भारत में पढ़ाई कर रहे थे तो डाॅ. शर्मा उनके प्राेफैसर रहे। इसलिए वह उनका स्वागत करने गए थे।
सुल्तान कबूस का भारतीयों के प्रति रवैया काफी उदार रहा। उन्हें ही आधुनिक आेमान का श्रेय दिया जाता है। दोनों देशों के रिश्तों में मजबूती का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि ओमान में करीब 6.2 लाख भारतीय हैं, जिनमें से करीब 4.8 लाख कर्मचारी और पेशेवर हैं। हजारों भारतीय वहां डॉक्टर, इंजीनियर, चार्डड अकाऊंटेंट, प्रोफैसर, नर्सें और मैनेजर समेत अन्य पेशेवरों के रूप में काम कर रहे हैं और 1797 से भारतीय मूल के लोगों के पास ओमानी नागरिकता है। अब आेमान भारत का एक रणनीतिक भागीदार है और खाड़ी सहयोग परिषद अरब लीग और िहन्द महासागर रिम एसोसिएशन में एक महत्वपूर्ण वार्ताकार है। भारत ने हिन्द महासागर क्षेत्र में अपने स्टैंड को मजबूत करने की दिशा में रणनीतिक कदम उठाया और सैन्य उपयोग और सैन्य समर्थन के लिए ओमान में डुक्म बंदरगाह तक पहुंच हासिल कर ली है। इस क्षेत्र में चीनी प्रभाव और गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए भारत की समुद्री रणनीति का हिस्सा है। डुक्म बंदरगाह ईरान के चाबदार बंदरगाह के करीब ही है। यहां तक पहुंच बनाने के लिए भारत को िहन्द महासागर के इस इलाके में सामरिक मजबूती मिल चुकी है।
2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ओमान यात्रा की थी। तब से दोनों देशों के संबंधों में काफी मजबूती मिली है। अब ओमान के सुुल्तान हैथम िबन तारिक भारत की यात्रा पर हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनकी विस्तृत बातचीत भी हो चुकी है। दोनों देशों ने 10 प्रमुख क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए एक दृष्टि पत्र तैयार किया है। दोनों देश जल्द ही एक व्यापार समझौता करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी और तारिक ने हमास-इजराइल युद्ध से उत्पन्न स्थिति और आतंकवाद की चुनौती के अलावा आगे बढ़ने के रास्ते के रूप में फिलिस्तीन मुद्दे पर दो राष्ट्र समाधान के प्रयास को लेकर चर्चा की है। दोनों ने समुद्री क्षेत्र, सम्पर्क, हरित ऊर्जा, अंतरिक्ष, डिजिटल भुगतान, हैल्थ, टूरिज्म और खेती तथा खाद्य सुरक्षा सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर बल दिया है। ओमान के सुलतान का राष्ट्रपति भवन में भव्य स्वागत किया गया। दोनों देशों के बीच एक शानदार डील होने जा रही है। इस डील के तहत गैसोलीन, लोहा, इस्पात, इलैक्ट्रोनिक और मशीनरी सहित भारतीय समानों पर ओमान में शुल्क समाप्त होगा या कम किया जाएगा। इससे भारत को काफी फायदा और कमाई भी होगी। ओमान के सुल्तान के भारत दौरे का एजैंडा ही मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना, व्यापार और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना है। आेमान पहला खाड़ी देश है जिसके साथ भारतीय सेना के तीनों अंग संयुक्त अभ्यास करते हैं। ओमान के कच्चे तेल निर्यात के लिए चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। दोनों देशों के मधुर संबंधों से एक-दूसरे को काफी फायदा होगा। ओमान भारत के लिए खाड़ी देशों से संबंधों के िलए भी पुल का काम कर रहा है। 26 वर्ष बाद ओमान के किसी नेता की यह पहली यात्रा है। ओमान रक्षा और सामरिक दृष्टि से भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार इस खाड़ी देश से संबंधों को नई ऊंचाई देने का काम कर रही है।