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हरियाणा में ऑनर किलिंग

06:54 AM Jun 26, 2024 IST
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आजकल इस धरती पर मनुष्य ही अपने झूठे दंभ में अपनों की ही हत्याएं करने लगा है। ऐसी हत्याओं को सभ्य समाज में स्वीकार नहीं किया जा सकता। झूठे सम्मान के लिए अपनों के ही कत्ल के बाद कानून व्यवस्था कभी काम करती दिखाई देती है तो कभी लाचार बनकर टुकुर-टुकुर कोने में बैठकर ताकती रहती है। कभी पंचायत, कभी खाप, कभी परिवार तो कभी समाज खुद ही अदालतें बनकर इस हिंसा को सही ठहराने लगते हैं और व्यवस्था अपराधी की हमदर्द बनकर उसे बचने के रास्ते बताने लगती है। कुछ समाजों से जुड़े भारतीय परिवार के भीतर आज भी खाप जिंदा है और वे इस खाप से बाहर निकलना ही नहीं चाहते। शादी के जरिये वे यह सा​बित करने का प्रयास करते हैं कि अपने बच्चों पर उन्होंने नकेल कसकर रखी हुई है। नकेल कसी हुई रहे तो उन्हें लगता है कि उनके संस्कार सही दिशा में हैं। आज के आधुनिक युग में दो व्यस्कों का अपनी मर्जी से शादी करना परिवारों को सहन नहीं होता। ऐसा करने पर लड़का-लड़की दोनों के परिवार खून के प्यासे हो जाते हैं। जिन बच्चों को उन्होंने लाड़-प्यार से पाला है उनके प्रति मां-बाप इतने क्रूर क्यों हो जाते हैं? इस प्रश्न का उत्तर यही है कि परिवारों को कथित सम्मान अपनी औलाद से भी प्यारा हो जाता है।

राधा-कृष्ण, सीता-राम, शिव-पार्वती का जाप करने वाला समाज कितने दोहरे मानदंडों को लेकर चलता है। हरियाणा के हिसार ​िजले में एक बार फिर ऑनर किलिंग की घटना सामने आई है। शादी के दो महीने बाद ही हिसार जिले के जोड़े तेजबीर और मीना की दो अज्ञात लोगों ने गोली मार कर हत्या कर दी। लड़की का परिवार शादी से नाराज था और उन्होंने जोड़े को जान से मारने की धमकी भी दी थी। तब से ही जोड़ा डर-डर कर जिन्दगी गुजार रहा था। यह हत्याएं कैथल जिले के एक लड़के द्वारा अपनी 20 वर्षीय बहन की कथित तौर पर हत्या के पांच दिन बाद की, जिसने अपनी जाति से बाहर विवाह कर लिया था। इसी वर्ष 21 अप्रैल को यमुनानगर में एक युवक की हत्या कर दी गई थी, जिसने 2023 में अन्तर्जातीय विवाह किया था। कुछ दम्पति प्रेम विवाह के चलते अभी भी सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे हैं। यद्यपि अदालतें, केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारें ऐसे युवाओं की सहायता के लिए आगे आ रही हैं। एक तरफ युवा पीढ़ी बदल रही है लेकिन कट्टरपंथ और रूढ़ियों से भरे परिवारों को आज भी यह नागवार गुजर रहा है। एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अन्तर्जातीय विवाह सम्भवतः जातियों और समुदायों के बीच तनाव कम करेंगे।

दरअसल ऑनर किलिंग इस धारणा का परिणाम है कि कोई भी व्यक्ति जिसके किसी कृत्य के कारण यदि उसके कुल या समुदाय या धर्म का अपमान होता है तो कुल या समुदाय की रक्षा के लिए उस व्यक्ति विशेष की हत्या जायज है। देश की शीर्ष अदालत ने कहा है कि यदि दो बालिग अपनी मर्जी से शादी करते हैं तो कोई भी तीसरा व्यक्ति उसमें दखल नहीं दे सकता। एक तरफ हम दलित, मुस्लिम गठबंधन की चर्चा करते हैं, इसकी चर्चा महज सियासी समीकरण को देखते हुए करते हैं लेकिन वास्तव में देश में जातिगत धारणाएं लगातार बढ़ रही हैं। अधिकांश ऑनर किलिंग के मामले तथाकथित ऊंची और नीची जाति के लोगों के प्रेम संबंधों के मामले में देखने को मिलते हैं। अन्तर धार्मिक संबंध भी ऑनर किलिंग का एक बड़ा कारण है। ऑनर किलिंग मानवाधिकारों के उल्लंघन के साथ-साथ अनुच्छेद 21 के अनुसार गरिमा के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन भी है। यह देश में सहानुभूति, प्रेम, करुणा, सहनशीलता जैसे गुणों के अभाव को और बढ़ाने का कार्य करता है। विभिन्न समुदायों के बीच राष्ट्रीय एकता, सहयोग आदि की धारणा को बढ़ावा देने के लिए एक बाधक का कार्य करता है। ऑनर किलिंग विकृत सामाजिक मानसिकता को बढ़ावा देती है जो सामाजिक न्याय के विरुद्ध है।

देश की खाप पंचायतों ने ऑनर किलिंग को जिस तरह से संरक्षण दिया और ऐसे-ऐसे अपराध किए हैं जिसे सभ्य समाज स्वीकार नहीं कर सकता। तभी तो सर्वोच्च न्यायालय ने 28 मार्च, 2018 को शक्ति वाहिनी बनाम भारत संघ मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था जिसके तहत सम्मान आधारित हिंसा को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इस निर्णय में खाप पंचायतों को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया क्योंकि यह खाप पंचायतें सामानांतर न्याय व्यवस्था स्थापित करने लगी थीं। अंतर्जातीय विवाहों से कहीं अधिक समस्या दूसरे धर्म में विवाहों में होती है। कभी-कभी दो लोगों के प्रेम को साम्प्रदायिक रंग भी दे दिया जाता है। दो अलग-अलग धर्म के व्यस्क स्वावलम्बी लोग यदि निश्चय करते हैं कि वो शादी करना चाहते हैं तो माता-पिता को उनका साथ देना चाहिए। जहां तक सम्भव हो बिना धर्म परिवर्तन किए स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह हो सकते हैं। अगर मुस्लिम युवक किसी हिन्दू युवती से शादी कर ले तो इतना बवाल नहीं मचता। बशर्ते वो शादी गलत इरादों से न की गई हो। अगर मुस्लिम युवती किसी हिन्दू से शादी कर ले तो बवाल खड़ा हो जाता है। जो समाज एक वेब सीरिज से डर जाए, जो मुस्लिम युवती के हिन्दू लड़के से प्रेम की कहानी पर आधारित हो तो फिर स्पष्ट है कि उस समाज ने 'धूप की दीवार' खड़ी कर रखी है। जबकि सीरिज शांति, एकजुटता और नफरत के ऊपर दिल का संदेश देती है।

फिल्म उद्योग में प्रेम विवाह पहले भी होते आए हैं और हिन्दू-मुस्लिम की शादियां भी होती आई हैं। फिल्म अभिनेता और सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की अभिनेत्री बेटी सोनाक्षी सिन्हा ने मुस्लिम युवक जहीर से शादी की और इस शादी को दोनों परिवारों और समाज ने स्वीकृति दी है। हर किसी को अपना जीवन अपनी शर्तों पर जीने का हक है। अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाना गलत नहीं है। समाज को ऐसे लोगों की जरूरत है जो खुलकर बोल सकें, लिख सकें और सवाल कर सकें। अपने हकों का हनन रोक सकें। समाज में दीवारें बहुत बड़ी हैं लेकिन खोखले सम्मान के लिए किसी की जान लेने का हक किसी को नहीं।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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