सोने की बढ़ती तस्करी
भारत में सोने की तस्करी फिर बढ़ रही है। इसकी असली वजह मानी जा रही है कि सरकार ने स्वर्ण आयात पर तट कर में वृद्धि कर दी है जबकि केन्द्र सरकार आयातित सोने पर 2.5 प्रतिशत आधारभूत कृषि विकास शुल्क वसूल करती है और 3 प्रतिशत जीएसटी इसके ऊपर प्रति दस ग्राम लगता है। तट कर 12.5 प्रतिशत लगता है। इस प्रकार दस ग्राम सोने पर कुल 18 प्रतिशत शुल्क पड़ता है जिससे अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में सोने के दाम सस्ते पड़ने से इसकी तस्करी बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही रुपये के मुकाबले डालर की कीमत जिस तरह से बढ़ रही है उसका असर भी स्वर्ण मूल्यों पर सीधे पड़ता है। स्वर्ण तस्करी के मूल्यों का सम्बन्ध डालर की ‘हवाला’ दर से भी बंधा रहता है। अाधिकारिक सूत्रों की मानें तो वर्ष 2023 के भीतर ही अक्तूबर महीने तक पिछले साल के मुकाबले स्वर्ण तस्करी के मामलों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस दौरान पूरे वर्ष में 3917.52 किलो ग्राम सोना तस्करी कर भारत लाया जा रहा था जिसे पकड़ लिया गया। यह सोना 4798 मामलों को पकड़ कर जब्त किया गया।
पिछले तीन साल में जब्त तस्करी सोने की यह सार्वाधिक मात्रा बताई जा रही है। जिस वर्ष कोरोना संक्रमण का कहर चल रहा था उस वर्ष 2021 में कुल तस्करी का जब्त सोना 2383 किलो था जिसे 2445 मामलों में पकड़ा गया था परन्तु पिछले तीन वर्षों के दौरान सोना तस्करी करने वाले लोगों में पढे़-लिखे लोग भी पकड़े जा रहे हैं जो सोना तस्करी के नये-नये तरीके इजाद कर रहे हैं। भारत के चार राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल व तेलंगाना में सबसे ज्यादा सोना तस्करी करके लाया जाता है। चालू वर्ष के अक्तूबर महीने तक महाराष्ट्र में तस्करी के कुल 1357 मामले पकड़े गये जिनमें कुल 997 किलो से अधिक सोना जब्त हुआ। इसके बाद तमिलनाडु में 894 मामलों में लगभग 499 किलो सोना जब्त किया गया और केरल में 542 किलो सोना जब्त किये जाने के 728 मामले प्रकाश में आये। इन तीनों राज्यों में ही सोना तस्करी के कुल मामलों में 60 प्रतिशत मामले दर्ज हुए। इन तीन राज्यों के अलावा तेलंगाना, पं. बंगाल, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, दादर नगर हवेली एवं दमन दीव से तस्करी के मामले सामने आये। भारत के विभिन्न सर्राफा बाजारों में सोने का भाव फिलहाल 62000 से लेकर 65000 के बीच चल रहा है। इतनी महंगी दरों की वजह से भारत में सोने की मांग चालू वर्ष की प्रथम तिमाही में कम हुई।
विश्व स्वर्ण परिषद के आंकड़ों के अऩुसार भारत विश्व का सर्वाधिक स्वर्ण आयात करने वाला देश है परन्तु चालू वर्ष की प्रथम तिमाही में सोने की मांग पिछले तीन वर्षों के भीतर तिमाही आधार पर सबसे कम रही। इसकी वजह सोने के दाम आसमान पर पहुंच जाना ही मानी जा रही है मगर दूसरी तरफ तस्करी बढ़ने से भारत के छोटे शहरों में इसकी मांग में वृद्धि दर्ज हुई। इसका मतलब यह निकलता है कि विदेशों से अवैध रूप से तस्करी किये गये सोने की खपत तस्कर छोटे शहरों में करने में अपनी भलाई समझते हैं। पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में लगभग 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो कि अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जाता क्योंकि सोने जैसी बहुमूल्य धातु में किया गया निवेश ‘मृत निवेश’ माना जाता है परन्तु इसके मूल्य में जिस प्रकार की वृद्धि दर्ज हुई है उससे इसमें अल्पकालिक निवेश करने वालों को प्रेरणा मिल सकती है। अर्थ शास्त्र के नियमों के अनुसार सोने के मूल्य में वार्षिक आधार पर महंगाई दर वृद्धि से अधिक बढ़ौैतरी नहीं होनी चाहिए। यदि एेसा होता है तो सोना उत्पादशील अवयवों के स्थान पर अधिक निवेश खींचता है।
भारत में महंगाई की दर फिलहाल छह प्रतिशत के आसपास आंकी जा रही है मगर पिछले कुछ महीनों में सोने के दाम 12 प्रतिशत बढ़ने से इसका असर बाजार निवेश पर पड़ सकता है। मगर आश्चर्यजनक यह है कि इसके समानान्तर शेयर बाजार भी तेज हो रहा है और मुम्बई शेयर सूचकांक एक बार 70 हजार से भी ऊपर निकल गया था। इसे विरोधाभासी समीकरण माना जाता है। इससे यह आशंका भी प्रबल होती है कि शेयर बाजार में भावों को कहीं बाजार से इतर शक्तियों द्वारा बढ़ाया या नियन्त्रित तो नहीं किया जा रहा है। इसके साथ स्वर्ण आयात पर भारत की विदेशी मुद्रा भी भारी तरीके से खर्च होती है। भारत जितना कच्चे तेल के आयात पर खर्च करता है उससे थोड़ा कम ही सोने के आयात पर खर्च करता है। सोने के आभूषण बना कर उनका निर्यात किया जाता है जिससे इसमें मूल्य वृद्धि होती है परन्तु स्वर्ण आभूषणों के निर्यात में भी आशातीत वृद्धि दर्ज नहीं हो रही है। घरेलू बाजार में इसकी कीमतें बढ़ने की वजह से घरेलू बचत का धन भी इस तरफ आकर्षित हो रहा है जिसकी वजह से भारत का घरेलू बचत औसत लगातार गिर रहा है। हालांकि सरकार ने सोने पर तट कर (आयात शुल्क) बढ़ाकर और इस पर अन्य शुल्क लगा कर इसके आयात को नियन्त्रित करने का प्रयास किया है मगर स्वर्ण तस्कर इन प्रयासों को नकारते नजर आ रहे हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com