NEET Exam: नीट परीक्षा में ‘फिक्सिंग’
नीट परीक्षा में धांधली को लेकर देशभर में हंगामा मचा हुआ है। लाखों परीक्षार्थियों को परेशानी तो हुई साथ ही वे दुविधा में भी हैं कि एनटीए ने जो परीक्षा परिणाम घोषित किए हैं उनको आखिरी मान लिया जाए या दुबारा परीक्षा की तैयारी में जुट जाएं। कुछ परीक्षार्थियों ने इंसाफ की गुहार लगाते हुए सुप्रीम काेर्ट का द्वार भी खटखटा दिया है। सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या मेडिकल एंटरेंस इग्जाम सही ढंग से हुआ है या परीक्षा परिणामों में फिक्सिंग की गई। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि गड़बड़ियों के चलते नीट परीक्षा दोबारा कराई जाए। यह दुर्भाग्यपूर्ण भी है और चिंताजनक भी कि देश में भर्ती परीक्षा हो या प्रवेश परीक्षा, मेडिकल प्रवेश परीक्षा हो या कोई अन्य परीक्षा, कभी प्रश्नपत्र लीक हो जाते हैं तो कभी प्रश्नपत्र गलत बांट दिए जाते हैं। कभी अदालतें भ्रष्टाचार के चलते भर्तियों को रद्द कर देती हैं तो कभी प्रवेश परीक्षाएं दोबारा ली जाती हैं। प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए अभिभावक बच्चों को कोचिंग सैंटर भेजते हैं और लाखों रुपए खर्च करते हैं। कभी नकल माफिया अपना खेल दिखाता है तो कभी व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जाता है।
दिल्ली हाईकोर्ट नीट परीक्षा में धांधली को लेकर पहले ही एनटीए से जवाब मांग चुका है। एक मेडिकल छात्रा ने याचिका दायर कर मेडिकल कालेज में दाखिले के लिए नीट यूजी परीक्षा में ग्रेस अंक देने के एनटीए के फैसले को चुनौती दी है। हैरानी की बात तो यह है कि परीक्षा परिणामों में 67 छात्रों ने एक साथ टॉप किया है और इन छात्रों को अंक भी एक समान 720 मिले हैं। यह इत्तेफाक तो हो नहीं सकता। आमतौर पर एक या दो छात्र ही टॉप पर आते रहे हैं। आजतक कभी भी इतनी बड़ी संख्या में एक साथ छात्र टॉपर नहीं बने। एक साथ इतने छात्रों का टॉपर हाेना संदेह तो पैदा करता ही है लेकिन एक ही परीक्षा केन्द्र से आठ-आठ टॉपरों का निकल कर आना संदेह को पुख्ता बना देता है कि कुछ न कुछ परीक्षा परिणामों में फिक्सिंग है। एनएटी बार-बार सफाई दे रही है लेकिन उसकी सफाई भी गले नहीं उतर रही। देशभर के छात्रों में आक्रोश फैला हुआ है। एनटीए का कहना है कि एक पेपर में इतनी बड़ी चूक हो गई कि एक ही सवाल के दो-दो सही जवाब दिए गए और दोनों तरह के जवाबों को एनटीए ने सही माना और इस कारण एक सवाल के सही जवाब के कारण 44 टॉपर बढ़ गए। एनटीए का जवाब किसी के भी गले नहीं उतर रहा। परीक्षा देने वाले छात्रों का कहना है कि जिस केन्द्र के आठ टॉपर आए हैं उसी केन्द्र के छात्रों के ग्रेस मार्क्स भी दिए गए हैं जबकि एनटीए ने ग्रेस मार्क्स देने के िलए कोई कमेटी नहीं बनाई और कोई मानदंड भी तय नहीं किए कि किस को कितने ग्रेस मार्क्स देने हैं और क्यों देने हैं। जो सवाल खड़े हुए हैं उनका जवाब तो सामने आना ही चाहिए।
ऐसा नहीं है कि मेडिकल परीक्षा पर पहली बार सवाल उठे हैं। नौ साल पहले नीट का गठन नहीं हुआ था तब आल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) हुआ करता था। तब एनटीए नहीं बनीं थी और इस परीक्षा का आयोजन सीबीएसई खुद करती थी। उस वक्त आरोप लगे थे कि इलेक्ट्रानिक डिवाइस के जरिए धांधली की गई है। सवालों के जवाब परीक्षा केंद्र पर छात्रों को भेजे गए। सुप्रीम कोर्ट ने उस साल 15 जून को परीक्षा रद्द कर दी थी। कोर्ट ने चार हफ्ते के अंदर फिर से परीक्षा लेने का आदेश दिया था। तब सरकार की तरफ से कोर्ट में यह दलील दी गई कि 44 छात्र धांधली में शामिल थे और ऐसे में 6.3 लाख छात्रों से दोबारा परीक्षा नहीं दिलवाई जा सकती। इस पर तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर एक भी छात्र गैरकानूनी तरीके से फायदा पहुंचता है तो पूरी एक्जाम प्रक्रिया बिगड़ जाती है। यह बात 2015 की है। इसी तरह की हरकतों को रोकने के लिए बाद में एनटीए का गठन हुआ था लेकिन अब 2024 के नतीजों ने वैसे ही सवाल फिर खड़े कर दिए हैं और खासकर एनटीए के कंडक्ट पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या इन नतीजों और रैंकिंग को छात्र सही मानें जो इस बार आए हैं या फिर परीक्षा फिर से कराई जाए? क्या होगा यह तो आने वाले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट के रुख से पता चलेगा लेकिन नीट की इस विवादित परीक्षा पर अब सियासतदान भी कूद गए हैं। पेपर लीक धांधली और भ्रष्टाचार नीट सहित कई परीक्षाओं के अभिन्न अंग बन गए हैं। इस मामले की निष्पक्ष जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी ही चाहिए। लाखों छात्रों के साथ ऐसा घोटाला अस्वीकार्य आैर अक्षम्य है। लाखों छात्रों की आवाज को अनसुना करना उचित नहीं है। क्योंकि इससे आक्रोश का विस्फोट होने की आशंकाएं बनी रहती हैं।