नोबेल पुरस्कार विजेता की चेतावनी
नोबेल पुरस्कार फ़िजिक्स, कैमिस्ट्री, मेडिसिन, साहित्य और शांति के क्षेत्र में दिए जाने वाले पुरस्कार हैं। ये पुरस्कार उन लोगों को दिये जाते हैं जिन्होंने पिछले 12 महीनों में "इंसानियत की भलाई के लिए सबसे बेहतरीन काम किया है।" ये बात स्वीडन के बिज़नेसमैन और डाइनामाइट का अविष्कार करने वाले अल्फ्रेड नोबेल ने कही थी। वो अपनी कमाई का ज़्यादातर हिस्सा पुरस्कार लॉन्च करने के लिए एक फंड में छोड़ गए थे। इसे पहली बार 1901 में दिया गया था। साल 1968 में स्वीडन के सेंट्रल बैंक ने इकोनॉमिक साइंसेस को इसमें जोड़ा।
नोबेल पुरस्कारों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इनके माध्यम से प्रतिभाओं को सम्मान तो दिया ही जाता है और सम्मान पाने वाले लोगों को अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा भी हासिल होती है। नोबेल शांति पुरस्कार पर तो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नजरें लगी रहती हैं। यह पुरस्कार ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है जिसने सेना की तैनाती को कम करने और शांति को स्थापित करने या बढ़ावा देने के लिए देशों में सबसे बेहतरीन काम किया। यह विडम्बना ही रही कि सिर्फ अहिंसा की बदौलत भारत को आजादी दिलाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नोबेल पुरस्कार नहीं िमला जबकि उनको पांच बार नामांकित किया गया। नोबेल पुरस्कार भी विवादों आैर आलोचना से परे नहीं रहे। अन्य वर्गों में पुुरस्कार इन्सानियत की भलाई करने वाले लोगों को दिए जाते हैं। नोबेल पाने वाले भारतीयों में रवीन्द्र नाथ टैगोर, हरगोविन्द खुराना, सी.वी. रमन, वी.ए.एस. नायपाल, वैंकट रामाकृष्णन, मदर टैरेसा, सुब्रामण्यम चन्द्रशेखर, कैलाश सत्यार्थी, आर.के. पचौरी, अमर्त्य सेन आैर अभिजीत बनर्जी शामिल हैं। अब नोबेल पुरस्कारों की घोषणा एक के बाद एक की जाने लगी है। अब तक मेडिसिन और भौतिक वर्ग में पुरस्कारों की घोषणा की जा चुकी है। मेडिसिन आैर फिलोस्फी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिक विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को दिया गया है।
विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन दोनों यह जानने के इच्छुक थे कि अलग-अलग सेल्स टाइप कैसे विकसित होते हैं। तब उन्होंने माइक्रोआरएनए की खोज की जो छोटे आरएनए मॉलिक्यूल्स का एक नया वर्ग है। ये जीन विनियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी अभूतपूर्व खोज ने जीन विनियमन के एक बिल्कुल नए सिद्धांत को दुनिया के सामने रखा है जो इंसानों के अलावा बहुकोशिकीय जीवों के लिए कारगर साबित होगी। अब यह पता चल गया है कि मानव जीनोम एक हज़ार से अधिक माइक्रो-आरएनए के लिए कोड करता है। उनकी आश्चर्यजनक खोज ने जीन विनियमन के एक बिल्कुल नए आयाम को उजागर किया। माइक्रो-आरएनए जीवों के विकास और कार्य करने के तरीके के लिए मौलिक रूप से महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं।
भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार आर्टीफिशियल इंटैलीजैंसी के गॉड फादर कहे जाने वाले जैफ्री ई. हिंटन और अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन जे. होपफील्ड को मिला है। उन्हें मशीन लर्निंग से जुड़ी नई तकनीकों के विकास के लिए ये सम्मान दिया गया है जो आर्टिफिशियल न्यूरॉन्स पर आधारित है। इससे मशीनों को इंसानी दिमाग की तरह सोचना और समझना सिखाया जाता है। जैफ्री को जिस मशीन लर्निंग के लिए नोबेल मिला है उन्होंने उसी के विकसित रूप एआई को मानवता के लिए खतरा बताया था। उन्होंने 2023 में एआई के विरोध में गूगल से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा था-एआई से बड़ी संख्या में नौकरियां खत्म हो जाएंगी। समाज में गलत सूचनाएं तेजी से फैलेंगी, जिसे रोक पाना संभव नहीं होगा। जैफ्री ने एआई के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हुए अफसोस जताया था। वहीं, नोबेल देने की घोषणा करते हुए कमेटी ने कहा कि दोनों वैज्ञानिकों ने दुनिया को नए तरीके से कंप्यूटर का इस्तेमाल करना सिखाया है।
नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद प्रोफैसर हिंटन ने एआई प्रौद्योिगकी की तीव्र प्रगति को लेकर और सम्भावित खतरों की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि एआई का औद्योिगक क्रांति के समान ही बहुत बड़ा प्रभाव होगा। शारीरिक शक्ति को बढ़ाने की बजाय यह लोगों की बौधिक क्षमताओं को बढ़ाएगा। हमारे पास ऐसी चीजें होने का कोई अनुभव नहीं है जो हम से ज्यादा स्मार्ट हो। एआई हमें बेहतर हेल्थ सर्विसेज दे सकता है, अधिक कुशल बना सकता है। उत्पादकता में सुधार ला सकता है लेकिन हमें चीजों के िनयंत्रण से बाहर हो जाने के खतर ेकी िचंता भी करनी चाहिए। उनका ईशारा एआई के दुरुपयोग को लेकर है। उन्होंने संदेश दे दिया है कि एआई का इस्तेमाल नैतिक िवचारों और जिम्मेदार विकास के लिए किया जाए। एआई की ताकत का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाना चािहए। भौतिक विज्ञानी के इस सावधानी भरे रुख से एआई के बढ़ते इस्तेमाल और नैतिकता के बारे में चल रही बहस का विस्तार करेगा। यह तय मनुष्य को करना है कि वह एआई का इस्तेमाल कैसे करता है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com