भाजपा के लिए कड़ी गठबंधन परीक्षा
भाजपा को अपने तीसरे कार्यकाल में कड़ी गठबंधन परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है और इसके संकेत काफी स्पष्ट थे क्योंकि उसके सहयोगी, नीतीश कुमार की जद (यू) ने सेना के लिए अग्निपथ भर्ती योजना की समीक्षा, जाति आधारित जनगणना और बिहार को विशेष दर्जे के लिए अपने समर्थन को दोहराया। इस बीच सूत्रों के मुताबिक चंद्रबाबू नायडू अपने राज्य आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे के अलावा अपनी पार्टी के लिए लोकसभा अध्यक्ष पद की भी उम्मीद कर रहे हैं। चर्चा यह भी है कि कमजोर प्रदर्शन के बाद बीजेपी के भीतर ही कुछ दरार उभरने लगी है। एक अन्य सूत्र ने उल्लेख किया कि गठबंधन के साझेदार, विशेष रूप से नायडू और नीतीश के नेतृत्व वाले क्षेत्रीय दल, जानते हैं कि वे फॉस्टियन सौदेबाजी में प्रवेश कर सकते हैं और सावधान रहेंगे। इससे इंडिया गठबंधन के पास अवसर और संभावनाएं खुली रहती हैं।
गठबंधन दलों की नाराजगी
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने नवगठित नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट पदों के आवंटन पर नाराजगी और निराशा व्यक्त की और इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि वे इस पूरी आवंटन प्रक्रिया को मंत्री पदों के वितरण में पक्षपात के रूप में देखते हैं। वहीं इससे पहले अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने कहा कि पार्टी भाजपा द्वारा दिए जा रहे राज्य मंत्री के पद को स्वीकार करने के बजाय कैबिनेट पद का इंतजार करेगी। हालांकि शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने सरकार को बिना शर्त समर्थन देने का अपना रुख दोहराया, साथ ही पार्टी ने राष्ट्र निर्माण के प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की आवश्यकता को सशक्त बनाया।
दूसरी ओर 2004 के बाद से एनडीए के सबसे पुराने सहयोगियों में से एक, आजसू की ओर से भी नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल न किए जाने पर असहमति की अभिव्यक्ति सामने आई है। आजसू के एकमात्र सांसद गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने भी निराशा व्यक्त की है। आजसू के एकमात्र सांसद गिरिडीह से सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने मंत्रिमंडल में उन्हें नजरअंदाज किए जाने पर निराशा जताई है और संकेत दिया है कि इसका असर इस साल बाद में होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है।
भाजपा में नए अध्यक्ष के लिए कवायद
भाजपा नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए आगे बढ़ रही है, क्योंकि निवर्तमान जेपी नड्डा मोदी 3-0 कैबिनेट में शामिल हो गए हैं। नड्डा को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री के साथ-साथ रसायन एवं उर्वरक मंत्री भी नियुक्त किया गया है। पार्टी के सूत्रों ने संकेत दिया कि पीएम मोदी के इटली दौरे से लौटने के बाद पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष चुना जाएगा। कार्यकारी अध्यक्ष का चयन पार्टी के संसदीय बोर्ड द्वारा किया जाता है। बोर्ड नड्डा को अपने पद पर बने रहने और कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए भी कह सकता है। बीजेपी के संविधान के मुताबिक, 50 फीसद राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है। सदस्यता अभियान जुलाई में शुरू होगा और करीब छह महीने तक चलेगा। दिसंबर-जनवरी में नए राष्ट्रपति का चुनाव होगा।
राष्ट्रीय राजनीति में ताल ठोकेंगे अखिलेश !
लोकसभा चुनावों में यूपी में पार्टी के शानदार प्रदर्शन से उत्साहित समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव पीडीए के संदेश को फैलाने के लिए तैयार हैं और उन्होंने अन्य राज्यों में भी अपना प्रभाव बढ़ाने का फैसला किया है। अखिलेश ने राष्ट्रीय राजनीति में उतरने का भी फैसला किया है। इस क्रम में उन्होंने कन्नौज लोकसभा क्षेत्र को बरकरार रखने के लिए करहल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। यादव ने यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद से भी इस्तीफा दे दिया है। दरअसल पार्टी नेताओं के बीच आम सहमति थी कि उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन की जीत के बाद उन्हें समाजवादी पार्टी को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने के लिए केंद्रीय राजनीतिक क्षेत्र में जाना चाहिए। 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी के विजय रथ को रोककर अखिलेश राष्ट्रीय राजनीतिक मंच पर प्रमुखता से उभरे हैं। जिस उत्तर प्रदेश में भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में 62 सीटें मिलीं थीं, वहां इसकी संख्या 2024 के संसदीय चुनाव में घटकर 33 रह गई और संख्या में आई इस भारी गिरावट ने ही भाजपा को लोकसभा में अपने दम पर बहुमत हासिल करने से रोक दिया। यहां सपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उत्तर प्रदेश में 37 सीटें जीतकर वह भाजपा और कांग्रेस के बाद देश में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई। पार्टी का वोट शेयर भी बढ़कर 33.38% हो गया, जो 2019 में 18.11% था। इससे पहले, 2004 में सपा ने 35 सीटें जीती थीं।