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मुस्लिमों को भड़काने की कोशिशें चल रही हैं

04:02 AM Apr 17, 2024 IST | Shera Rajput
मुस्लिमों को भड़काने की कोशिशें चल रही हैं

व्हाट्सऐप के यदि लाभ हैं तो कुछ हानियां भी हैं। 2024 के चुनाव से पूर्व इस प्रकार के वीडियो व्हाट्स ऐप द्वारा भेजे जा रहे हैं कि जिनसे मुस्लिम तबक़ा खौफजदा हो रहा है। उदाहरण के तौर पर एक बहुत बड़े व नामचीन, आलिम-ए-दीन का वीडियो वायरल हो रहा है कि जिसमें उन्होंने शुरुआत तो अच्छी की है कि मुस्लिमों से कहा है कि सभी को वोट डाल कर आना है, जो कि एक संवैधानिक और जायज़ बात है। हां, एक-एक मुसलमान से वोट डालने का कारण उन्होंने बताया है, उसमें झोल है बल्कि खतरनाक है, क्योंकि उन्होंने मुस्लिमों से कहा है की अगर मौजूदा सत्ताधारी दल यदि फिर सत्ता में आता है तो बेतहाशा जुल्म-ओ-सितम ढाया जाएगा, सत्ताधारी वर्ग मुसलमानों का जीना हराम कर देगा।
अपनी खानकाह से यह भड़काऊ बयान देने वाले वे पहले आलिम नहीं बल्कि अन्य कई बुद्धिजीवी और उलेमा इस प्रकार की बातें कहते सुनाई दे रहे हैं कि यह अंतिम चुनाव है और इसके बाद पूर्ण सत्ता प्राप्ति पर संविधान बदल दिया जाएगा। इस प्रकार के बयान जारी करने वाले वे अकेले नहीं हैं बल्कि चंडूखाने से लाए इस लंपटवादी तथ्य की बौछार सी आई हुई है। गैर सरकारी जानकारी के आधार पर भारत के लगभग 30 करोड़ मुसलमान इस प्रकार के मनगढ़ंत तथ्य और अफवाह के आधार पर डराया जा रहा है।
अफवाहों से बचें मुस्लिम यह कुछ इसी प्रकार का झूठ और अफ़वाह है जैसा कि 2014 के चुनाव से पूर्व मुसलमानों को यह कह कर भटकाया और भड़काया जा रहा था कि मोदी प्रधानमंत्री बन गए तो मुसलमानों को अत्याधिक प्रताड़ित किया जाएगा। 2014 के चुनाव से पहले इसी प्रकार का माहौल बनाया जा रहा था और कहा जा रहा था कि वे पूर्ण भारत को गुजरात बना देंगे। बिल्कुल सही, मोदी जी ने पूरे भारत को गुजरात बना दिया, खुशहाली और प्रगति के आधार पर, मुस्लिमों के एक हाथ में कुरान और एक में कंप्यूटर देने के आधार पर, सैंकड़ों जनहित स्कीमें देने के आधार पर अन्य विकास योजनाओं से जनता का लाभान्वित होना हो, 15 वर्ष गुजरात को विकसित करने के बाद भारत को गुजरात जैसा ​िवकसित कर रहे हैं। पिछले दस साल में दंगे केवल दो स्थानों पर हुए, पहले मुजफ्फरनगर, जहां समाजवादी पार्टी की सरकार थी और दिल्ली जहां केजरीवाल सरकार है।
कुछ लोग जिनमें मुस्लिमों के अतिरिक्त विपक्षी भी हैं, उन्हें भड़काते चले आए हैं कि सीएए, एनआरसी, एनपीआर आदि ऐसे कानून हैं जिनके काग़ज़ न होने पर उनकी राष्ट्रीयता समाप्त कर दी जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंपों में ठूंस दिया जाएगा जो सरासर बकवास है क्योंकि सीएए से हिंदुस्तानी मुसलमानों का कोई लेना देना नहीं और एनआसी भारत में घुसपैठ कर गैर कानूनी बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं के विरुद्ध है, जबकि एनपीआर मात्र देशवासियों के नाम, पते आदि की लिस्ट है। जो विपक्षी, मुसलमानों को डराते-धमकाते हैं कि यह सरकार 2024 में उन्हें देश निकाला देगी, किसी भारतीय मुस्लिम को देश से नहीं निकाला जा सकता क्योंकि देश को आज़ादी दिलाने में वतन की मिट्टी में उसकी कुर्बानियों का ख़ून मिला हुआ है।
मुसलमानों को डराने वाले वे सत्ता के ठेकेदार हैं, जो देश में एक अन्य मोदी विरोधी सरकार के अंदरखाने शह दे रहे हैं। वे आए दिन मुस्लिमों को भ्रमित करते रहते हैं कि संघ परिवार और भाजपा उनको समाप्त करने पर तुले हैं, जो सरासर गलत है जिसका प्रमाण मोदी के पिछले दस वर्ष का ट्रैक है। मोदी ने सत्ता में क़दम रखते ही, सबसे पहले निर्धन गुजराती पतंगसाज मुस्लिमों को 50 करोड़ रुपये से उद्धार किया। बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं क्योंकि इस मदद के बाद मोदी ने इसका डंका नहीं पीटा था कि मुस्लिमों का तुष्टिकरण किया जा रहा है, सिवाय इसके कि गांधी नगर के एक अख़बार, में एक छोटी सी रिपोर्ट आ गई, क्योंकि मोदी तुष्टिकरण नहीं बल्कि मुस्लिमों के सशक्तिकरण में विश्वास रखते हैं और अपने मुस्लिम मंत्र, "मुस्लिम हमारी संतान की भांति हैं और हम उनके साथ बराबरी का सलूक करना चाहते हैं", पर मात्र मौखिक रूप से नहीं बल्कि ज़मीनी सतह पर अपने एक अन्य मंत्र, "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास" की छाया में सभी को साथ लेकर चलते हैं। यही कारण है कि मस्जिदों में उनके लिए "इस बार मोदी सरकार" और "अब की बार 400 पार" के लिए अल्लाह से दुआएं की जा रही हैं।
मोदी-मुस्लिम यूइसपी अगर इसी प्रकार की दुआएं मुस्लिम तबका, अर्थात् मुस्लिम दादियां, शाहीन बाग से भी करतीं, तो मोदी-यूएसपी, ऐसी प्रगाढ़ मित्रता में बदल जाते कि आने वाली नस्लों के लिए यह एक मिसाल बन जाती। मगर खेद का विषय तो यह है कि उन दादियों के भड़का कर भटका दिया जिसके कारण उन्होंने मोदी और अमित शाह को झोलियाँ फैला कर कोसने और बददुआएं दीं। यदि वे दुआएं करती कि ऐ अल्लाह मोदी और अमित शाह हमारी औलादों की माफिक हैं, उन्हें नेकी से नवाज़ दे और वे बजाए एनआरसी के काग़ज़ मांगने के हमारे मुहाफिज, रक्षक और सिपाही बन जाएं तो इसका डोमिनो इंपैक्ट पड़ता और कोई अजब नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयं शाहीन बाग आ कर इन्हें गले लगा लेते और कहते कि डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। जय हिंद।

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