ईरान-इजराइल तनाव के बीच मिस्र की बड़ी पहल, भारत के इस दुश्मन को लगा बड़ा झटका
मिस्र की बड़ी पहल से भारत के इस दुश्मन को लगा झटका
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इस जंग को रोकने के लिए कई देशों के नेताओं से बात की थी. उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, कुवैत, ओमान, सूडान जैसे देशों के प्रमुखों से संपर्क साधा था. साथ ही, तुर्की के विदेश मंत्री ने रूस और ब्रिटेन के अपने समकक्षों से भी इस संघर्ष को शांत करने की पहल की थी.
Iran-Israel War: मिडिल ईस्ट में बढ़ते ईरान-इजराइल तनाव के बीच मिस्र ने कूटनीतिक मोर्चे पर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिससे तुर्की को बड़ा झटका लगा है. मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती ने ईरान और अमेरिका के अधिकारियों के साथ बातचीत कर शांति की दिशा में प्रयास तेज किए हैं. इस पहल को तुर्की के लिए झटका माना जा रहा है क्योंकि वह लगातार खुद को मध्यस्थ के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहा था.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इस जंग को रोकने के लिए कई देशों के नेताओं से बात की थी. उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, कुवैत, ओमान, सूडान जैसे देशों के प्रमुखों से संपर्क साधा था. साथ ही, तुर्की के विदेश मंत्री ने रूस और ब्रिटेन के अपने समकक्षों से भी इस संघर्ष को शांत करने की पहल की थी. हालांकि तमाम प्रयासों के बावजूद कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया और तुर्की केवल तैयारी की स्थिति में ही रह गया.
मिस्र ने बढ़ाया कूटनीतिक दबाव
मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती ने ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची और अमेरिका के मिडिल ईस्ट मामलों के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से अलग-अलग फोन पर बातचीत की. उन्होंने दोनों पक्षों से तनाव कम करने और वार्ता के जरिए समाधान निकालने की अपील की. अब्देलती ने कहा कि युद्ध और हिंसा से पूरे क्षेत्र की स्थिरता को खतरा है और इसका असर सभी पर पड़ेगा.
युद्ध नहीं, बातचीत है समाधान
बद्र अब्देलती ने स्पष्ट किया कि यदि तुरंत युद्ध विराम नहीं होता, तो हालात नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं. उनका कहना था कि मध्य पूर्व पहले से ही संवेदनशील है और हिंसा की बढ़ोत्तरी से पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैल सकती है. उन्होंने बल देते हुए कहा कि सैन्य समाधान के बजाय राजनीतिक बातचीत ही एकमात्र टिकाऊ विकल्प है.
एर्दोगन के छिपे इरादे?
सूत्रों के अनुसार, तुर्की की मध्यस्थता की मंशा केवल शांति स्थापना तक सीमित नहीं थी. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई के सलाहकार अली अकबर वेलायती ने हाल ही में बताया कि तुर्की की मंशा ‘जंगेजूर कॉरिडोर’ परियोजना को आगे बढ़ाने की थी. यह कॉरिडोर अर्मेनिया के स्यूनिक प्रांत से होकर अजरबैजान को तुर्की से जोड़ता, जिससे ईरान की रणनीतिक स्थिति को नुकसान होता. संभवतः एर्दोगन इसी परियोजना के लिए ईरान से संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे थे.
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