बदलते कश्मीर में एक साथ मनाई गई ईद और नवरेह!
आज उनकी बात सच हो गई क्योंकि लगभग चार दशकों की उथल-पुथल व आतंकवाद
कश्मीर के ऊपर एक फिल्मी गीत में मुहम्मद रफी ने गाया था ः-
‘हर चेहरा यहां चांद, हर ज़र्रा सितारा
यह वादी-ए-कश्मीर है, जन्नत का नजारा’
आज उनकी बात सच हो गई क्योंकि लगभग चार दशकों की उथल-पुथल व आतंकवाद के बाद आज कश्मीर की वही पुरानी रौनक़ लौट आई जिसके बारे में कहा जाता था कि विश्व के पूर्वी छोर का स्विट्ज़रलैंड है। नवरेह कश्मीरी पंडितों के नववर्ष का एक त्यौहार होता है जो हिंदू कैलेंडर के चैत्र मास के शुक्ल पक्ष का प्रथम दिवस होता है और इसे कश्मीर ही नहीं पूर्ण देश में मनाया जाता है। यह चांद के अनुसार, मार्च या अप्रैल में आता है और नवरात्रों के प्रथम दिवस पर समाप्त होता है। सूफ़ी संतों जैसे, सैयद अली हमदानी, नंद ऋषि नूरुद्दीन वली, लालदेद व हब्बा खातून की कर्म स्थली कश्मीर आज उसी प्रकार से शांतिमय वातावरण में लौट गई है जैसे उनके समय में हुआ करती थी। वह कश्मीर की ऋषि और सूफी परंपरा है जो यहां के इतिहास में मुसलमानों और पंडितों के साथ सिखों के दिलों को भी जोड़ती है।
चूंकि इस बार ईद और नवरेह एक साथ ही पड़ गए तो जहां-जहां कश्मीरी हैं, भले ही वे किसी भी धर्म के हों, मिल कर नवरेह मनाते हैं, जिस में वाजवान और कश्मीरी चाय, कहवा की पार्टी होती है। इस बार एक साथ जिस धूमधाम के साथ नवरेह और ईद का त्यौहार मनाया गया, ईमानदारी से यह दसेक साल तक किसी ने सोचा भी नहीं था।
एक तरफ हजरत बल दरगाह मैदान में हजारों मुस्लिम हजरात एक दूसरे के गले लगकर ईद की बधाइयां देते हैं और वहीं दूसरी तरफ खीर भवानी मंदिर में कश्मीरी पंडित नवरेह के पर्व पर घंटी बजाकर मां भवानी की आरती करते हैं। यह किसने सोचा था। एक दशक पहले जिस श्रीनगर में आतंक का बोलबाला था, वही श्रीनगर यदि अमन और कश्मीरियत की मिसालें प्रस्तुत कर रहा है तो इसके लिए कश्मीर के आवाम के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को भी साधुवाद देना पड़ेगा। मोदी को विशेषकर इसलिए भी क्रेडिट देना होगा कि जब 2014 में वे नए-नए प्रधानमंत्री बने थे तो बड़ा भयंकर सैलाब आया था कश्मीर में, जिसके लिए उन्होंने न केवल हजारों करोड़ की सहायता की थी, बल्कि भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के जवानों को भी कश्मीरियों की मदद पर लगा दिया था।
एक सक्षम सरकार क्या होती है, एक संवेदना के साथ गवर्नेंस की पद्धति क्या होती है, यदि किसी को देखना है तो आज के कश्मीर को देख सकते हैं। 1989 से लेकर 2019 तक के दौर को जिसने भी देखा है उसे यह विश्वास करना मुश्किल होता है कि अलगाव के शोर के साथ रह रही 30 साल की नौजवान पीढ़ी और उनकी जिंदगी पर खतरे के डर के साए में रह रहे उनके माता-पिता के कश्मीर का यह सुखद बदलाव कैसे संभव हो पाया। आज कश्मीर में अमन है, लोगों में भारत के लिए जबरदस्त जज्बा है और यह यकीन है कि अब कश्मीर आगे बढ़ चुका है और सचमुच भारत का सिरमौर बनने की ओर अग्रसर है।
किसी ऐतिहासिक भूल पर स्यापा करने के बजाय यदि भूल सुधारने का कोई दृढ़ विश्वास के साथ चलता है तभी धरती के स्वर्ग की रौनक वापस आती है। यही विश्वास प्रधानमंत्री मोदी ने दिखाया और इस विश्वास पर खरा उतरने का दृढ़ संकल्प गृहमंत्री अमित शाह ने किया और निरंतर उसी राह पर आगे भी बढ़ रहे हैं। गृहमंत्री अमित शाह कुछ ही दिनों में फिर से कश्मीर जा रहे हैं। उनकी इस यात्रा का मकसद हाल की कुछ आतंकी घटनाओं की समीक्षा और सुरक्षा एजेंसियों की रणनीति को और कसने की तो है ही, साथ ही वे इस ख्याल से भी जा रहे हैं कि कश्मीर के लोगों के लिए जो विकास की योजनाएं चल रही हैं, उसकी गति की भी जांच हो जाए और जनता के दुख-सुख का प्रत्यक्ष अनुभव भी हो जाए।
मोदी और शाह की जोड़ी ने सिर्फ कश्मीरी लोगों का दिल ही नहीं जीता है, बल्कि अजित डोभाल के साथ कश्मीर को लेकर पाकिस्तान और उसके समर्थक देशों द्वारा दशकों से चलाए जा रहे षड्यंत्र को भी पूरी तरह परास्त कर दिया है। अब पाकिस्तान खुद स्वीकार करता है कि कश्मीर की जंग वह हार चुका है। पाकिस्तानी के लेखिका याना मीर के शब्द हैं- कश्मीर के लोग भारत के साथ खुश हैं क्योंकि पाकिस्तान एक आतंकिय फेल्ड स्टेट बन चुका है लेकिन पाकिस्तान खुले रूप से माहौल बिगाड़ना चाहता है जिसमें वह सफल नहीं होगा।
अब पाकिस्तान भारत से कश्मीर लेने की नहीं, पीओके को बचाने, बलूचिस्तान और गिलगित को टूटने से रोकने के जद्दोजहद में लगा हुआ है। पाकिस्तान से अलग होने और खुद को आजाद करने की जो तहरीक पाकिस्तान में चल रही हैं उनके सामने भारत और मोदी का कश्मीर मॉडल दिखने लगा है। वे अब खुल कर कह रहे हैं कि पाकिस्तान के साथ उनकी तरक्की संभव नहीं है, क्योंकि उनके पास आवाम की आवाज पहचानने वाले और जनता के लिए शिद्दत के साथ काम करने वाले मोदी और शाह जैसे नेता नहीं हैं। पाकिस्तानी नौजवानों द्वारा मोदी के गुणगान के वीडियो कोई नई बात नहीं। वे कहते हैं कि शाहबाज और मोदी का कोई मुकाबला ही नहीं।
कश्मीर में यह नया बदलाव एक दिन में नहीं आया है, इसके लिए पूरी केन्द्र सरकार दीर्घकालीन नीति पर काम कर रही है। सबसे पहले कश्मीर की शांति के लिए नासूर बने मुद्दों की पहचान की गई, कश्मीर की बर्बादी के लिए जिम्मेदार वंशवाद की राजनीति पर प्रहार किया गया, शरारती तत्वों से संचालित हो रहे आतंकवाद और कथित जिहाद को समाप्त किया गया, नीतियों में अकर्मण्यता और जड़ता को खत्म किया गया और जनता द्वारा चुने गए स्थानीय शासन की पद्धति को बहाल किया गया व कश्मीर में आतंकवादियों को मुहम्मद अली क्ले जैसे नॉकआउट पंच के जरिए जहन्नुम में पहुंचा देने की रणनीति बनाई गई।
आज कश्मीर के लोग खुद कहते हैं कि वे खुली हवा में सांस ले रहे हैं, राज्य में धड़ाधड़ स्कूल, क्रीड़ांगन, पार्क और हॉस्पिटल बन रहे हैं, उनके बच्चे भी देश के अन्य बच्चों की तरह पढ़ रहे हैं, अब उनके अंदर भी “हुब्बल वतनी) निस्फुल ईमान” अर्थात एक मुस्लिम के लिए वतन से वफादारी ही उसका आधा, बल्कि पूरा ईमान है, की भावना घर करती जा रही है ताकि कश्मीर और भारत का नाम ऊंचा करे।
कश्मीर में स्थायी शांति के लिए केन्द्र सरकार ने एक नहीं कई कदम उठाए हैं। खुद अमित शाह ने गृहमंत्री के रूप में 5 अगस्त 2019 में बिना किसी अप्रिय घटना के कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त कर दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया था। आज जो भी कश्मीर घूमने जाता है, उसको तुरंत एहसास हो जाता है, कि मोदी और शाह ने कश्मीर के विकास को कितनी प्राथमिकता दी है। उत्तर भारत को कश्मीर से जोड़ने वाला बसोली का अटल सेतु हो, या फिर श्रीनगर, जम्मू और लेह के एयरपोर्ट हो, या सेब और काजू के बागात हों, सब में एक नई ताजगी नजर आती है।
कश्मीर घाटी में रेलवे के काम अब विश्व में नाम करने लगे हैं। दुनिया का सबसे ऊंचा रेल आर्क ब्रिज बन कर तैयार है, नई दिल्ली से कटरा तक नया एक्सप्रेस वे भी अब जनता के लिए उपलब्ध है। दो एम्स कश्मीर में आ चुके हैं। बिजली के मामले में भी जम्मू कश्मीर नया रिकॉर्ड बनाने जा रहा है। कई हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स के साथ लेह में दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पावर प्रोजेक्ट लग रहा है। नए आईआईटी और मेडिकल कॉलेज भी बन रहे हैं। कश्मीर में अब पहले से ज्यादा पर्यटन के आकर्षण केंद्र विकसित हो गए हैं।