हिंदू धर्म में क्यों माना जाता है एकादशी व्रत को सबसे पवित्र और खास, जानें इस व्रत का महत्व
Ekadashi Importance in Hindu Religion: हिंदू धर्म में एकदशी का बहुत महत्त्व है। यह व्रत करने से जीवन में सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। अगर आपसे कभी जान कर या अनजाने में कोई गलती हो गई है, तो इस व्रत को करने से सारे बुरे कर्म नष्ट हो जाते हैं। यहां तक की पिछले जन्म के पाप कर्मों से भी मुक्ति मिलती है। साल में 24 एकादशी पड़ती हैं। अधिक मास होने पर 26 एकादशी के व्रत पड़ते हैं।
एकादशी के व्रत में जगत के पालन कर्ता श्री हरि विष्णु की पूजा का प्रावधान है। एकादशी का व्रत पूरे नियमों के साथ करने से व्यक्ति के सारे संकट दूर होते हैं। परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। धन और अन्न की कोई कमी नहीं रहती है। आइए एकादशी के महत्व के बारे में जानते हैं।
Ekadashi Importance in Hindu Religion: एकादशी का धार्मिक महत्व
एकादशी व्रत को पाप नाशिनी तिथि भी कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। पद्म पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, एकादशी व्रत का पालन करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके जीवन में धर्म, अर्थ, काम की कमी नहीं होती है।
Ekadashi Vrat Kyu Rkhte Hai: एकादशी व्रत का लाभ
1. अपरा एकादशी का व्रत वैशाख के महीने में रखा जाता है। मोहिनी एकादशी का व्रत करने से विवाह से संबंधित परेशानियां दूर होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। अपरा एकादशी पापों से मुक्ति पाने के लिए की जाती है।
2. ज्येष्ठ माह की निर्जला एकादशी का बहुत महत्व होता है। इस व्रत के बारे में कहा जाता है कि यह व्रत रखने से सारे व्रत पूर्ण हो जाते हैं। इस माह में योगिनी एकादशी का व्रत भी पड़ता है, यह व्रत करने से पारिवार में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
3. आषाढ़ माह में भी दो एकादशी पड़ती हैं, एक का नाम देवशयनी और दूसरी का नाम कामिका है। देवशयनी का व्रत रखने से परिवार में किसी तरह की कोई कलह नहीं रहती है। कामिका एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4. श्रावण माह में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी का व्रत पुत्र की कामना के लिए रखा जाता है। इस व्रत को करने से पुत्र और संतान की मनोकामना पूर्ण होती है। इसी माह पड़ने वाली अजा एकादशी का व्रत करने से घन संबंधित परेशानियां दूर होती हैं।
5. भादो मास में पड़ने वाली परिवर्तिनी एवं इंदिरा एकादशी भी बहुत शुभ मानी जाती हैं। परिवर्तिनी एकादशी के व्रत से सभी दु:खों का नाश होता है, इंदिरा एकादशी का व्रत करने से पितरों को मुक्ति मिलती है, और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
6. आश्विन माह में पड़ने वाली पापांकुशा के व्रत से मनुष्य के सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह एकादशी धन, संपदा प्रदान करने वाली होती है। इसी माह की रमा एकादशी व्रत करने से हर तरह के सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
7. प्रबोधिनी और उत्पन्ना एकादशी कार्तिक माह में पड़ती हैं। प्रबोधिनी एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है। इसका व्रत करने से दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है और आपके भाग्य में वृद्धि होती है। उत्पन्ना एकादशी व्रत करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्त होती है। इस एकादशी का व्रत एक हजार वाजपेय यज्ञ के समान फल देने वाला होता है।
8. मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली मोक्षदा एकादशी और सफला एकादशी के नाम के समान ही इनका फल प्राप्त होता है। मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। सफला एकादशी का व्रत करने से सभी कार्य सफल होते हैं। इस एकादशी का व्रत करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।
9. सावन माह की तरह पौष माह में भी पुत्रदा एकादशी का व्रत पड़ता है। यह व्रत भी पुत्र की प्राप्ति के लिए किया जाता है। षटतिला एकादशी व्रत करने से दुर्भाग्य दूर होता है, दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त हो जाता है।
10. माघ के माह जया एवं विजया एकादशी का व्रत पड़ता है। मन जाता है कि जया एकादशी का व्रत करने से ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्ति की मिलती है। मृत्यु के बाद व्यक्ति को प्रेत योनि में नहीं रहना पड़ता है। विजया एकादशी पर जो लोग व्रत करते हैं, उन्हें हर तरह की बड़ी से बड़ी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।
11. फाल्गुन माह में आमलकी एवं पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। आमलकी एकादशी का व्रत करने से हर तरह के रोगों से मुक्ति प्राप्त होकर निरोगी काया की प्राप्ति होती है।
12. हर तीसरे वर्ष पर अधिकमास पड़ता है, तब दो एकादशी ज्यादा होती हैं। जिन्हें पद्मिनी (कमला) एवं परमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। पद्मिनी एकादशी पर व्रत करने से सभी मनोकामनाए पूरी होती हैं। इसका व्रत करने से यश कीर्ति प्राप्त होती है। परमा एकादशी पर व्रत रखने से धन-वैभव की कोई कमी नहीं रहती है।
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