इन चुनौतियों को पार कर 2030 तक दुनिया की 'तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था' बनेगा भारत
Challenges facing India भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। लाहांकि कोरोना महामारी, कई देशो में चलने वाले युद्ध के बावजूद यह अपनी गति को रुकने नहीं दिया है। अभी भारतीय अर्थवयवस्था पांचवें नंबर पर है। वित्त वर्ष 2023-24 में GDP ग्रोथ 6.2-6.3% की उम्मीद भारत 2030 तक जापान को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। पिछले 2-3 सालों के अंदर भारत के सामने कई तरह की चुनौतियां थी , लेकिन भारत इन सभी चुनौतियों का व्यापक रुप से सामना किया और इसने अपने विकास को रुकने नहीं दिया। यही वजह है की पूरी दुनियां भारत के आगे नतमस्तक है। लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय अर्थवयवस्था के सामने अभी कई तरह की चुनौतियां हैं। तो आज हम भारत की उन्ही चुनौतियों के बारे में बात करने वाले हैं।
HIGHLIGHTS
- भारत दुनिया के लिए सबसे बड़ा उभरता बाजार
- वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में कमी
- 2030 तक दुनियां की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा भारत
भारत दुनिया के लिए सबसे बड़ा उभरता बाजार
Challenges facing India ऐसे बहुत से कारण है जिससे यह पता चलता है कि इस समय जब पूरी दुनियां की अर्थव्यवस्था के लिए कठिन दौर चल रहा है, और वह जब भारत की अर्थव्यवस्था की ओर नजरें टिकाते हैं तो यह पता चलता है कि भारत अब भी अपनी रफ्तार को कम नहीं किया है। जैसे ई-वे बिल, वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी का संग्रह, क्रेडिट में वृद्धि, बिजली की खपत जैसे कारणों के चलते दूसरी तिमाही में विकास 7 प्रतिशत का आंकड़ा छूने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने भी बजट में से पूंजीगत व्यय का 49 प्रतिशत हिस्सा खर्च कर दिया है जो साल 2022 में इसी समय में किए गए खर्च से 43 प्रतिशत ज्यादा है। आप यह भी समझिए की इस समय चीन सहित मंदी का सामना कर रहे दुनियाभर के कई देशों के सामने एक सबक तो है ही साथ ही दुनिया के लिए एक नई उम्मीद भी है क्योंकि भारत दुनिया के लिए सबसे बड़ा उभरता बाजार भी है।
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में कमी
Challenges facing India दुनियाभर में कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले देशों में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में कमी दर्ज की गई है, जो मंदी की ओर बढ़ती नजर आ रही है। वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट पिछले कुछ महीनों में अपनी उच्चतम कीमतों से लगभग 20 प्रतिशत नीचे आ गया है। लेकिन ये भारत के लिहाज से ठीक है। इसके अलावा भारत में त्योहारों में बाजारों में मांग सबसे ज्यादा देखी जाती है, जो इस बार काफी अच्छी स्थिति में रही, कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अनुसार, इस त्योहारी मौसम के दौरान भारत के खुदरा बाजारों में 3.75 लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड कारोबार हुआ है। इसके अलावा अन्य त्योहारों के दौरान 50 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त व्यापार हुआ है जो भारतीय बाजारों के लिए काफी खुशी की बात है।
भारत के सामने ये है बड़ी चुनौतियां
Challenges facing India हालांकि भारत के सामने अच्छी GDP के बाद भी कई चुनौतियां हैं। जैसे तेल की कीमतें. तेल की कम और बढ़ती कीमतें देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर डालती हैं. आने वाले समय में तेल की कीमतों में नजर रखने की जरूरत है. जल्द ही पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) और उसके सहयोगी (OPEC ) उत्पादन लक्ष्य की समीक्षा करने वाले हैं। ये समूह कीमतों में वृद्धि के पक्ष में हो सकते हैं। वहीं अगर तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो ये भारत के सामने एक चुनौती होगी। इससे बचाव के लिए तेल के आयात में विविधता लाने की जरूरत है। हालांकि पिछले कुछ समय से भारत इस ओर आगे बढ़ रहा है। जैसे 2006 के बाद से भारत ने कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाले देशों की संख्या 27 से बढ़ाकर अब तक 39 कर ली है। वहीं इन सब के अलावा घटती बाहरी मांगे भी एक बड़ी चुनौती है। जिसमें सुधार की बहुत कम उम्मीद नजर आ रही है. साल 2022 में बाहरी मांग 5 प्रतिशत थी जो 2023 में घटकर 1 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है. हालांकि निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) और कॉर्पोरेट दर को कम करने जैसी योजनाएं ला रही है और विदेशी मांग को बढ़ावा देने की कोशिशों में जुटी हुई है।
भारत के पास मौका
जहां एक ओर दुनियाभर के बाकी देश अपनी सप्लाई चेन को चीन से अलग करने की कोशिशों में लगे हुए हैं वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार मुक्त व्यापार में लगातार तेजी लाने की कोशिशों में लगी हुई है। भारत लगातार निजी क्षेत्रों में निवेशों को अपनी ओर लुभाने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा परफार्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव (पीएली) जैसी मैन्युफैक्चरिंग योजनाओं में भी सरकार अपनी रुचि दिखा रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि विकास दर को बढ़ाने और अच्छी स्थिति में रखने के लिए सरकार को सार्वजनिक खर्चों में वृद्धि करने की जरूरत होगी। इसके अलावा दुनिया के कई देशों के मुकाबले भारत की विकास दर अभी अच्छी स्थिति में है. इसे बनाए रख भारत नए मौकों की तलाश कर सकता है और भारतीय बाजारों पर लोगों की निर्भरता को बढ़ा सकता है।
2030 तक दुनियां की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा भारत
वैसे देखा जाए तो 1991 से भारत में बहुत ही तेज आर्थिक प्रगति हुई है जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गयी है और भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरकर सामने आया। भारत की अर्थव्यवस्था में सुधारों से पहले भारतीय उद्योगों और व्यापार पर सरकारी नियन्त्रण का बोलबाला था और सुधार लागू करने से पहले इसका जोरदार विरोध भी हुआ। और दुसरा दौर प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में शुरु हुआ। जब से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता संभाली तब से भारतीय अर्थव्यवस्था में और भी ज्यादा उछाल आया है। देश में तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपनी गती कम नहीं होने दी, और भारत वैश्विक अर्थव्यवस्ता में 5वें पायदान पर है। और यह माना जा रहै है कि भारतिय अर्थव्यवस्था 2030 तक दुनियां की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरेगी ।
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