बिना जन्म तारीख के कैसे पता करें अपना लकी नम्बर?
लकी नम्बर: जन्म मूलांक निकालने के कई तरीके प्रचलन में हैं। कुछ अंक शास्त्री केवल जन्म की तारीख के मूल अंक को ही मूलांक मान लेते हैं। जब कि कुछ यह समझते हैं कि मूलांक में जन्म तारीख के साथ ही जन्म का मास और वर्ष के अंकों की भी गणना करनी चाहिए। दोनों ही पद्धतियां अपने आप में पूर्ण हैं। अंक-विज्ञान या आप कह सकते है कि किसी भी निगूढ़ विद्या की यह विशेषता होती है कि उसमें टूल्स बहुत ज्यादा महत्त्व नहीं रखते हैं। हम जिस भी पद्धति को काम में लेते हैं उसी के आधार पर परिणाम निकलने लगते हैं। जन्म दिनांक से मूलांक का पता लगाना सहज है और यह जनमानस में पर्याप्त लोकप्रिय भी है, तथापि यह बहुत सैद्धांतिक नहीं है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि यह एक स्थूल गणना की अनुशंसा करता है। इसके साथ यह भी सत्य है कि लोकप्रियता कभी भी क्वालिटी की गारंटी नहीं हो सकती है। वैसे भी आम आदमी सहजता की तरफ ज्यादा आकर्षित होता है। कहने का भावार्थ यह है कि भले ही कोई सिद्धांत लोकप्रिय हो तथापि वह विषय के परिप्रेक्ष्य में सैद्धांतिक नहीं है तो भविष्य में उससे हमें कुछ कठिनाई हो सकती है। इसलिए मैं कहूंगा कि किसी भी सिद्धांत को परिपक्व होना चाहिए और परिपक्व होने के लिए जरूरी है कि उस पर पर्याप्त होम-वर्क किया गया हो।
कैसे निकाला जाता है लकी नम्बर?
मूलांक और लक्की नम्बर दोनों अलग-अलग बातें हैं। आधुनिक संदर्भों में मूलांक और लक्की नम्बरों को प्राप्त करने के लिए कुछ सिद्धांत गढ़े गये हैं। हालांकि बौद्धिक दृष्टि से ये सिद्धांत अनुभव की कसौटी पर बहुत खरे नहीं उतर पाते हैं। तथापि यह सत्य है कि वर्तमान में यह सब बहुत प्रचलन में है। आमतौर पर मूलांक जन्म की तारीख के मूल अंक को कहा जाता है। जैसे आपका जन्म 4 अगस्त 1989 है तो आपका मूलांक अंक 4 होगा। इसी प्रकार से यदि आपका जन्म 16 मई 1977 तो आपका मूलांक 1+6 बराबर 7 होगा। इसे ही मूलांक या मूल अंक कहा जाता है। अब बात करते हैं लक्की नम्बर की। लक्की नंबर को निकालने के लिए जन्म की तारीख में जन्म के महीने के अंकों के साथ वर्ष के अंकों को भी शामिल किया जाता है। उदाहरण के लिए 4 अगस्त 1989 को जन्मे जातक का लक्की नम्बर 4+8+1+9+8+9 - 39, 3+9 - 12, 1+2 - 3 अर्थात 3 का अंक उपरोक्त जातक का लक्की नंबर होगा।
बिना जन्म तारीख के लकी नम्बर कैसे निकाले?
उपरोक्त जो पद्धति बताई गई है वह बहुप्रचलित है। लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि आप उपरोक्त पद्धति से ही लक्की नम्बर का पता लगाएं। सही अर्थों में तो मैं स्वयं इस पद्धति की अनुशंसा नहीं करता हूं। इसलिए मैं घटनाओं के आधार पर लक्की नम्बर को निकालने की पद्धति को अधिक समीचीन समझता हूं। हालांकि मैं जन्म दिनांक, मास और वर्ष के सम्मिलित अंकों के आधार पर मूलांक निकालने की विधि को उचित मानता हूं। लेकिन साथ में मैं यह भी कहूंगा कि इन दो सिद्धांतों से परे भी एक समानान्तर पद्धति भी काम करती है जो हमें वास्तविकता से परिचय करवाती है, और यह पद्धति उस स्थिति में तो और भी अधिक उपयोगी सिद्ध होती है जब कि हमें जन्म संबंधी आकड़ों के बारे में जानकारी नहीं हो। यह तीसरा सिद्धांत है कि जीवन की भूतकाल की घटनाओं के आधार पर लक्की नम्बर की पहचान की जाए।
हालांकि गुजरे जमाने में यह समस्या ज्यादा थी, क्योंकि उस समय साक्षरता का अभाव था। लोगों का रहन-सहन आज की तुलना में निम्न था। इसलिए बहुत से लोगों को अपने जन्म दिनांक की सही जानकारी उपलब्ध नहीं थी। जो भी कारण रहे हों, यदि जन्म की विश्वस्त तिथि पता ना हो तो हमें किसी भी स्थिति में मूलांक के बारे में जानकारी नहीं मिल सकती है। प्रायः अनुभव में आता है कि जन्म संबंधी आकड़े उपलब्ध नहीं होने पर लोग निराश हो जाते हैं। उनका सोचना होता है कि जब हमारे पास जन्म दिनांक नहीं है तो हम अंक-ज्योतिष का लाभ कैसे ले सकते हैं। जब कि मैं तो यहां तक कहूंगा कि यदि आपके पास जन्म दिनांक है तो भी आपको इस पद्धति से अपने लिए लक्की नम्बर का पता लगाना चाहिए। यह बहुत प्रैक्टिकल है। वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि आयरलैण्ड के अंक ज्योतिषी काउंट लुईस हैमन ने भी इसे सैद्धांतिक तौर पर स्वीकार किया है। इसके अलावा सैफेरियल ने भी इस मत को स्वीकार किया है कि जीवन की घटनाएं हमारे लिए एक दर्पण का काम करती है जिसमें हम अपने लक्की नम्बर को आसानी से देख सकते हैं।
वैदिक अंक ज्योतिष अधिक सैद्धांतिक है
पाठकों का यह बात समझ लेनी चाहिए कि कोई भी अंक हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, इसके बावजूद कि उस अंक का हमारी जन्म दिनांक से कोई संबंध हो या नहीं हो। लेकिन यहां यह शंका बहुत शिद्दत से निकल कर आती है कि जब हमारी जन्म दिनांक का लक्की नम्बर से कोई संबंध नहीं हो तो अंक-ज्योतिष के प्रचलित सिद्धांतों का महत्व तो सर्वदा गौण हो जायेगा, फिर उन पर काम करने से क्या हासिल होगा। सामान्य दृष्टिकोण से यह शंका कुछ हद तक ठीक दिखाई देती है लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं है। इसका समाधान हमें हमें वैदिक-अंक ज्योतिष में मिलता है।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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