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टोक्यो में जिसका किस्मत ने छोड़ा साथ...पेरिस में उसी ने दिलाया मेडल, जानिए मनु भाकर की कहानी

09:43 AM Jul 29, 2024 IST
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Manu Bhaker Biography : आपने एक कहावत सुनी होगी कि जब किस्मत आपके साथ ना हो तो चाहे आप जितना मर्ज़ी जोर लगालो, आपका कार्य कभी भी सफल नहीं हो सकता। लेकिन जब आप किसी चीज़ को पूरी शिद्दत से चाहते हो तो पूरी कायनात आपको उससे मिलवाने में लग जाती है, ऐसा ही कुछ कल हुआ भारत की एक शूटर के साथ जो इस समय पेरिस में है और अपनी ज़िन्दगी के सबसे स्वर्णिम क्षण जी रही हैं। महज 22 साल की उम्र में उस लड़की ने वो कारनामा कर दिया जिससे पूरे देश का नाम गर्व से ऊंचा हो गया। किसी भी एथलिट के लिए ओलिंपिक मैडल जीतने से बड़ा सपना कुछ नहीं होता और अगर यह खवाब आपका सिर्फ 22 साल की उम्र में पूरा हो जाए तो शायद इससे ज्यादा बेहतर और कुछ भी नहीं हो सकता।

HIGHLIGHTS

पेरिस ओलिंपिक के दूसरे दिन ही भारत के खाते में मैडल आ चुका है। भारत की शूटर मनु भाकर ने देश के लिए 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर एक नया कीर्तिमान रच दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैसे मनु भाकर ने जीता यह मैडल, शायद आज से पहले आप में से किसी ने इस खिलाडी का नाम भी नहीं सुना होगा। तो चलिए आज हम आप सभी को बताते है मनु भाकर की वो दिलचस्प स्टोरी, हम जानेंगे किस्मत की मार से लेकर पोडियम पर खड़े होने तक का मनु का वो ऐतिहासिक सफ़र.... तो चलिए फिर शुरू करते हैं।

पहली पसंद नहीं थी निशानेबाजी

22 साल की मनु भाकर शूटिंग में भारत के लिए ओलिंपिक मेडल जीतने वाली पहली महिला एथलीट बनी हैं। उनके 221.7 पॉइंट थे। इसी के साथ अब भारत ने पेरिस ओलिंपिक में अपने मेडल का खाता खोल लिया है।
प्रसिद्ध भारतीय खेल निशानेबाज मनु भाकर ने पिस्टल शूटिंग में अपने असाधारण कौशल से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम बनाया है। हरियाणा के झज्जर की रहने वाली मनु का जन्म 18 फरवरी, 2002 को हुआ था। आपको जानकार आश्चर्य होगा जिस मनु ने आज निशानेबाजी में ओलिंपिक ब्रॉन्ज मैडल जीता है उनकी पहली पसंद निशानेबाजी थी ही नहीं। उनकी पहली पसंद थी मुक्केबाजी, टेनिस और स्केटिंग जैसे खेल। उनका इंटरनेशनल डेब्यू 2017 में हुआ। ऐसे में उन्होंने अपने प्रभावशाली प्रदर्शन के साथ जल्दी ही अपनी पहचान बना ली।

इंटरनेशनल लेवल पर जीते कई स्वर्ण

लगभग एक साल बाद मनु ने ब्यूनस आयर्स में 2018 के युवा ओलिंपिक खेलों में 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक जीता था, जिससे वह युवा ओलिंपिक में यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय निशानेबाज बन गईं थी। उन्होंने आईएसएसएफ विश्व कप प्रतियोगिताओं में कई पदक भी जीते हैं, जिनमें व्यक्तिगत और मिक्स टीम प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक शामिल हैं। मनु का पहला स्वर्ण पदक 16 साल की उम्र में आया जब उन्होंने ग्वाडलजारा में 2018 आईएसएसएफ विश्व कप में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में जीत हासिल की। ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में उनकी सफलता जारी रही, जहां उन्होंने उसी प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया। इससे ग्लोबल स्टेज पर एक शीर्ष निशानेबाज के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई। साथी भारतीय निशानेबाज अभिषेक वर्मा के साथ मनु की साझेदारी जकार्ता में 2018 एशियाई खेलों में अच्छी साबित हुई, जहां उन्होंने मिक्स टीम 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक जीता था।



टोक्यो ओलिंपिक में किस्मत से हारी मनु

लेकिन इस खिलाड़ी के करियर का सबसे बुरा दौर उन्होंने 18 साल की उम्र में ही देख लिया, एक हँसता खेलता चेहरा जो अपने दिल में ओलिंपिक मैडल जीतने की आस लेकर टोक्यो पहुंचा था उसका सपना किस्मत ने उससे छीन लिया। जब मनु 2020 ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने पहुंची थी तो उन्हें उम्मीद थी की वह मैडल लेकर ही घर लौटेंगी लेकिन वह पदक हासिल करने से चूक गईं थी। महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के दौरान उनकी पिस्टल में तकनीकी खराबी आ गई थी जिस वजह से उनका सपना टूट गया। भारतीय खेलों में उनके योगदान को देखते हुए 2020 में प्रतिष्ठित अर्जुन अवॉर्ड से उन्हें सम्मानित भी किया गया था।

आपको बता दें कि भगवत गीता से मिली मनु भाकर को प्रेरणा....

पदक जीतने के बाद मनु भाकर ने कहा, "मैं रोज गीता पढ़ती थी। जब मैं फाइनल मैच के दौरान निशाना लगा रही थी तब मेरे दिमाग में गीता चल रहा था।" गीता में कहा गया है, "अपने कर्म पर ध्यान दो, परिणाम पर नहीं, इसलिए मैंने इसी बात को ध्यान में रखकर निशाना लगाया।" भारतीय महिला निशानेबाज मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। 22 वर्षीय खिलाड़ी ने 10 मीटर एयर पिस्टल निशानेबाजी स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। इसके साथ ही पेरिस ओलंपिक में भारत की झोली में पहला मेडल आ गया.....
मनु भाकर ने कहा, ईमानदारी से कहूं तो मैंने ज्यादातर समय भगवद गीता पढ़ी और आज भी मैच के आखिरी क्षणों में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश मेरे दिमाग में चल रहे थे। मैं सोच रही थी कि मुझे सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अन्य चीजों के बारे में नहीं सोचना चाहिए क्योंकि हम भाग्य को नहीं बदल सकते लेकिन हम अपने कर्म को नियंत्रित कर सकते हैं। मनु भाकर के इस शानदार जीत पर आज पूरे देश को उन पर गर्व है हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में इससे भी और बेहतर करें और देश को इसी गौरवपूर्ण लम्हे प्रदान करती रहें। अब आप हमे बताइए कि मनु भाकर के अलावा आपको किन एथलिट से उम्मीद है जो भारत के लिए ओलिंपिक मैडल जीत सकते हैं। हमे कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।

 

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