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Vinesh Phogat: भारत की विनेश फोगाट ने महिलाओं की 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती स्पर्धा में 100 ग्राम अधिक वजन पाए जाने के बाद सुनिश्चित ओलंपिक पदक गंवा दिया। यहां बताया गया है कि उन्हें अयोग्य घोषित करने के पीछे क्या कारण थे।
उत्तर: विनेश ने हमेशा 53 किलोग्राम वर्ग में प्रतिस्पर्धा की थी। इस बार अंतिम पंघाल ने इस वर्ग में क्वालीफाई किया और विनेश को 50 किलोग्राम वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने के लिए वजन कम करना पड़ा।
उत्तर: ओलंपिक, एशियाई खेल, विश्व चैंपियनशिप और एशियाई चैंपियनशिप के लिए किसी भी पहलवान को एक ग्राम की भी छूट नहीं मिलती है। रैंकिंग सीरीज और आमंत्रण स्पर्धाओं के लिए किसी को दो किलोग्राम की रियायत मिलती है, जिसका मतलब है कि इन स्पर्धाओं में कोई भी पहलवान 50 किलोग्राम वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने पर भी मुकाबले के दिन 52 किलोग्राम का हो सकता है। दुख की बात है कि विनेश के लिए ओलंपिक नियम सख्त हैं।
उत्तर: हां। 2016 रियो ओलंपिक से पहले उन्हें एक बार ओलंपिक क्वालीफाइंग स्पर्धा से 400 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य ठहराया गया था।
उत्तर: ओलंपिक खेलों में प्रतियोगिता दो दिनों में आयोजित की जाती है और दोनों दिनों में प्रतिस्पर्धी पहलवानों को वजन जांच से गुजरना पड़ता है। प्रतियोगिता के पहले दिन पहलवान को अपना ‘सिंगलेट’ (कुश्ती परिधान) पहनना होता है और 30 मिनट की अवधि में कई बार अपना वजन मापना होता है। साथ ही मेडिकल जांच में उन्हें किसी भी संक्रामक बीमारी से मुक्त होना चाहिए, उनके नाखून कटे होने चाहिए। स्वर्ण पदक, कांस्य पदक के प्ले-ऑफ और रेपेचेज मुकाबलों के लिए क्वालीफाई करने वालों को दूसरे दिन फिर से वजन करने के लिए आना होता है। लेकिन दूसरे दिन प्रतियोगिता की सुबह वजन करने के लिए केवल 15 मिनट का समय होता है। यहीं पर विनेश का वजन 50.1 किलोग्राम पाया गया। 15 मिनट की अवधि समाप्त होने के बाद विनेश की पदक की उम्मीदें धराशायी हो गईं।
उत्तर: विनेश ने पहले दिन छह-छह मिनट के तीन मुकाबले खेले। अठारह मिनट का मुकाबला किसी भी पहलवान को थका सकता है और उसे पर्याप्त मात्रा में पानी और पोषण की आवश्यकता होती है। भारतीय दल के चिकित्सा प्रमुख डॉ. दिनशॉ पारदीवाला के अनुसार प्रत्येक पहलवान कम श्रेणियों में लड़ने के लिए अपना वजन कम करता है। विनेश के मामले में वह 53 किलोग्राम में ज्यादातर 55 से 56 किलोग्राम के वजन के साथ लड़ी। एक बार जब विनेश 50 किलोग्राम वर्ग में आ गईं तो उन्हें हर प्रतियोगिता से पहले कम से कम छह किलोग्राम वजन कम करना पड़ा। अचानक वजन कम करना एक बेहद मुश्किल प्रक्रिया है। पहले दिन के बाद उन्होंने फिर से लगभग 1.5 किलोग्राम वजन बढ़ाया। एक बार जब उन्होंने वजन कम किया, तो वह दिये गये समय में ऐसा नहीं कर सकी क्योंकि यह समय बहुत कम था। अचानक वजन कम करने से कुछ गंभीर शारीरिक बीमारियां भी हो सकती हैं और डॉक्टर इसकी अनुमति नहीं देते हैं।
उत्तर: ऐसा माना जाता है कि यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने डोपिंग के खतरे को रोकने के लिए ऐसा किया था जब उन्होंने 2018 में विश्व और महाद्वीपीय टूर्नामेंट के लिए प्रतियोगिता प्रारूप को एक दिन से दो दिन में बदल दिया था। आम तौर पर एथलीट वजन घटाने वाले दिन वजन कम करते हैं और एक बार जब वे ठीक हो जाते हैं तो वे ऊर्जा और थोड़ा वजन हासिल करने के लिए खुद को ‘हाइड्रेट’ करते हैं और पोषण लेते हैं। साथ ही एक दिवसीय स्पर्धा के लिए यह माना जाता था कि कुछ पहलवान मुकाबलों और दो दिवसीय स्पर्धा के बीच सप्लीमेंट्स का उपयोग कर रहे थे और दो बार वजन करना इसमें रूकावट डालने के लिए किया था।
उत्तर: नहीं, वे फिर भी अयोग्य घोषित कर दी जातीं। ऐसा कहा जा रहा है कि उनकी टीम को उन्हें चोटिल घोषित कर देना चाहिए था और रजत पदक अपने पास रखना चाहिए था। लेकिन नियम उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं देता। नियम के अनुसार अगर कोई पहलवान पहले दिन प्रतियोगिता के दौरान चोटिल हो जाता है तो उसे दूसरे दिन वजन कराने के लिए उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि अगर कोई पहलवान पहले दिन प्रतियोगिता के बाद चोटिल हो जाता है या उसे कोई बीमारी या बुखार हो जाता है तो उसे वॉकओवर देने से पहले वजन कराने के लिए उपस्थित होना होगा। विनेश पहले दिन प्रतियोगिता के दौरान चोटिल नहीं हुई थीं इसलिए उन्हें वजन कराने के लिए उपस्थित होना पड़ा।
उत्तर: भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष संजय सिंह ने विनेश को रजत पदक देने पर विचार करने के लिए आईओसी को पत्र लिखा है। यहां तक कि छह बार के विश्व चैंपियन और 2012 लंदन ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता अमेरिका के जॉर्डन बरोज ने भी अधिकारियों से विनेश को रजत पदक देने और दूसरे दिन रियायत देने का आग्रह किया है। लेकिन सेमीफाइनल में हारने वाली क्यूबा की युस्नेलिस गुजमैन लोपेज को पहले ही फाइनल के लिए नामित किया जा चुका है। इसलिए निर्णय को पलटा नहीं जाएगा।