सूअर फार्म और वध स्थलों पर क्रूरता का पर्दाफाश: एनिमल इक्वेलिटी का अध्ययन
किस तरह से सूअरों के साथ मज़दूरों द्वारा क्रूरता से पेश आया जाता है।
पुणे स्थित पशु संरक्षण संगठन एनिमल इक्वेलिटी द्वारा जारी किए गए एक वीडियो में क्रूरता और पीड़ा के चौंकाने वाले दृश्य देखे गए। संगठन ने महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश और झारखंड में सूअर फार्म, बाज़ार और सूअरों के वध पर एक अध्ययन किया। उन्होंने इन राज्यों में 6 फार्म और 3 वध सुविधाओं की जाँच की और प्रत्येक मामले में घोर अवैधता पाई। संगठन ने दस्तावेजीकरण किया:
* किस तरह से सूअरों के साथ मज़दूरों द्वारा क्रूरता से पेश आया जाता है।
* सूअरों पर चोट के निशान देखना आम बात है।
* खेतों में उन्हें गंदी परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर किया जाता है।
* उनके मलमूत्र को खेत के आस-पास के तालाबों में एकत्र किया जाता है।
* जब सूअरों को वध के लिए बेचा जाता है, तो उन्हें टक्कर मारकर वाहनों पर चढ़ाया जाता है।
* वध के दौरान उन्हें मरने से पहले कई बार दिल में चाकू घोंपा जाता है।
कानून के अनुसार, जानवरों को लाइसेंस प्राप्त बूचड़खानों में ही मारा जाना चाहिए, लेकिन यह देखा गया कि इन सूअरों को मांस की दुकानों और बाज़ारों में अवैध रूप से मारा गया। एनिमल इक्वैलिटी की कार्यकारी निदेशक अमृता उबाले कहती हैं, “2016 में किए गए एक अन्य अध्ययन में हमने पाया कि केरल में कुछ मांस की दुकानों में किस तरह से बर्बर तरीके से ‘हथौड़े से मारने’ की प्रथा है, जिसमें सूअर के सिर पर तब तक हथौड़े से वार किया जाता है, जब तक कि वह बेहोश न हो जाए।”
वह आगे कहती हैं, “भारत में शहर या गाँव के कुछ इलाकों में सड़कों पर सूअरों को देखना आम बात है और कोई यह मान सकता है कि वे आवारा जानवर हैं, जो अंततः स्वाभाविक रूप से मर जाते हैं, लेकिन इन सूअरों को मांस के लिए मारा जाता है और इस मांस को समाज के गरीब तबके के लोग खाते हैं। सूअरों को उनके पैरों से बाँधा जाता है, थैलों में डाला जाता है और स्कूटर और रिक्शा पर लादकर खुले मैदान या मांस की दुकानों जैसी अवैध जगहों पर काटा जाता है।”
ये सभी प्रथाएँ सीधे तौर पर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और उसके तहत बनाए गए विभिन्न नियमों का उल्लंघन करती हैं। फिर भी, अध्ययन में पाया गया कि हमारे द्वारा देखी गई हर सुविधा में इन कानूनों की अवहेलना की जाती है।