Top NewsIndiaWorld
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabJammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Business
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

आस्था, हादसा और ‘माया’

04:52 AM Jul 05, 2025 IST | Aditya Chopra
पंजाब केसरी के डायरेक्टर आदित्य नारायण चोपड़ा

इस देश में सबसे आसान पेशों में से एक है जीवित भगवान बनना। भारत में इस समय हजारों जीवित भगवान हैं। जिनमें से अनेक काफी लोकप्रिय और विवादास्पद भी हैं। हिन्दू धर्म को सबसे पुराना धर्म माना जाता है जिसकी जड़ें लगभग 5 हजार साल पहले से हैं। संतों की पूजा का इतिहास भक्ति आंदोलन के दौरान शुरू हुआ था। संत कबीर, संत रामानंद, चैतन्य महाप्रभु और कई अन्य ऐसी कुछ उल्लेखनीय आत्माओं को लोगों ने देखा और उनकी शिक्षाओं ने लोगों के जीवन को एक अर्थ दिया। अनेक संतों ने आम लोगों के साथ रहकर दूसरों की ही तरह दर्द महसूस ​िकया और मानवता की भलाई के लिए बहुत काम किया। अनेक संत ऐसे भी हुए जिन्होंने भक्ति के साथ-साथ समाज सुधारों का भी काम किया। संत शब्द से तात्पर्य बोध कराने वाले से है। अर्थात् ऐसे महापुरुष जो सत् यानि ब्रह्म जीव एवं माया का बोध कराएं वह ही असली संत हैं। वर्तमान में सच्चा गुरु या सच्चा संत मिलना बहुत मुश्किल है।
आज भारत के कोने-कोने में बाबा लोग बैठे हैं। आज के दौर में बाबा बनना सबसे बड़ा स्टार्टअप हो गया है। उनमें से केवल मुट्ठीभर ही लोगों की मदद करने की इच्छा रखते हैं। संतों के सामने झुकना भारतीय संस्कृति है। बाबा को बस इतना करना है कि लोगों को बताना है कि सब ठीक हो जाएगा। जब किसी का काम किसी आैर कारण से पूरा हो जाता है तो वह बाबा को श्रेय देने लगता है। धीरे-धीरे बाबा की ख्याति उनके संचार कौशल के आधार पर दूर-दूर तक फैल जाती है। आज कल पर्ची वाले बाबा के नाम से मशहूर बागेश्वर धाम के बाबा पंडित धीरेन्द्र शास्त्री चर्चा में बने हुए हैं। ताली बजाते चुटीले अंदाज, पर्चे पर भक्तों के सवाल, चमत्कार सनातन धर्म और हिन्दुत्व की बातें, सत्ता में बैठे लोगों का संरक्षण, अजीव व्यवहार, विवादित बयान, जमीन पर कब्जे के आरोप, इन सबके बीच बाबा की लोकप्रियता टॉप पर जा पहुंची है। मध्य प्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर धाम में बुधवार को उनके जन्मदिन कार्यक्रम के एक दिन पहले उनके दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालुओं पर बारिश और आंधी के बीच पंडाल गिर जाने से एक श्रद्धालु श्याम लाल की मृत्यु हो गई और 10 अन्य श्रद्धालु घायल हो गए।
सोशल मीडिया पर आज कुछ टिप्पणियां देखने को मिलीं। लोग कह रहे हैं कि काश बाबा ने मृतक श्रद्धालु की पर्ची ​िनकालकर पहले ही उसका भविष्य जान लिया होता तो शायद वह हादसे से बच जाता। बाबा लोगों की पर्ची निकालकर उनके बारे में भविष्य बताने का दावा करते हैं। मैं संत पुरुषों के तप, सिद्धियों आैर आध्यात्मिक ज्ञान पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। एक कहावत है ‘आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास’ इसका अर्थ है ईश्वर का भजन करने आए थे सांसारिक मोहमाया आैर आनंद का मजा लेने लगे। पंडित धीरेन्द्र किशन के लाइफ स्टाइल को देखकर हैरानी होती है। बाबा की विदेश यात्राओं के दौरान चमचमाती बेशकीमती गाडि़यां, महंगे परिधान और चश्मे देखकर संदेह उत्पन्न होता है कि क्या वह संत पुरुष हैं? सवाल श्रद्धालुओं की आस्था का है और सवाल हादसे पर भी उठ रहे हैं।
हाल ही में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने उन पर अंडर टेबल पैसे लेने का आरोप लगाया। जिसकी काफी चर्चा हो रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि बाबाओं से कथा कराना आम आदमी के बस की बात नहीं है। इन कथाओं पर लाखों रुपए का खर्च आता है। धीरेन्द्र शास्त्री विवादित बयानों के चलते भी अखबारों में छाये रहते हैं। अब सवाल यह है कि भारत में लोग मनुष्य को भगवान क्यों मानने लग जाते हैं। आश्चर्य तब होता है जब अनेक बाबा हत्या और बलात्कार के आरोप में सजा भुगत रहे हैं। एक बाबा तो लाल चटनी हरी चटनी लोगों को खिलाकर धन ऐंठते रहे। कुछ सैक्स स्कैंडलों में पकड़े गए। हाथरस में एक बाबा की चरण धूलि लेने के लिए 125 के लगभग श्रद्धालु भगदड़ में मारे गए। फिर भी अंध आस्था के चलते धर्मभीरू लोग इंसान को अद्भुत और आलौकिक बना रहे हैं। हालांकि ऐसे फर्जी गुरुओं और बाबाओं के हत्या, बलात्कार, कर चोरी आैर धोखाधड़ी जैसे अपराधों में शामिल होने की खबरें सामने आती रहती हैं। फिर भी भारत में इन बाबाओं के प्रति आस्था का जुनून जारी है। ‘‘भारत में ऐसे बाबाओं की कोई कमी नहीं है जिन्हें अलग-अलग नामों से बाबा, गुरु, संत या स्वामी कहा जाता है, जो खुद को भगवान के साथ विश्वासियों के रूप में पेश करते हैं। वे भगवान से सीधे संवाद करने का दावा करते हैं और भविष्य की घटनाओं की भविष्यवाणी करने की शक्ति रखते हैं। सच्चाई यह है कि वे ठग हैं।
भारतीय इन स्वयंभू बाबाओं के पास इसलिए आते हैं क्योंकि उनका मानना है कि मुख्यधारा की राजनीति और धर्म ने उन्हें निराश किया है। इसलिए जब उनके दुःखों को दूर करने के लिए कोई राजनेता या पुजारी नहीं होता तो वे मदद के लिए गुरुओं, बाबाओं, पादरियों और मौलवियों की ओर रुख करते हैं। कई मायनों में हाल ही में भोले बाबा जैसे बाबाओं का उदय हमें इस बारे में कुछ बताता है कि कैसे पारम्परिक राजनीति और धर्म बड़ी संख्या में लोगों को निराश कर रहे हैं। इसलिए ये लोग अनुयायी बन जाते हैं और कुछ सम्मान आैर गुणवत्ता की तलाश में अपरम्परागत धर्म की ओर रुख करते हैं। लोकतांत्रिक आधुनिक दुनिया के कई हिस्सों में ऐसे समूह उभरे हैं। भारत एक बहुजातीय आैर बहुधार्मिक देश है आैर यहां के लोग भगवान के प्रति आस्थावान आसानी से हो जाते हैं। आज के दौर में सच्चे संत की पहचान करना बहुत मुश्किल है। धर्म के नाम पर केवल धंधा चल रहा है और इन बाबाओं की चमत्कारी शक्तियों पर विश्वास करना अपरिपक्वता है। ऐसे में मनुष्य को विचारवान बनना ही होगा।

Advertisement
Advertisement
Next Article