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मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का 73 की उम्र में निधन, सैन फ्रांसिस्को में ली अंतिम सांस

इडियोपैथिक पल्मोनरी फारब्रोसिस बीमारी से जूझ रहे थे तबला वादक जाकिर हुसैन

07:55 AM Dec 16, 2024 IST | Anshu Das

इडियोपैथिक पल्मोनरी फारब्रोसिस बीमारी से जूझ रहे थे तबला वादक जाकिर हुसैन

मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन 73 वर्ष की उम्र में सैन फ्रांसिस्को में हुआ है। जाकिर हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक महान कलाकार और उनकी तबला वादन की कला को दुनियाभर में सराहा गया था। वह एक प्रख्यात संगीतकार और गुरु थे, जिन्होंने भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई। परिवार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक जाकिर हुसैन मौत का कारण इडियोपैथिक पल्मोनरी फारब्रोसिस बताया जा रहा। पिछले कुछ हफ्तों से वह अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में ICU में भर्ती थे। जाक‍िर हुसैन की मौत के बाद से मनोरंजन जगत में भी मातम छाया हुआ है।

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सोसल मीडिया पर तबला वादक को श्रद्धांजलि दी

जाकिर हुसैन के देहांत के बाद उनके कई पुराने वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। फिल्म इंडस्ट्री से लेकर स्पोर्ट्स और कई नेताओं ने भी X पर दुख व्यक्त किया, और भावपूर्ण अभिव्यक्ति दिवंगत तबला वादक को श्रद्धांजलि दी।

जाकिर हुसैन जीते थे ये सम्मान

जाकिर हुसैन ने अपनी शानदार संगीत यात्रा में कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए थे, जिसमें ‘भारत रत्न’ और ‘पद्मभूषण’ जैसे सम्मान शामिल थे। (2002) के साथ-साथ चार ग्रैमी पुरस्कार भी मिले। भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनकी महारत को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 2014 में उन्हें नेशनल हेरिटेज फ़ेलोशिप से सम्मानित किया गया, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में पारंपरिक कलाकारों के लिए सर्वोच्च सम्मान है। उनका योगदान भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संगीत जगत में हमेशा याद रखा जाएगा। उनके निधन के बाद संगीत की दुनिया आज उस्ताद जाकिर हुसैन के शोक में है, जो अब तक के सबसे महान और सबसे प्रभावशाली तालवादकों में से एक थे।

जानें जाकिर हुसैन जीवन का परिचय

जाकिर हुसैन की जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा है, उनका जन्म 9 मार्च 1951 में मुबई में हुआ था, उन्होंने मुंबई के माहिम में सेंट माइकल हाई स्कूल में शुरुआती पढ़ाई की थी और मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। जाकिर हुसैन एक प्रसिद्ध भारतीय तबला वादक और संगीतकार हैं, जो अपनी उत्कृष्टता के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। वे 3 साल की उम्र में अपने पिता से संगीत की तालीम लेनी शुरू कर दी थी। जाकिर हुसैन के परिवार का संगीत से काफी पुराना नाता है। वे सिर्फ एक संगीतकार नहीं हैं, उन्होंने कुछ फिल्मों में एक्टिंग भी की थी। उन्हें सोलो एल्बम ‘मेकिंग म्यूजिक’ से भारी लोकप्रियता मिली थी, जिसका उन्हें भी अंदाजा नहीं था. उनके म्यूजिक टैलेंट का प्रभाव सिनेमा जगत पर भी था। उन्होंने ‘द परफेक्ट मर्डर’, ‘मिस बीटीज चिल्ड्रन, ‘साज’ और ‘मंटो’ जैसी फिल्मों के लिए भी काम किया था। वे बतौर अभिनेता पहली बार 1983 की फिल्म ‘हीट एंड डस्ट’ में नजर आए थे, जिसमें शशि कपूर अहम रोल में थे।

प्रशिक्षण और संघर्ष

जाकिर हुसैन के जीवन में उनके शुरुआती वर्षों में कई सारी कठिनाइयों सामना की, जब वे एक युवा कलाकार के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। जाकिर हुसैन का एक अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शन और संगीत के विभिन्न प्रकार के सम्मेलनों में उनकी सफलता हासिल की, संगीतकार के रूप में योगदान उनका भारतीय फिल्म संगीत और विश्व संगीत पर प्रभाव, और उनके द्वारा किए गए योगदान जैसे “शंकर-एहसान-लॉय” के साथ काम, और भारतीय शास्त्रीय संगीत की विरासत को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया

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