खत्म होता कानून का खौफ
लोग कानून का सम्मान करें स्वस्थ लोकतंत्र में ऐसा होना बहुत जरूरी है लेकिन समाज में कानून का भय होना भी बहुत जरूरी है। कानून का खौफ खत्म हो गया तो समाज पूरी तरह से अराजक हो जाएगा। ऐसा लगता है कि पुलिस, कानून और अदालतों का खौफ अब खत्म होता जा रहा है। कानून तोड़ना हैसियत का सवाल बनता जा रहा है। आज समाज में असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। लोगों के जीवन और सम्पत्ति को सुरक्षा देना सबसे जरूरी काम है। महानगरों में दिन हो या रात हर कोई खौफजदा है। राह चलते तेज और गलत ड्राइविंग से कोई किसी को कुचल कर भाग जाए कोई नहीं जानता। हिट एंड रन के मामलों में लगातार बढ़ौतरी हो रही है लेकिन ऐसे मामलों में मरने वाले लोगाें को कभी न्याय नहीं मिलता। कानून के शासन का अर्थ मनमानी करने वाली ताकतों को रोकना और कमजोर को इंसाफ दिलाना भी है। महानगरों की जटिलताओं और विरोधाभासों को देखते हुए तो ऐसा लगता है जैसे इंसान की कोई कीमत ही नहीं है। देश की राजधानी दिल्ली में देर रात बेखौफ दो युवकों द्वारा कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ाते हुए दिल्ली पुलिस के सिपाही संदीप को कार से कुचलकर मार डाला गया। इससे स्पष्ट है कि उन्हें कानून का कोई खौफ नहीं था।
प्रथम दृष्टि में तो यह मामला हिट एंड रन का ही लगता था लेकिन जांच के बाद नया एंगल सामने आने पर यह सीधे-सीधे हत्या का मामला बनता है। कांस्टेबल संदीप ने लापरवाही से गाड़ी चला रहे लोगों को रोकने की कोशिश की तो उन्होंने न केवल संदीप की बाइक को टक्कर मारी बल्कि उसे 10 मीटर तक घसीटा भी गया। शुरूआती जांच में यह भी पता चला है कि कांस्टेबल संदीप ने दोनों आरोपियों को दो बार सार्वजनिक स्थान पर शराब पीने के आरोप में हवालत भेजा था जिससे वे सिपाही से रंजिश रखने लगे थे। यद्यपि पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है जिससे पूरा घटनाक्रम परत-दर-परत खुल गया है। आम धारणा यह बन चुकी है कि जब इस देश में पुलिस वाले ही सुरिक्षत नहीं तो आम लोगों की सुरक्षा कैसे होगी। ऐसी घटनाएं दिल्ली में ही नहीं बल्कि हर राज्य में हो रही हैं। कहीं शराब माफिया, कहीं अवैध खनन माफिया, कहीं कोल माफिया तो कहीं आपराधिक तत्व बेखौफ होकर कर्त्तव्यनिष्ठ अफसरों और कर्मचारियों को कुचलते रहे हैं। पुलिस तंत्र बड़े से बड़े एक्शन के दावे तो करता है लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात ही निकलते हैं।
जब जेलों में बंद गैंगगस्टर मीडिया को बिना किसी खौफ के नियमों का उल्लंघन कर इंटरव्यू देने लगे, जेल में बैठकर अपहरण, धमकी देकर फिरौती वसूलने का धंधा चलाने लगे तो फिर अनुमान लगाया जा सकता है कि कानून व्यवस्था की स्थिति कैसी है। मुम्बई और दिल्ली में अभिनेता सलमान खान सहित कई प्रतिष्ठित व्यापारियों के घरों के बाहर फायरिंग कर आतंक पैदा करने और फिरौती मांगने की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। दिल्ली में एक ही दिन में महंगी कारों के सैकेंड हैंड शोरूम, एक होटल और एक मिठाई की दुकान को निशाना बनाकर गोलीबारी की घटना सामने आई है। यह घटनाएं गिरोहों द्वारा जबरन वसूली से जुड़ी हुई हैं। पंजाब में लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। वहां तो विदेश में बैठे गैंगस्टर पंजाब में सक्रिय गैगस्टरों की मदद से लगातार हत्याएं कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार कैसे किया जाए। देशवासी सरकार को आम नागरिक के लिए मदद का अविश्वस्नीय स्रोत मानने लगे हैं। उन्हें न तो सरकारों पर भरोसा है और न ही पुलिस पर।
पुलिस का डंडा सड़क पर फेरी लगाने वालों पर ही चलता है। गैगस्टरों पर उसका डंडा नरम पड़ जाता है। हिट एंड रन के मामलों में प्रभावशाली लोग साफ बच निकलते हैं। हिट एंड रन के मामलों में जब नियम सख्त किए गए तो देशभर में ट्रक ड्राइवरों ने हड़ताल कर दी थी, तब सरकार को ही कठोर नियम लागू करने का इरादा छोड़ना पड़ा था। जिन देशों में कानून के शासन की स्थिति मजबूत होती है उनकी अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है और वहां लोग अधिक समय तक जीवित रहते हैं लेकिन हमारे यहां कोई जवाबदेही नहीं है। न्याय के लिए लोग दर-दर भटकते रहते हैं लेकिन अपराधी अपराध करके भी मूछों पर तांव देकर घूमते रहते हैं। जब समाज का एक वर्ग अपराधियों का महिमामंडन करने लगे तो समाज पर पड़ने वाले कुप्रभाव की कल्पना नहीं की जा सकती। व्यवस्था के लिए भ्रष्ट तंत्र और क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम भी जिम्मेदार है। न्याय प्रणाली में बहुत सुधार की जरूरत है। अन्यथा कोई भी किसी को कुचलकर आगे बढ़ जाएगा तो जीवन की सुरक्षा कैसे होगी। दिल्ली पुलिस का दायित्व है कि मारे गए कांस्टेबल संदीप की हत्या करने वालों को सख्त से सख्त सजा दिलाएं। अन्यथा उसकी आम लोगों में साख प्रभावित होगी और लोग कानून को अपने हाथों में लेने लगेंगे।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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