पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान
युद्ध का स्वरूप अब पूरी तरह से बदल चुका है। अब युद्ध परम्परागत शैली में नहीं
युद्ध का स्वरूप अब पूरी तरह से बदल चुका है। अब युद्ध परम्परागत शैली में नहीं लड़े जाते बल्कि फाइटर जेट, मिसाइल और ड्रोन से लड़े जा रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-गाजा युद्ध और भारत और पाकिस्तान के बीच चले चार दिन के युद्ध ने हमें काफी सबक दिए हैं। अब यह तय है कि भविष्य में युद्ध जमीनी सीमाओं से उठकर अंतरिक्ष में लड़े जाएंगे। सारी दुनिया के देश तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति के चलते युद्ध के बदलते स्वरूप के अनुसार अभूतपूर्व प्रयास कर रहे हैं। एआई रोबोिटक्स हाईपर सोनिक जैसी नई तकनीकें युद्ध कौशल में अकल्पनीय बदलाव ला रही हैं। युद्ध ने साइबर युद्ध और मनोवैज्ञानिक युद्ध जैसे नए मुखौटे पहन लिए हैं। देश के रक्षा तंत्र को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए केन्द्र की मोदी सरकार और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए लगातार बल दे रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि कभी रक्षा सामग्री का सबसे बड़ा आयातक अब दूसरे देशों को भी निर्यात करने लगा है।
भारत आैर पाकिस्तान के बीच चार िदन के युद्ध में भारतीय सेना की जबरदस्त जीत के बाद भविष्य में सामरिक चुनौतियों का सामना करने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एडवांस्ट मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) कार्यक्रम के कार्यान्वयन मॉडल को मंजूरी दी है। यह भारत का पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही भारतीय वायुसेना को मजबूत करने के लिए यह एक बहुत बड़ा फैसला है। क्योंकि पाकिस्तान चीन से पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान खरीद रहा है। दूसरी तरफ भारत पर अमेरिका या फिर रूस से पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान खरीदने का दबाव है। ऐसे में यह फैसला काफी अहम है। इस कार्यक्रम को एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) उद्योगों के साथ साझेदारी में लागू करेगी। यह कदम स्वदेशी विशेषज्ञता, क्षमता और योग्यता का उपयोग करके एएमसीए प्रोटोटाइप विकसित करने की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर है, जो एयरोस्पेस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एएमसीए भारत का पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है, जिसे स्वदेशी तकनीक से विकसित किया जा रहा है। यह विमान अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होगा, जैसे कि रडार से बचने की क्षमता, उन्नत हथियार प्रणाली और आधुनिक सेंसर। इस परियोजना का लक्ष्य भारतीय वायुसेना की ताकत को बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर भारत को एक मजबूत रक्षा शक्ति के रूप में स्थापित करना है। रक्षा मंत्रालय के इस फैसले से न केवल रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह भारतीय उद्योगों को भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगा।
स्वदेशीकरण के साथ-साथ भारत ने अपने रक्षा मुकुट के लिए प्रमुख विदेशी रत्नों को अपनाया, विशेष रूप से रूस निर्मित एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली। भारतीय सेवा में सुदर्शन चक्र नाम से प्रचलित इस प्रणाली को पश्चिमी मोर्चे पर महत्वपूर्ण शहरी और सैन्य बुनियादी ढांचे पर ड्रोन और मिसाइलों के समन्वित हमले के दौरान सक्रिय किया गया था। यह एस-400 के शामिल होने के बाद से इसका पहला बड़े पैमाने पर युद्ध-मान्यता प्राप्त उपयोग था और जब इसने आने वाले खतरों को रोका (प्रारंभिक गणना के अनुसार उनमें से 80 प्रतिशत से अधिक) भारत केवल हवाई क्षेत्र की रक्षा नहीं कर रहा था। यह एक घोषणा कर रहा था।
पूरी दुनिया ने देखा कि भारतीय वायुसेना ने एस-400 का उपयोग करके पाकिस्तान के हर हमले को नाकाम किया, बल्कि मिसाइलों से पाकिस्तान के राडार सिस्टम को नष्ट किया। साथ ही उसके 9 एयरबेस भी तबाह कर दिए। अतीत में केन्द्र की सरकारों ने भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिए धीमी गति का दृष्टिकोण अपनाया। रक्षा सौदों में दलाली के प्रकरणों से देश जूझता रहा। 2006 से 2014 तक भ्रष्टाचार के चलते अनेक रक्षा सौदों को रद्द करना पड़ा। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत ने फ्रांस से राफेल जेट, इजराइल से हेरान ड्रोन, अमेरिका से अपाचे हैलीकॉप्टर आैर टोही विमान, फ्रांस से स्कार्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां हासिल कीं। जैसे-जैसे भारत 21वीं सदी में आगे बढ़ रहा है भारत को आैर रक्षा सामग्री की जरूरत पड़ेगी।
हाल ही में भारत ने 30 िकलोवाट का लेजर हथियार बनाकर बहुत बड़ी सफलता हासिल की है। यह हथियार इलैक्ट्रोनिक युद्ध में भी माहिर है। इससे दुश्मन की संचार एवं उपग्रह प्रणाली को जाम किया जा सकता है। सामरिक तैयारियों के लिए रक्षा बजट में भी बढ़ौतरी की गई है। बढ़े हुए बजट का अधिकतम हिस्सा िवदेशी हथियार और उपकरण खरीदने में खर्च हो सकता है। पाकिस्तान की तबाही लड़ाकू विमानों और स्टीक मसाइलों ने ही की है। स्वदेशी ब्रह्मोस आैर आकाश का प्रदर्शन गजब का रहा। रक्षा क्षेत्र का लगातार कायापलट हो रहा है। भारत की जल, थल आैर नभ शक्ति बढ़ी है, तभी तो देशवासियों का भरोसा भारतीय सेना पर अटूट है। देशवासियों को अहसास है कि वे चैन की नींद तभी सो रहे हैं क्योंकि सीमाओं पर तैनात भारतीय जवानों का शौर्य बुलंदी पर है। पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने से रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भारत वैश्विक रक्षा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित होगा।