Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

विदेशी मीडिया और भारत

वैसे तो पश्चिमी मीडिया खासतौर पर अमेरिका और उसके मित्र देशों का मीडिया भारत की आलोचना करने में कभी परहेज नहीं करता, लेकिन कोरोना महामारी से लेकर अब तक जिस तरह से उसने भारत विरोधी रुख अपनाया हुआ है

01:51 AM Jul 29, 2022 IST | Aditya Chopra

वैसे तो पश्चिमी मीडिया खासतौर पर अमेरिका और उसके मित्र देशों का मीडिया भारत की आलोचना करने में कभी परहेज नहीं करता, लेकिन कोरोना महामारी से लेकर अब तक जिस तरह से उसने भारत विरोधी रुख अपनाया हुआ है

वैसे तो पश्चिमी मीडिया खासतौर पर अमेरिका और उसके मित्र देशों का मीडिया भारत की आलोचना करने में कभी परहेज नहीं करता, लेकिन कोरोना महामारी से लेकर अब तक जिस तरह से उसने भारत विरोधी रुख अपनाया हुआ है, उससे साफ है कि भारत की छवि को जानबूझ कर विकृत करने की कुचेष्टा की जा रही है। पहले उसने कोरोना महामारी के दौरान गलत तथ्य और आंकड़े प्रकाशित कर भारत को बदनाम करने की कोशिश की, अब उसने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर दुष्प्रचार की मुहिम छेड़ रखी है। विदेशी मीडिया अब भारत में रुपए की गिरती कीमत और बढ़ती महंगाई को लेकर बवाल उठा रहा है और यह भी सवाल उठता जा रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था का क्या होगा? ऐसी आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं कि भारत की स्थिति श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी हो सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि डालर की तुलना में रुपया गिर रहा है और महंगाई बढ़ रही है लेकिन हम इस तथ्य को नजरंदाज नहीं कर सकते कि महंगाई तो पूरी दुनिया में बढ़ी है। पहले कोविड की वजह से लाकडाउन के चलते सप्लाई के मोर्चे पर दिक्कतें आईं। कोरोना महामारी से उभरे तो रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से तेल और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ौतरी हुई। डालर के मुकाबले दुनिया की प्रमुख मुद्राओं की कमजोर होती स्थिति ने कई देशों की आर्थिक परेशानियां और बढ़ा दी है। वैश्विक अर्थव्यवस्था जिन चुनौतियों का सामना कर रही है उसकी वजह डालर की बढ़ती कीमत भी एक है। अब सवाल यह है कि बढ़ती महंगाई से पूरी दुनिया परेशान है तो फिर विदेशी मीडिया केवल भारत को ही निशाना क्यों बना रहा है। आज के भारत में इतनी सामर्थ्य है कि भारत में चुनौतीपूर्ण स्थितियां कभी नहीं आएंगी। दरअसल भारत का घरेलू बाजार काफी बड़ा है और इसकी अर्थव्यवस्था का आकार भी काफी बड़ा है। इस समय भारत की अर्थव्यवस्था के सभी संकेतक अच्छे संकेत दे रहे हैं।यह कोई छोटी बात नहीं है कि भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में कोविड टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक चलाया गया। अब तो 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को टीके की मुफ्त बूस्टर डोज दी जा रही है। विदेशी मीडिया इस बात से नजरंदाज क्यों करता है कि मई 2020 से लाकडाउन लागू होने के बाद मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के 80 करोड़ राशन कार्ड धारकों को मुफ्त राशन देने की योजना का ऐलान किया था जो इस वर्ष सितम्बर तक जारी रहेगी। इस योजना पर सरकरा ने कितना खर्च किया इसे भी विदेशी मीडिया नजरंदाज कर देता है। अब जबकि देश में आर्थिक गति​विधियां सामान्य हो चुकी है। आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों के बीच भारत का विदेश व्यापार का अनुकूल परिदृश्य उभर रहा है। यह भारत की बड़ी उपलब्धि है कि यूक्रेन संकट के बीच दुनिया के प्रमुख देशों के साथ भारत का विदेश व्यापार बढ़ रहा है। भारत का कृषि निर्यात बढ़ा है। क्वाड के दूसरे शिखर सम्मेलन में भारत ने जिस समन्वित शक्ति का शंखनाद किया है उससे भारत के उद्योग कारोबार में बढ़ौतरी होना तय है। हाल ही में जी-7, जी-20 देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय व्यापार संबंध बढ़े हैं उससे भी भारत का व्यापार बढ़ रहा है। अमेरिका में 200 भारतीय कम्पनियां हैं। वाणिज्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में अमेरिका और भारत के बीच 119.42 अरब डालर का व्यापार हुआ जो 2020-21 में 80.51 अरब डालर था। भारत से अमेरिका को निर्यात 2021-22 में बढ़कर 76.11 अरब डालर का हुआ। वर्ष 2021-22 में अमेरिका से भारत का आयात बढ़कर 43.31 अरब डालर का हुआ, जो पूर्ववर्ती वर्ष में 29 अरब डालर का था। भारत में विदेशी निवेश भी लगातार बढ़ रहा है। यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत ने बहुत कम समय में ही संयुक्त अरब अमीरात तथा आस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौते किए। यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद के 6 ​देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इस्राइल के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए वार्ताएं चल रही हैं। भारत न केवल अपने देशवासियों के लिए कल्याणकारी योजनाएं लगातार चलाए हुए हैं बल्कि वह अपने पड़ोसी देशों श्रीलंका और नेपाल की हर तरह से मदद कर रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बावजूद मानवीय आधार पर लगातार उसे सहायता दी जा रही है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों की मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपया अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति में है। रिजर्व बैंक बाजार में अमेरिकी डालर की सप्लाई कर रहा है और बाजार में नगदी तरलता की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित कर रहा है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है, यह एक अस्थायी दौर है जिससे भारत जल्दी ही उभर जाएगा। नेपाल, भूटान के अलावा अन्य देेेशों से आयात और निर्यात में लेन-देन अब भारतीय मुद्रा में हो सकेगा। इससे भी भारत के वैश्विक व्यापार के भुगतान में तेजी आएगी। विदेशी मीडिया भारत की उपलब्धियों को नजरंदाज कर बिना ढक्कन के बर्तन में कुछ भी पकाता रहता है और उसे पूरी दुनिया में परोसता रहता है। कुछ न मिले तो वह इस्लामिक फोबिया को लेकर भारत की आलोचना करता रहता है। इसलिए विदेशी मीडिया को पूरी तरह से नजरंदाज कर देना चाहिए। भारत ने इससे पहले भी कई बार आर्थिक चुनौतियों का सामना किया है और भारत फिर से शक्तिशाली होकर खड़ा हुआ है। इसलिए विदेशी मीडिया के भ्रमजाल में फंसने की जरूरत नहीं है।
Advertisement
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
Advertisement
Next Article