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Ganesh Visarjan 2025: 5 या 6 सितंबर, कब किया जाएगा गणेश विसर्जन? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

01:20 PM Sep 03, 2025 IST | Bhawana Rawat

Ganesh Visarjan 2025: गणेशोत्सव की शुरुआत 27 अगस्त, बुधवार से हुई थी। गणेश चतुर्थी पर अक्सर 10 दिन के लिए गणपति जी स्थापित किए जाते हैं और दसवें दिन यानि अनंत चतुर्दशी को विसर्जन किया जाता है, इसी के साथ गणपति उत्सव का समापन हो जाता है। इस दिन भगवान विष्णु, माता यमुना और शेषनाग की पूजा की जाती है। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर, शनिवार को पड़ रही है।

माना जाता है कि गणपति बप्पा अपने साथ भक्तों के सभी दुखों और कष्टों को लेकर जाते हैं और उनके जीवन में खुशहाली भर देते हैं। अगर आप भी गणेश विसर्जन को लेकर कन्फ्यूज हैं, तो इस लेख में जान लें कि गणेश विसर्जन कि सही तारीख और शुभ मुहूर्त क्या है, इसका महत्व क्या है।

गणेश विसर्जन तिथि (Ganesh Visarjan Date)

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इस साल भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को पड़ रही है, इसी दिन अनंत चतुर्दशी भी मनाई जाती है। इस दिन गणेश चतुर्थी पर स्थापित किए हुए गणपति को विसर्जित किया जाता है। गणपति विसर्जन 1.5 दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन या 10वें दिन भी कर सकते हैं।

गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan Shubh Muhurat)

गणेश विसर्जन का महत्व (Ganesh Visarjan Mahatva)

अनंत चतुर्दशी के दिन, 10 दिवसीय गणेश उत्सव का समापन होता है। इस दिन गणेश चतुर्थी पर बिठाए गए गणपति बप्पा को विसर्जित किया जाता है। इस दिन सिर्फ मूर्ति का विसर्जन नहीं बल्कि भगवन के साथ सपने सभी दुखों और परेशानियों को भी विसर्जित करने का प्रतिक माना जाता है। बप्पा की विदाई पूरे विधि-विधान, श्रद्धा और सम्मान के साथ करना चाहिए। इसलिए लोग बप्पा को विसर्जित करते हुए, उनसे अगले बरस फिर जल्दी आने का आग्रह करते हैं।

गणेश विसर्जन में करें इन मंत्रों का जाप (Ganesh Visarjan Mantra)

1. यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥

2. गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने परमेश्वर।
मम पूजा गृहीत्मेवां पुनरागमनाय च॥

3. गणपति बप्पा मोरया,
पूधच्या वर्षी लवकर या।।

4. गणपति बप्पा मोरया,
अगले बरस तू जल्दी आ।।

5. ऊँ विघ्नकरत्ते नम:।।

6. ऊँ प्रमोदाय नम:।।

7. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

8. ॐ गं गणपतये नमो नमः

Disclaimer: इस लेख में बताए गए तरीके और सुझाव सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित है, Punjabkesari.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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