गार्गी कालेज : महानगर का चरित्र
हाल ही के दिनों में देश में एक के बाद दूसरी गम्भीर घटनाएं हो रही हैं, जिनमें आम नागरिक चिंतित हो उठा है और वह सोचने को मजबूर हो उठा है कि क्या भारत धीरे-धीरे अराजकता की ओर बढ़ रहा है।
04:45 AM Feb 12, 2020 IST | Aditya Chopra
Advertisement
हाल ही के दिनों में देश में एक के बाद दूसरी गम्भीर घटनाएं हो रही हैं, जिनमें आम नागरिक चिंतित हो उठा है और वह सोचने को मजबूर हो उठा है कि क्या भारत धीरे-धीरे अराजकता की ओर बढ़ रहा है। सामाजिक परिवर्तन का विश्लेषण करने वाले विशेषज्ञ कहते हैं कि आम लोगों का जनसमूह सड़कों पर उतर कर अपना आक्रोश जताने लगे तो इस बात का इशारा होता है कि आम आदमी वर्तमान व्यवस्था से बुरी तरह विक्षुब्ध और असंतुष्ट है। हिंसा और हैवानियत का प्रदर्शन हो रहा है। सारी घटनाएं बेशक अलग-अलग कारणों से हुईं मगर इन सबसे असुरक्षा का माहौल पैदा हो चुका है।
Advertisement
Advertisement
क्रोध एवं आनंद के उन्माद में एकत्रित जनसैलाब हमेशा ही नेतृत्वहीन और दिशाहीन होता है। इनका उद्देश्य सिर्फ एक ही होता है ज्यादा से ज्यादा उपद्रव करना। इन घटनों के परिप्रेक्ष्य में एक और उल्लेखनीय तथ्य है कि पुलिस प्रशासन एवं अन्य सुरक्षा एजैंसियों की निष्क्रियात्मक भूमिका। इन सब घटनाओं के बीच राजधानी दिल्ली के गार्गी कालेज में कालेज फेस्ट के दौरान जो कुछ हुआ वह पूरे देश को शर्मसार कर देने वाला है। हजारों छात्र-छात्राओं की भीड़ के बीच कालेज परिसर में घुसे लोगों ने छात्राओं को जबरन गलत तरीके से छुआ और घसीटा। छात्राओं ने जो कुछ बताया उससे तो शब्द भी कांपने लगते हैं। आपत्तिजनक हरकतें की गईं तो पुलिस और सुरक्षा कर्मी तमाशा देखते रहे।
Advertisement
हजारों छात्र-छात्राओं की भीड़ के बीच कुछ लोगों के समूह की इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि उन्होंने छात्राओं को अपनी यौन पिपासा का शिकार बनाया। बाहरी लोगों का समूह गेट और दीवार फांद कर कालेज परिसर में घुसा था। घटना का पता भी तब चला जब छात्राओं ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। कुछ सवाल सामने हैं। कालेज प्रशासन घटना पर खामोश क्यों रहा? पुलिस ने इस घटना का संज्ञान क्यों नहीं लिया। यौन हिंसा करने वाले बचकर कैसे निकल गए? यह उस महानगर का चरित्र है जो भारत को विश्व गुरु बनाने की राजधानी बनने की इच्छा पाले हुए है।
काेई छात्राओं के साथ हुई बदसलूकी को पागलपन और अवसाद करार दे रहा है, कोई बेटियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठा रहा है। संसद में भी मामला गूंजा। मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है। दिल्ली महिला आयाेग भी सक्रिय हो गया है। पुलिस भी एफआईआर दर्ज कर जांच कर रही है। अंधकार के साम्राज्य के सूत्रधारों के काले कारनामों से समाज आहत है।
‘‘अंधकार गर्जन करे, राष्ट्र बहाये नीर
राजा जी के हाथ में, काठ हुई शमशीर।’’
इस राष्ट्र ने आज तक नारी गरिमा को नहीं जाना, नारी व्यथा को नहीं समझा, इसलिए राष्ट्र चाहे जितना तरक्की करे, पर कभी शांति से नहीं रह सकता। पिछले दिनों से देश के कई क्षेत्रों में महिलाओं को जिंदा जलाए जाने की घटनाएं सामने आई हैं। कोई सिरफिरा आशिक एक शिक्षिका को जिंदा जला देता है या फिर कोई दबंग महिला को जिंदा जला देता है। इसमें कोई रहस्य नहीं है कि लड़कियां स्कूलों और कालेजों में लड़कों से आगे हैं। विश्वविद्यालयों, कालेजों में शिक्षा हेतु लड़कियां अधिक संख्या में जा रही हैं। क्या युवतियों की प्रगति देखकर पुरुष समाज कुंठित हो रहा है। विश्व अर्थव्यवस्था को आज महिलाएं चला रही हैं यह तब है जब आधुनिक विकसित देशों में लोग बेटा चाहते हैं। एशियाई देशों में तो यह आकांक्षा एक सामाजिक अभिशाप के रूप में व्यापक है। सामाजिक दृष्टि से महिलाएं शोषित मानी जाती हैं।
गार्गी कालेज की घटना को लेकर पुलिस इंतजार करती रही कि छात्राएं खुद एफआईआर दर्ज कराएं। छात्राओं के मुताबिक जब उन्होंने प्रधानाचार्य को हुड़दंग की जानकारी दी तो प्रधानाचार्य ने कहा कि जब डर लग रहा है तो फेस्ट में आई ही क्यों है? छेड़छाड़ की घटनाएं कालेजों में होती रही हैं लेकिन एक समूह द्वारा ऐसी घटना ने राजधानी की कानून व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। लड़कियां न गली-मोहल्लों में सुरक्षित हैं और न ही कालेज-कैम्पसों में। अपराधी बेखौफ हाेकर भीड़ को चीर कर बाहर निकल जाते हैं तो उन्हें शह कहां से मिल रही है। समाज हैरान है कि लड़कियों से अश्लील हरकतें करने वाले कौन लोग थे। उनके घिनौने चेहरे समाज के सामने आने ही चाहिए। जिन्होंने ऐसा किया है उन्हें नरपशु और धनपशु प्रकृति से सजा मिलनी ही चाहिए। नारी मातृशक्ति है। राष्ट्र इसके अपमान से बचे अन्यथा विध्वंस हो जाएगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Join Channel