मध्य प्रदेश की गौ कैबिनेटः अच्छी पहल
भारत में गाय बहुत संवेदनशील मुद्दा है। गाय को लेकर सियासत भी होती रही है। गाय संरक्षण के लिए कड़े कानून भी हैं। लेकिन हम गौ धन का संरक्षण अच्छी तरह से नहीं कर पा रहे।
01:52 AM Nov 20, 2020 IST | Aditya Chopra
भारत में गाय बहुत संवेदनशील मुद्दा है। गाय को लेकर सियासत भी होती रही है। गाय संरक्षण के लिए कड़े कानून भी हैं। लेकिन हम गौ धन का संरक्षण अच्छी तरह से नहीं कर पा रहे। मानव स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए जिस पौष्टिक आहार की आवश्यकता है, उसमें गौ दुग्ध अग्रणी है। जितने उपयोगी खनिज, लवण, रोग निरोधक बलवर्धक जीवन तत्व गाय के दूध में हैं और शिक्षित देशों में जो गुण और लाभ को परखना जानते हैं, केवल गौ दुग्ध ही उपयुक्त होता है। यूरोप और अमेरिका समेत सभी देश गौ दूध का सेवन करते हैं। गाय की सबसे बड़ी विशेषता उसमें पाई जाने वाली आध्यात्मिक विशेषता है। हर पदार्थ एवं प्राणी में कुछ अति सूक्ष्म एवं रहस्यमय गुण होते हैं। सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण की मात्राएं सबमें पाई जाती हैं, परन्तु गाय में सतोगुण की भारी मात्रा विद्यमान है। अपने बच्चे के प्रति गाय की ममता प्रसिद्ध है। वह अपने पालन करने वाले तथा उसके परिवार से बहुत स्नेह करती है। इस स्तर के उच्च सद्गुण उन लोगों में भी बढ़ते हैं और उसका दूध पीते हैं। गौ दूध एक सर्वांगपूर्ण परिपुष्ट आहार है। इसीलिए हमारे मनीषियों ने गाय का वर्चस्व स्वीकार करते हुए उसे माता माना और उसे पूज्य संरक्षणीय एवं सेवा के योग्य माना। कितना अनर्थ है कि भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, महावीर बुद्ध, गुरु नानक देव, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी दयानंद सरस्वती के धर्म प्राण देश भारत में प्रतिदिन गाय-बैलों की नृशंस हत्या कर दी जाती है। जिस देश ने आजादी प्राप्त करने के लिए दुश्मन के विरुद्ध भी अहिंसा का आह्वान किया उस भारत में गौहत्या और पशुवध निंदनीय है।
गोपाष्टमी और गोवर्धन दो त्यौहार ही गौरक्षा की ओर लोगों का ध्यान खींचने के लिए बनाए गए हैं। आज भी लाखों परिवारों में पहली रोटी गाय के लिए निकालने की परम्परा भी इसलिए है कि गाय को एक कुटुम्ब का प्राणी समझा जाता है। मध्य प्रदेश सरकार ने गाय की सुरक्षा उनकी बेहतर देखरेख के लिए राज्य सरकार ने अहम फैसला लिया है। शिवराज सरकार ने गायों की देखभाल के लिए गौ-कैबिनेट का गठन किया है। इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री रहेंगे और सदस्य गृह, पशुपालन, कृषि वन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्रियों को बनाया गया है। सदस्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव पशुपालन विभाग के होंगे।
इस गौ-कैबिनेट की पहली बैठक 22 नवम्बर को गौपाष्टमी पर आगा मालवा में आयोजित की जाएगी। गायों के संरक्षण के लिए सभी विभाग सामूहिक रूप से इसका फैसला लेंगे। पशुपालन विभाग ही गायों को प्रजनन और गौशालाओं की देखभाल करती है। इसके साथ ही वन विभाग भी गायों के संरक्षण का काम करेगी। कुछ महीने पहले अगस्त के मध्य राज्य की कमलनाथ सरकार ने राज्य की 1300 गौशालाओं में रहने वाली 1.08 लाख गायों के लिए 11 करोड़ का बजट आवंटित किया था। कांग्रेस ने भी उपचुनावों से पहले अपने वचन पत्र में गौधन न्याय योजना लागू करने की घोषणा की थी। इसके तहत पशुपालकों से गोबर खरीद कर खाद बनाने की बात कही गई थी। इसे ध्यान में रखते हुए शिवराज सरकार ने गौ-कैबिनेट का ऐलान कर दिया, जिसकी सराहना ही की जानी चाहिए।
गायों के संरक्षण के लिए एक मात्र उपाय यह है कि पहले हमें पुनः गौ धन की उपयोगिता स्थापित करनी होगी। वर्तमान में हम गौ धन संरक्षण के लिए पूरी तरह गौशालाओं पर निर्भर हो गए हैं। गौशाला एक तरह से गायों के लिए सहारा भर है। मशीनों से खेती ने बैलों को खेतों से बाहर कर दिया है, किसानों के घरों में गाय की उपयोगिता नहीं रही। एक समय था जब गांवों में किसानों के घरों में गाय होती थी। बढ़ते शहरीकरण ने धीरे-धीरे कस्बों के घरों से गाय को दूर कर दिया। गौशालाओं का यह हाल है कि जगह न होने और अत्यधिक गायों की उपलब्धता के कारण रखरखाव कठिन हो गया है। वर्षा के दिनों में गौशालाओं में दलदल हो जाती है और अनेक गाय बीमारी का शिकार होकर मर जाती हैं। महज चारदीवारी करके गौशालाओं का नामकरण कर दिया जाता है लेकिन आवश्यक सुविधाओं का अभाव होता है। यदि वास्तव में गौ वंश की सुरक्षा करनी है तो कुछ ऐसे नए उपायों पर विचार किया जाना चाहिए। गौ-पालक किसानों को प्रति माह कुछ अनुदान दिया जा सकता है। सरकार किसानों से गाय का दूध खरीदें और उसे उचित मूल्य पर बाजार में उपलब्ध करवाए। ऐसा अभियान चलाया जाना चाहिए ताकि लोग पुनः अपने घरों में गौ-पालन करनेे को तैयार हो जाएं।
जब तक भारत में गौवंश पर अत्याचार होता रहेगा, हमारा देश अशांत रहेगा। कहा जाता है कि एक अकेली गाय का आर्तनाद सौ-सौ योजन तक की भूमि को श्मशान बना देने में सक्षम है। इतिहास गवाह है कि गौरक्षा आंदोलन में पंजाब के कूका समुदाय की बड़ी अहम भूमिका रही। शहादतों की ऐसी मिशाल की कल्पना भी नहीं कर सकते। गौरक्षा के मुद्दे पर 66 लोग तोपों से उड़ा दिए जाएं, ऐसी मिसाल हमारे इतिहास की धरोहर है। गायों और अन्य पशुओं में लोगों का आय स्रोत दिखेगा तो ग्रामीण क्षेत्र समृद्ध होंगे। इससे छोटे किसान खेती से भी जुड़ेंगे और गांवों से पलायन रुक जाएगा। मध्य प्रदेश की तर्ज पर अन्य राज्य भी ऐसा ही अनुसरण कर सकते हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
Advertisement
Advertisement

Join Channel