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27से दिल्ली मे डेरा डालेंगे गहलोत समर्थक, सचिन को रोकने की पूरी कवायद

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से ज्यादा राजस्थान की सीएम कुर्सी पर गहमागहमी बनी हुई है। गहलोत समर्थक सचिन पायलट की उड़ान को रोकने के लिए पेसोपेश में हैं।

02:29 PM Sep 24, 2022 IST | Desk Team

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से ज्यादा राजस्थान की सीएम कुर्सी पर गहमागहमी बनी हुई है। गहलोत समर्थक सचिन पायलट की उड़ान को रोकने के लिए पेसोपेश में हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से ज्यादा राजस्थान की सीएम कुर्सी पर गहमागहमी बनी हुई है। गहलोत समर्थक सचिन पायलट की उड़ान को रोकने के लिए पेसोपेश में हैं। अगर गहलोत पार्टी का अध्यक्ष बन जाते हैं तो उन्हें राजस्थान सीएम की कुर्सी से इस्तीफा देना पड़ेग। जिस पर कांग्रेस कद्दावर नेता सचिन पायलट अहम दावेदार माने जा रहे हैं। इस गहमागहमी को लेकर पायलट समर्थक सक्रिय भी हैं, लेकिन गहलोत समर्थक हाईकमान का निर्देश मिलते ही दिल्ली का कूच करने के लिए तैयार है। क्योंकि गहलोत समर्थक विधायकों का मानना हैं कि गहलोत इतनी जल्दी से हार मानकर त्याग पत्र देने वाले नहीं हैं।  
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आज जयपुर लौटेगें गहलोत,  28 में नामांकन करेंगे दाखिल
सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा हैं कि सीएम गहलोत आज जयपुर लौटेगें, जंहा वह अपने समर्थक विधायकों से बातचीत कर सीएम फेस को लेकर आगे की रणनीति तय करेंगे। सीएम गहलोत 28 सितंबर को कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगे। सूत्रों के अनुसार 27 सितंबर को गहलोत समर्थक मंत्री और विधायक दिल्ली जा सकते हैं। अगर ऐसा होता हैं तो सचिन पायलट के लिए सीएम की कुर्सी पर पहुंच पाना आसान नहीं होगा।  
ट्वीट में मिले जवाब के बाद अटकलों को हवा 
गहलोत के मंत्री सुभाष गर्ग ने सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा के ट्वीट पर लिखा- बिल्कुल सही लिखा। मुझे ध्यान है कि नीलम संजीव रेड्डी 1960 से 1963 तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। तब 20 मार्च 1962 से 20 फरवरी 1964 तक आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। दरअसल, सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा ने ट्वीट कर लिखा- राजनीतिक फैसले नियम के आधार नहीं किए जा सकते। वक्त की नजाकत,जरुरत, राय, उपेक्षा सब का मिश्रण ही निर्णय की सफलता का मार्ग बना सकता है। 
आपको बता दे की सचिन पायलट ने लंबे अरसे से पार्टी हाईकमान के सामने सीएम पद को लेकर मांग रखी हैं। लेकिन परिस्थिति वश अशोक गहलोत हमेशा सचिन पायलट को पटखनी देते आए हैं । अशोक गहलोत पार्टी व गांधी परिवार के वफादारी में सबसे आगे हैं । अन्यथा किसी भी कीमत पर राजस्थान में नेतत्व बदलने के लिए छीटाकंशी नहीं उठानी पड़ती।  
 
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