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गिलगित-बाल्टिस्तान : नग्न हुआ पाकिस्तान

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12:37 AM May 29, 2018 IST | Desk Team

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स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को घेरते हुए ब्लूचिस्तान के साथ-साथ गिलगित-बाल्टिस्तान का जिक्र किया था। ऐसा करके उन्होंने रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण एक ऐसे क्षेत्र की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया था, जहां सिंधू नदी को अपने दामन में समेटे इस इलाके में माउंट एवरेस्ट से कुछ ही कम ऊंची पर्वत चोटियां हैं। इसका इतिहास लगभग भुलाया जा चुका है और जिसका राजनीतिक भविष्य संदेह के आवरण से लिपटा हुआ है। कई एेसे मुद्दे हैं जिन पर पाकिस्तान इस इलाके को लेकर असहज स्थिति में आ जाता है। गिलगित-बाल्टिस्तान की स्थानीय परिषद के अधिकारों में कटौती करने के पाकिस्तान सरकार के फैसले पर भारत ने कड़ा प्रोटैस्ट जताकर पाकिस्तान को असहज स्थिति में डाल दिया है। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तानी उप उच्चायुक्त सैयद हैदर शाह को तलब कर पाकिस्तान सरकार से कहा है कि गिलगित-बाल्टिस्तान का इलाका जम्मू-कश्मीर का अभिन्न अंग है। इस हिस्से पर पाकिस्तान ने सन् 1947 में आक्रमण कर कब्जा कर लिया था इसलिए उसे इलाके की स्थिति में बदलाव का कानूनी अधिकार नहीं।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने 21 मई को आदेश जारी कर इलाके की स्थानीय परिषद के अहम अधिकारों को खत्म कर दिया है। इन अधिकारों से परिषद स्थानीय मामलों में फैसला लेती थी। इस फैसले को पाक सरकार की ओर से ​गिलगित को पाकिस्तान का पांचवां प्रांत बनाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। भारत ने सीधी चेतावनी दे दी है कि वह अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्र खाली कर दे। पाकिस्तान के नए आदेश को लेकर गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों में आक्रोश फैल गया है। उन्होंने कई जगह प्रदर्शन भी किए। 1947 में भारत विभाजन के समय यह क्षेत्र जम्मू-कश्मीर की तरह न भारत का हिस्सा रहा और न ही पाकिस्तान का। डोगरा शासकों ने अंग्रेजों के साथ लीज डीड पहली अगस्त 1947 को रद्द करते हुए क्षेत्र पर अपना नियंत्रण कायम कर लिया लेकिन महाराजा हरिसिंह काे गिलगित स्काउट के स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान के विद्रोह का सामना करना पड़ा। खान ने 2 नवम्बर 1947 को गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी का ऐलान किया। इससे दो दिन पहले 31 अक्तूबर को हरिसिंह ने रियासत के भारत में विलय की मंजूरी दी। 21 दिन बाद पाकिस्तान इस क्षेत्र में दाखिल हुआ आैर सैन्य बल से इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।

2 अप्रैल 1948 तक गिलगित-बाल्टिस्तान को पाक के कब्जे वाले कश्मीर का हिस्सा माना जाता रहा लेकिन 28 अप्रैल 1949 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सरकार के साथ एक समझौता हुआ जिसके तहत गिलगित के मामलों को सीधे-सीधे पाकिस्तान की केन्द्र सरकार के मातहत कर दिया गया। इस करार को कराची समझौता कहा जाता है। महत्वपूर्ण यह है ​िक क्षेत्र का कोई भी नेता इस करार में शामिल नहीं हुआ था। भारत का शुरू से ही यह स्टैंड है कि ​गिलगित-बाल्टिस्तान 1947 तक वजूद में रही जम्मू-कश्मीर रियासत का हिस्सा रहा था और इसलिए यह पाकिस्तान के साथ क्षेत्रीय विवाद का हिस्सा है। दरअसल चीन का चीन-पाक आर्थिक गलियारा इसी विवादित क्षेत्र से होकर गुजरता है। गिलगित-बाल्टिस्तान का दर्जा स्पष्ट न होने को लेकर चीन की अपनी चिन्ताएं हैं। चीन की चिन्ताओं को देखते हुए उसे खुश करने के लिए ही पाकिस्तान ने इसे अपना पांचवां राज्य बनाने की साजिश रच डाली है। स्थानीय लोग चीन-पाक आर्थिक गलियारे का विरोध कर रहे हैं। भारत की अपनी चिन्ताएं हैं। यह इलाका पाक अधिकृत कश्मीर से सटा हुआ है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान का खैबर पख्तूनखवा प्रांत, उत्तर में चीन और अफगानिस्तान आैर पूर्व में भारत है। इसकी भौगोलिक स्थिति की वजह से यह इलाका भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण और संवेदनशील है।

भारत जम्मू-कश्मीर के किसी भी हिस्से को एक अलग पाकिस्तानी प्रांत बनाए जाने के खिलाफ है। अगर गिलगित-बाल्टिस्तान पाक का पांचवां राज्य बन जाता है तो पाकिस्तान कानूनी तौर पर अपना दावा पुख्ता कर लेगा आैर यहां चीनी सेना की मौजूदगी भी हो सकती है। पाकिस्तान ने इस इलाके के संसाधनों का जमकर दाेहन किया है और यहां मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन भी किया। पाकिस्तान काफी समय से क्षेत्र की जनसंख्यायिकी परिवर्तन में लगा हुआ है। उसने पाकिस्तान के अन्य प्रांतों से लोग यहां लाकर बसा दिए लेकिन 10 लाख की आबादी वाले क्षेत्र के लोग चाहते हैं कि भारत आैर पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद के हल की प्रक्रिया में उन्हें भी हिस्सा बनाया जाए। पाकिस्तान अब तक गिलगित में किसी भी असंतोष को सैन्य शक्ति से कुचलता रहा है। स्थानीय आंदोलनों काे नई आवाज तो मिली लेकिन लोगों को उम्मीद है कि पाक के दमन के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी आवाज सुनी जाएगी। पाकिस्तान ने अपने मौजूदा प्रांतों की घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखा। ब्लूचिस्तान सक्रिय विद्रोह की गिरफ्त में है। सिंध और पख्तूनखवा में भी विद्रोह के स्वर सुनाई देते हैं। पाकिस्तान अगर गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों की न्यायोचित आकांक्षाओं को कुचलता है तो टकराव निश्चित है। पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पूरी तरह नग्न हो चुका है। भारत सरकार ने सही कदम उठाया है। उसे एक फासीवादी राष्ट्र की सामंतवादी साजिश को विफल बनाने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों को राजनीतिक, कूटनीतिक और नैतिक समर्थन देना चाहिए। भारतीय लोकतंत्र को उन लोगों के सम्मानपूर्वक जीवन के अधिकारों के लिए कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए।

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