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गीता जयंती का व्रत करके पाएं श्री कृष्ण का आशीर्वाद, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

12:58 PM Nov 27, 2025 IST | Kajal Yadav
गीता जयंती का व्रत करके पाएं श्री कृष्ण का आशीर्वाद  जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Gita Jayanti Kya Hai (Source: punjab kesari file)

Gita Jayanti Kya Hai: गीता जयंती हर साल मार्गशीर्ष मा​ह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन एकादशी का व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से गीता जयंती का व्रत रखता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। क्योंकि इस दिन मोक्षदा एकादशी होती है। जैसा कि मोक्षदा एकादशी के नाम से ही आपको पता चल जाएगा कि वह एकादशी, जो मोक्ष देती है। इस बार गीता जयंती पर भद्रा का साया है और पंचक भी रहेगा। आइए जानते हैं कि इस साल कब है गीता जयंती और क्या है इसका शुभ मुहूर्त।

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Gita Jayanti 2025: गीता जयंती शुभ मुहूर्त

Gita Jayanti Kya Hai
Gita Jayanti Kya Hai (Source: AI)

हिंदू पचांग के अनुसार, गीता जयंती के लिए आवश्यक मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी तिथि 30 नवंबर रविवार को रात 9:29 बजे शुरू होगी। इस ति​थि का समापन 1 दिसंबर सोमवार को शाम 7:01 बजे होगा। उदयाति​थि के अनुसार, गीता जयंती 1 दिसंबर दिन सोमवार को मनाई जाएगी।

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Gita Jayanti Puja Vidhi: गीता जयंती पूजा विधि

गीता जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए। फिर गीता का पाठ करने के साथ ही व्रत और पूजन भी आप कर सकते हैं। हिंदू धर्म में गीता जयंती को बहुत पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन व्रत, पूजन और गीता पाठ करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पूजा में आपको उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। पूजा स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए और वहां भगवान कृष्ण की फोटो लगानी चाहिए। ऐसी तस्वीर या प्रतिमा न हो, तो आप श्रीकृष्ण जी की सामान्य तस्वीर भी लगा सकते हैं।

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Gita Jayanti puja vidhi
Gita Jayanti puja vidhi (Source: AI)

इसके बाद पूजा के स्थान पर धूप-दीप जलाना चाहिए। भगवान कृष्ण को फूल, चंदन, तुलसी, अक्षत और मिठाई आदि अर्पित करना चाहिए। शांति पूर्वक बैठकर गीता के किसी एक अध्याय का पाठ करना चाहिए। गीता जयंती के दिन गीता के 18वें अध्याय का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। गीता पाठ करने के बाद आपको श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए और अंत में श्रीकृष्ण जी की आरती गानी चाहिए। आरती के बाद प्रसाद का वितरण परिवार के लोगों में करें। इस तरह आपकी पूजा समाप्त हो जाती है। इसी तरह आपको शाम के समय भी गीता जयंती के दिन श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए।

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