Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

भगवान और समाज सेवा जाति-धर्म से ऊपर

NULL

12:43 AM Jan 06, 2019 IST | Desk Team

NULL

जब हम पैदा होते हैं तो घर के बुजुर्ग हमारे कानों में सबसे पहले ओम, वाहेगुरु, अल्लाह, जो जिस भी भगवान के रूप को मानते हैं उसका नाम लिया जाता है। हम सब जानते हैं कि ईश्वर एक है, इसके रूप अनेक हैं। यही नहीं जब जिन्दगी में कोई भी संकट आता है तो हम सभी ईश्वर को याद करते हैं या हाय मां या हे ईश्वर, हे राम, वाहेगुरु या अल्लाह मुंह से निकलता है या जय माता दी कहते हैं। सब अपने बुजुर्गों के अनुसार चलते हैं। बहुत कम लोग ऐसे भी हैं जो मानते ही नहीं कि ईश्वर भी हैं परन्तु एक शक्ति है जो सारी सृष्टि को चला रही है। मेरा मानना है ईश्वर, अल्लाह, वाहेगुरु सबके हैं, इनको कोई भी याद कर सकता है। पूजा कर सकता है और ईश्वर, भगवान, वाहेगुरु, अल्लाह की कोई जाति नहीं होती वो इन बातों से ऊपर उठकर ही हैं। अगर जाति होती तो वह भी आम इन्सान होता।

जाति नहीं और वह सबको देने वाला है तो ही भगवान भी है तो पिछले दिनों विवाद चल रहे थे कि भगवान इस जाति के हैं तो मैं इसे नहीं मानती। इतने साल काम करते-करते यही जाना है कि ईश्वर (वो किसी भी रूप में हों, सबके हैं) की पूजा और समाज सेवा भी जब की जाती है तब किसी की जाति-धर्म देखकर नहीं की जा​ती। समाज सेवा केवल जरूरतमंदों की जाती है। जब अश्विनी जी बीमार थे तो अमेरिका में आईसीयू के बाहर कोई भी ईश्वर, भगवान, वाहेगुरु, अल्लाह नहीं बचा होगा जिसे मैंने याद न किया होगा और प्रसाद न सुखे हों क्योंकि मैं सनातन धर्म परिवार से हूं अैर आर्यसमाजी परिवार में ब्याही हूं इसलिए सबको मानती हूं।

जैन धर्म का पालन करती हूं और सबसे ज्यादा बंगला साहिब गुरुद्वारे में विश्वास रखती हूं। कोई भी जिन्दगी में अड़चन आए तो माता रानी, बंगला साहिब गुरुद्वारा, साईं बाबा, गुरु जी, रामशरणम्, अजमेर शरीफ पर प्रसाद सुखती हूं और जिन्दगी के हर सुख-दुःख या सेलिब्रेशन में आर्यसमाजी हवन होता है और अगर यात्रा कर रहे हैं या कोई संकट हैं तो हनुमान जी सबसे करीब होते हैं।
‘‘संकट कटे मिटे सब पीरा,
जो सुमिरन हनुमत बलबीरा,
अनंतकाल रघुवर पुर जाई,
जहां जन्म हरिभक्त कहाई,
और देवता चित्त न धरई,
हनुंमत सेई सर्वसुख करई।’’
कहने का भाव है कि किसी भी भगवान की जाति नहीं होती क्योंकि वह भगव​ान है इसलिए सबका है। गरीब, अमीर, हर जाति का है जिस तरह कोई व्यक्ति समाज सेवा करता है वो भी जाति-धर्म नहीं देखता, वो ही असली सेवा है। कोई व्यक्ति खून देने और लेने के समय भी कोई जाति-धर्म नहीं पूछता। कोई अंगदान देने से पहले भी जाति-धर्म नहीं पूछता क्योंकि सेवा सबसे ऊपर उठकर होती है।मेरा तो हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन है कि अगर राम मन्दिर बने तो सब जाति-धर्मों के लोग योगदान दें, सेवा दें।

अगर कहीं मस्जिद बने तो भी सभी मिलकर बनाएं, गुरुद्वारा बनें तो सभी मिलकर आगे आएं। आज मैंने अपनी पंजाब केसरी में बड़े-बड़े नेताओं फारूक अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद, इकबाल अंसारी की स्टेटमैंट पढ़ी तो बहुत अच्छी लगी कि अगर राम मन्दिर बनेगा तो वह भी सहयोग करेंगे। ऐसे ही सभी की सोच होनी चाहिए। हिन्दोस्तान सभी जाति-धर्मों का देश है, सभी मन्दिर-मस्जिद बनने चाहिएं क्योंकि हिन्दोस्तान राम का देश है तो राम मन्दिर सबको मिलकर बनाना ही चाहिए। हमारे ही देश में कहा जाता है कि:
‘‘ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम,
सबको सन्मति दे भगवान।’’
हम सबको समभावना से हर धर्म का सम्मान करना चाहिए जो भारत की असली पहचान है।

Advertisement
Advertisement
Next Article