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सोने की लंका हुई मोहताज

भारत के दक्षिण में हिन्द महासागर के द्वीप श्रीलंका का प्राचीनकाल से ही भारत से अटूट संबंध रहा है।

01:30 AM Mar 14, 2022 IST | Aditya Chopra

भारत के दक्षिण में हिन्द महासागर के द्वीप श्रीलंका का प्राचीनकाल से ही भारत से अटूट संबंध रहा है।

भारत के दक्षिण में हिन्द महासागर के द्वीप श्रीलंका का प्राचीनकाल से ही भारत से अटूट संबंध रहा है। 1972 तक इसका नाम सीलोन था, जिसे बदल कर लंका तथा 1978 में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द श्री जोड़ कर श्रीलंका कर दिया गया। हिन्दू पौराणिक इतिहास में श्रीलंका से अनेक कथाएं जुड़ी हुई हैं। रावण ने कुबेर को निकाल कर सोने की लंका को हड़प लिया था। सीता की खोज में गए हनुमान ने लंका जलाई थी और श्रीराम और लक्ष्मण ने रावण का विनाश किया था। श्रीलंका में बड़ी संख्या में हिन्दू रहते हैं। हालांकि यहां की जनसंख्या का करीब 12.60 फीसदी हिस्सा हिन्दुओं का है। डीएनए शोध के अनुसार श्रीलंका में रह रहे सिंहली जाति के लोगों का संबंध भारतीय लोगों से है। भारत ने हमेशा वहां रहने वाले भारतीयों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की। मैं श्रीलंका के आतंकवादी संगठन लिट्टे के इतिहास में नहीं जाना चाहता। श्रीलंका ने चीन की मदद से ही लिट्टे को नेस्तनाबूद किया था।
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इस समय सोने की लंका (श्रीलंका) में बढ़ती महंगाई और खाद्य संकट की वजह से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। लोग दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज हो गए हैं। दूध की कीमतें आसमान छू रही हैं। रसोई गैस महंगी होने से लगभग एक हजार बेकरियां बंद करनी पड़ी हैं। ब्रैड के एक पैकेट की कीमती 150 रुपए श्रीलंकाई रुपए हो चुकी है। चिकन आम लोगों के बजट से बाहर ही हो चुका है। ईंधन की कमी से दिन में 7-7 घंटे से ज्यादा बिजली कटौती की जा रही है। आखिर श्रीलंका की अर्थव्यवस्था का ऐसा हाल क्यों हुआ। दरअसल टूरिज्म यानी पर्याप्त उद्योग का उसकी अर्थव्यवस्था में बड़ा रोल है। टूरिज्म सैक्टर ​विदेशी मुद्रा का तीसरा बड़ा स्रोत है। कोरोना महामारी के चलते उसका विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली होने को है।  स्थि​ति इतनी ​िवकट है कि उसके पास ईंधन की दो खेप के भुगतान के लिए  पर्याप्त मात्रा में अमेरिकी डालर भी नहीं है। लगभग 5 लाख श्रीलंकाई सीधे पर्यटन उद्योग पर निर्भर हैं। 20 लाख लोग इस उद्योग से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।
टूरिज्म से श्रीलंका को 5 अरब डालर करीब 37 हजार करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा मिलती है। पिछले दशक के अधिकांश हिस्से में श्रीलंका लगातार दोहरे घाटे (वित्तीय एवं व्यापार) का सामना करता रहा है। 2014 से 2019 तक श्रीलंका का विदेशी कर्ज बढ़कर जीडीपी का 42.6 प्रतिशत हो गया है। 2019 में श्रीलंका का कुल विदेशी कर्ज तकरीबन 33 अरब अमेरिकी डालर था। इसमें से करीब पांच अरब डालर चीन से ​लिया था जबकि चीन से एक अरब डालर का कर्ज उसने पिछले साल भी लिया है। इन परिस्थितियों में कई क्रेडिट रेटिंग एजैंसियों ने श्रीलंका की क्रेडिट रेटिंग को घटा दिया है। इन एजैंसियों में स्टैंडर्ड एंड पूअर और मूडी शामिल है। रे​टिंग  घटने से श्रीलंका के लिए इंटरनेशनल सावरिन बांड्स (आईएसबी) के जरिये धन राशि हासिल करना मुश्किल हो गया है।
चीन ने श्रीलंका को अपने बेल्ट एंड रोड प्रोजैक्ट में अहम किरदार बताया और  उसे फंसाने के लिए चीन ने उसे अरबों डालर का लोन दिया। हम्बनटोटा पोर्ट के लिए उसने 1.26 अरब डालर का कर्ज दिया। श्रीलंका को लग रहा था कि इस पोर्ट से व्यापार में उसे फायदा होगा लेकिन वह कर्ज चुका ही नहीं सका। चीन ने कई देशों को अपने ऋण जाल में फंसाया और कर्ज वापिस नहीं मिलने पर उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया। श्रीलंका में भी ऐसा ही हुआ। उसे मजबूर होकर हम्बनटोटा पोर्ट को चीन को देना पड़ा। श्रीलंका चीन सहित कई देशों के कर्ज जाल में डूबा हुआ है और वह ​किसी भी समय दिवालिया घोषित हो सकता है। श्रीलंका को अगले 12 माह में 7.3 अरब डालर (54 हजार करोड़ रुपए) का घरेलू और विदेशी कर्ज चुकाना है। इसके कुल कर्ज का लगभग 68 फीसदी हिस्सा है।
गम्भीर वित्तीय संकट से जूझ रहे श्रीलंका के लिए भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया है। भारत ने उसे 90 करोड़ डालर से ज्यादा कर्ज देने की घोषणा की है, ताकि उसे विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने में मदद मिले और वह खाद्य आयात कर सके। भारत श्रीलंका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ रहने को प्रतिबद्ध है। भारत ने हमेशा ‘पड़ोस पहले’ की नीति को प्राथमिकता दी है। भारत श्रीलंका के लिए  संकटमोचक बना है। इसी वर्ष जनवरी में भारत द्वारा दी गई कर्ज सहायता की मदद से देश के तमिल बहुल जाफना जिले को कोलम्बाे से जोड़ने वाली एक लग्जरी ट्रेन की शुरूआत की है। श्रीलंका के विकास कार्यों में भारत का कुल योगदान 3.5 अरब अमेरिकी डालर से अधिक है। भारत ने पड़ाेसी देशों की हर सम्भव मदद की है। श्रीलंका को अब चीन और भारत का फर्क महसूस होता ही होगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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