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गूगल और नेट ज्ञान का गुरू नहीं हो सकता है ज्ञान का गुरू स्कूल कॉलेज और किताब है : उप राष्ट्रपति

पटना विश्वविद्यालय में तीन लाख पुस्तक हैं दुलर्भ पांडुलिपी है उसका रख-रखाव हेतु अटल पांडुलिपि से लाभ उठाना चाहिए।

02:09 PM Aug 04, 2019 IST | Desk Team

पटना विश्वविद्यालय में तीन लाख पुस्तक हैं दुलर्भ पांडुलिपी है उसका रख-रखाव हेतु अटल पांडुलिपि से लाभ उठाना चाहिए।

पटना : देश में ज्ञान का भंडार स्कूल, कॉलेज और किताब है। चाहे वह देश का प्रधानमंत्री हो, मुख्यमंत्री हो, जिला प्रतिनिधि हो या विधायका हो उसे मातृभूमि को कभी  नहीं भूलना चाहिए। मातृभूमि मां की तरह होता है। मातृभूमि और भाषा ये दोनों लोगों को आगे बढ़ाता है। ये बातें आज देश के उपराष्टद्यपति वैकेया नायडू पटना विश्वविद्यालय पुस्तकालय का 100 साल पूरे होने पर शताब्दी स मारोह में भाग लेने पहुंचे। शताब्दी समारोह में डाक विभाग द्वारा टिकट जारी किया गया और पुस्तकालय का स्मारिका का भी विमोचन किया गया। 
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इस अवसर पर उप राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार में  नालंदा ज्ञान का भंडार है जिसे पूरे विश्व में जाना जाता है। पटना विश्विद्यालय से छात्र जीवन में  लोकनायक जयप्रकाश नारायण भी यहीं से आन्दोलन शुरू किये। मैं भी उस समय अपने राज्य में छात्र आन्दोलन से जुड़ा था और मैं भी लोक नायक जयप्रकाश नारायण के साथ आन्दोलन के साथी बना। वकालत छोडक़र राजनीति में आया और आज मैं देश का उपराष्ट्रपति हॅू। जितना  भी नेट और गूगल है मगर शिक्षा का सबसे बड़ा गु्रप पुस्तक है जिसे ज्ञान का मंदिर कहा जाता है। आजाद देश में पहला शिक्षा मंत्री राधाकृष्णन कहा करते थे कि जिस कमरा में पुस्तक नहीं हो वह कमरा ज्ञान का नहीं होता। संविधान का मूल अधिकार पुस्तक ही है। बोलने के पहले सोंचो फिर पढ़ो तभी आगे बढ़ो। यह भारत ज्ञान का मंत्र है। भारत का प्राचीन गौरव रहा जिसमें मगध की धरती सबसे बड़ी धरती है। 
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अंगे्रज ने हमको बीमार बना दिया। आज के नौजवान बाहर में कमाने के लिए जाते हैं तो जायें अच्छी बात है। मगर मातृ भूमि को कभी नहीं भूलना चाहिए। पड़ोसी से भी अपनी भाषा में बात करनी चाहिए। हिन्दुस्तान एक बगीचा है यहां पर सभी तरह के फूल खिलते हैं। हिन्दू, ममुसलमान, फारसी सभी जाति-धर्म के अमीर-गरीब रहते है यह भेदभाव मिटाये बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता है। बिडम्बना यह है कि नौकरी, पंचायत प्रतिनिधि, एमपी, एमएलए का चयन सोंच-समझकर करना चाहिए कि ये आम जनमानस के लिए क्या करेंगे। राजनीतिक शिक्षा राजनेता को पुस्तक के बिना उनका शिक्षा अधूरा है। आज पटना विश्वविद्यालय से अनुग्रह नारायण सिंह विधानचंद राय जेपी नड्डा, रामविलास पासवान, अश्विनी चौबे, लोक नायक जयप्रकाश नारायण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी यहीं से शिक्षा लेकर आगे गये।
पटना विश्वविद्यालय में तीन लाख पुस्तक हैं दुलर्भ पांडुलिपी है उसका रख-रखाव हेतु अटल पांडुलिपि से लाभ उठाना चाहिए। मैं बिहार का राज्यपाल फागू चौहान को कहा हॅू कि पटना विश्वविद्यालय में दुलर्भ पांडुलिपी की देख-रेख करें जो भी मदद होगा पूरा किया जायेगा। सभा में कुछ छात्रों ने पटना विवि को केन्द्रीय विवि की दर्जा की मांग की। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को आश्वासन दिया कि मैं मंत्री को बुलाकर जो भी होगा दर्जा देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जायेगा। हमारे पूर्वजों ने खाद पदार्थ खाने के लिए लोगों को हर ऋतु में इस तरह का खाना खाना चाहिए। मगर आज ककल के नौजवान पीज्जा और चौमिन में मग्न है। देश की संस्कृति खाद पदार्थ से दूर भागती जा रही है। उन्होंनेक कहा कि जन जागरण के बिना स्वच्छता अभियान, शराबबंदी, योगायोग नहीं चल सकता। बहुत लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री राजनीति के लिए योगायोग करते है।
मगर जो लोग योगा करेंगे उनका शसरीर स्वस्थ्य रहेगा। प्रधानमंत्री अपने लिए योगा करते हैं। उन्होंने नौजवानों का आह्वान किया कि अंग्रेजी जरूर पढ़े, मगर मातृभाषा को नहीं छोड़े। मातृभाषा का मतलब होता है मां की भाषा। मोबाइल से ज्यादा किताबों पर ध्यान दें, क्योंकि किताब ही आगे का रास्ता तय करेगा। 100 साल का इतिहास है कि छोटे-छोटे आलेख और किताबे ही देश की दिशा तय करती है। आज के नौजवान जन जागरण से मिलकर स्वच्छता अभियान, योगायोग को और बढ़ावा दें। ताकि लोग निरोग रह सकें। वहीं बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि मैं पहली बार राज्यपाल बनने के बाद आम सभा को संबोधित कर रहे है। मैं और नीतीश जी साथ में विधायक बनें। नीतीश कुमार पटना साइंस कॉलेज के छात्र थे मुझे सुनकर हर्ष हो रहा है।
उन्होंने कहा कि पटना विवि के बदलते परिवेश में भी अपने गुणवत्ता से समझौता नहीं किया। इस विश्वविद्यालय का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है और आज भी कायम है। इसके लिए यहां के अधिकारी से  लेकर तमाम शिक्षक, पदाधिकारी और कर्मचारी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि इस विद्यालय से कई सफल छात्र निकले। इससे पुस्तकलय की अच्छी भूमिका निभायी है। मैं राज्यपाल होने के नाते मुझे जो सहयोग करना होगा मैं करूंगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पटना विवि कोई सामान्य विवि नहीं है। इनका अपना स्वर्णिम इतिहास रहा है। इस विश्वविद्यालय में कई राज्यों में से छात्र पढऩे आतमे है। इसके विकास में जितना फंड की व्यवस्था होगी उसे पूरा करूंगा। वहां मौजूद छात्रों के मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं पहले से कहता आ रहा हॅू कि इसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलना चाहिए।
बिहार का सत्ता संभलने के बाद हमने पहले यहां शिक्षा की अलख जगायी है। जो छात्र बाहर पढऩे जाते थे अब वे बिहार में ही पढ़ रहे हैं। गरीब छात्र माली हालत के चलते बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते थे उसे बिहार सरकार पढ़ाई के लिए भी मदद कर रही हे। जिसके लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड याजना शुरू की गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्राट चन्द्रगुप्त, चाणक्य और आर्यभट्ट के नाम पर विश्वविद्यालय खोले गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन तभी हरियाली बचेगा। नहीं तो आने वाला दिनों में लोगों को पानी मिलना मुश्किल हो जायेगा। जल जीवन और हरिणली बचाने केलिए जन जागरण छात्र-छात्राएं समाजसेवी आगे आयें। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि इस लाईब्रेरी का पाठक आज से 45 साल पहले रहा हॅू। यह पटना विवि ज्ञान और राजनीतिक का क्षेत्र रहा है। 
1974 का जन आन्दोलन इसी पटना साइंस कॉलेज का उपज है। 1974 में लोक नायक जयप्रकाश नारायण आन्दोलन की रूपरेखा यहीं से तय किया था। लाइब्रेरी में एक सौ साल का पांडुलिपी पड़ा है। लाईबे्ररी को और दुरूस्त करने केलिए सारा पांडुलिपी को डिजिटल में बदलने केलिए काम कर रहा हॅू। पटना विवि बड़े-बड़े नेताओं की ज्ञान भूमि रही है। इस अवसर पर शिक्ष्ज्ञा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा, बीमा भारती, पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्राचार्य, नवीन कुमार आर्या, विद्यानंद विकल एवं राजनीतिक के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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