गोवर्धन पूजा के दिन जरूर गाएं भगवान श्री कृष्ण की ये आरती, बरसेगी असीम कृपा, जानें क्या है आज के दिन का महत्व?
Govardhan Maharaj Ji Ki Aarti Lyrics: हिंदू धर्म में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व होता है। इस पर्व को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर यह पूजा दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है, लेकिन इस बार पंचांग की गणना के अनुसार यह उत्सव 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा।
Govardhan Maharaj Ji Ki Aarti Lyrics: गोवर्धन महाराज कौन हैं?

गोवर्धन महाराज को भगवान श्रीकृष्ण का ही एक रूप माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जब इंद्र देव ने गोकुलवासियों पर मूसलधार बारिश कर दी थी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी को आश्रय दिया था। तभी से इस पर्व की परंपरा शुरू हुई।
Govardhan Maharaj Ji Ki Aarti: कैसे होती है गोवर्धन पूजा?

जो लोग मथुरा के गोवर्धन पर्वत की यात्रा नहीं कर पाते, वे घर पर ही गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक स्वरूप बनाते हैं और विधिपूर्वक पूजन करते हैं। इस दिन गाय की भी विशेष पूजा की जाती है, क्योंकि गोवर्धन पूजा गोसंवर्धन का भी प्रतीक है।
आरती का विशेष महत्व

पारंपरिक रूप से, गोवर्धन पूजा के अंत में आरती करना बेहद जरूरी माना गया है। बिना आरती के पूजा अधूरी मानी जाती है। यह आरती सुबह और शाम दोनों समय की पूजा के बाद की जा सकती है।
Govardhan Maharaj Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi: श्री गोवर्धन महाराज जी की आरती
श्री गोवर्धन महाराज महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो ॥
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार, ओ धार,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो,
श्री गोंवर्धन महाराज महाराज…
तेरे कानन कुंडल साज रहे,
तेरे कानन कुंडल साज रहे,
ठोड़ी पे हिरा लाल, ओ लाल,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो,
श्री गोंवर्धन महाराज महाराज…

तेरे गले में कंठा सोने को,
तेरे गले में कंठा सोने को,
तेरी झांकी बनी विशाल, विशाल,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो,
श्री गोंवर्धन महाराज महाराज…
तेरी सात कोस की परिक्रमा,
तेरी सात कोस की परिक्रमा,
और चकलेश्वर विश्राम, विश्राम,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो,
श्री गोंवर्धन महाराज महाराज…
श्री गोवर्धन महाराज महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो ॥
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