बढ़ती ही जा रही है ‘केजरी की पावर’
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ऑफिस प्रॉफिट अर्थात लाभ के पदों को लेकर आजकल पंगेबाजी ज्यादा ही चल रही है। हकीकत क्या है, नियम क्या कहते हैं इन चीजों के मद्देनजर सबके अपने-अपने तर्क हैं लेकिन यह सच है कि इस बेहद विवादित मामले में आम आदमी पार्टी के 27 विधायकों को चुनाव आयोग ने राहत प्रदान की है। राष्ट्रपति के पास भी एक आवेदन पहुंचा कि आम आदमी के 27 ऐसे विधायक हैं जो दिल्ली सरकार की समितियों के हैड बनकर काम कर रहे हैं और लाभ प्राप्त कर रहे हैं। लिहाजा उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी जाए। यह मामला हाईकोर्ट में भी पहुंचा, जहां शिकायतकर्ता की नहीं सुनी गई लेकिन अब ताजा केस में राष्ट्रपति ने विधानसभा की सदस्यता अयोग्य करार दिए जाने संबंधी याचिका खारिज कर दी है, क्योंकि चुनाव आयोग भी इसे खारिज कर चुका था। लोकप्रिय सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की यह एक बहुत बड़ी जीत है, जिसे वह चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बनाकर विधानसभा चुनावों में अपनी वापसी को लेकर आगे बढ़ेंगे।
सब जानते हैं कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार में टकराव काफी पुराना है। इसकी वजह सत्ता के एक केंद्र के रूप में उपराज्यपाल रहे हैं। बड़े-बड़े सरकारी विभागों में अनेक आईएएस ऑफिसर काम कर रहे हैं जो कि विभागों के हैड हैं लेकिन असली नियंत्रण दिल्ली सरकार के मंत्रियों का है। तमाम आईएएस ऑिफसर केंद्र सरकार के तहत काम करते हैं लेकिन सारी जानकारी उपराज्यपाल तक पहुंचाना जरूरी है, लिहाजा बॉस कौन, जैसे गंभीर विषय को भी लेकर मामला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था लेकिन आखिरकार आम आदमी पार्टी ने इन सारे मामलों पर कानूनी जंग जीतकर अपने आगे का मार्ग आसानी से तय करने के काम को चुनावी एजेंडे में जरूर रख लिया होगा।हमारा यह मानना है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में अपना एक मजबूत आधार तैयार कर लिया है। इसके पीछे मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके विश्वासपात्रों की वो टीम है जो हर चीज को जमीनी सतह पर देखती है। केजरीवाल का अपना एक अंदाज है और वह लोगों की नब्ज को जानते हैं।
आंदोलन से उत्पन्न एक पार्टी जब 2013 में मुकाबले में उतरती है तो वह नंबर टू पार्टी बनकर सरकार बनाती है और फिर त्यागपत्र देकर जनता के बीच जाकर बताती है कि आपका पूरा समर्थन मिले तभी सरकार बनाने का फायदा है। जनता उन्हें 70 में 67 सीटें देकर दिल्ली सौंप देती है। केजरीवाल ने इसी को ध्यान में रखकर बिजली, पानी, शिक्षा और चिकित्सीय सुविधाओं को लेकर लोगों का दिल जीता है। आने वाले दिनों में राजनीतिक दृष्टिकोण से दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मजबूत करने का काम खुद भाजपा ने ही किया है, क्योंकि बिना मतलब का विरोध लोकतंत्र में स्वीकार नहीं किया जाता। केजरीवाल जब विरोध करते थे, तो वह लोगों को विश्वास में लेकर करते थे लेकिन भाजपा और कांग्रेस के साथ ऐसा नहीं हुआ। कहने वाले कहते हैं कि आज की तारीख में कांग्रेस की जगह दिल्ली में आम आदमी पार्टी ले चुकी है।
इस सबका जिक्र इसलिए किया कि आम आदमी पार्टी ने सारे मामले पर लाभ के पद जैसे विवाद को जनता के बीच में पहुंचा दिया और लोग कहने लगे बिना मतलब आम आदमी पार्टी के विधायकों को काम नहीं करने दिया जा रहा है। जनता के वोट से जीतने वाले ये विधायक अपने इलाकों में सक्रिय रहे और केजरीवाल ने अलग मोर्चा संभालकर कोर्ट में ऑफिस प्रॉफिट को लेकर एक बड़ी जंग जीत ली। अब यह किसके लिए झटका है और किसको इसका फायदा मिलेगा यह सोचना भाजपा और कांग्रेस का काम है कि आगे की रणनीति कैसे बनेगी? परंतु यह सच है कि दिल्ली की जमीन पर 2019 का लोकसभाई चुनाव केजरीवाल इस बार किसी भी कीमत पर जीतने को तैयार हैं। अगर उन्होंने पंजाब में 2014 में 4 लोकसभाई सीटें जीती तो यहां दिल्ली में क्यों नहीं जीत सकते, इसे लेकर ही वह आगे बढ़ रहे हैं। एक बड़ी बात यह है कि भले ही भाजपा दिल्ली में 7/0 से जीत गई हो लेकिन बड़ी बात यह है कि आम आदमी पार्टी सब जगह नंबर दो थी। खतरे की घंटी यहां कांग्रेस के लिए है।
आम आदमी पार्टी ने सरकार आपके द्वार स्कीम को लाकर जिस तरह से लोगों का ब्रेन वाश कर दिया है अब उसका राजनीतिक लाभ उठाने से आम आदमी पार्टी को कोई रोक नहीं पाएगा। ऐसे में 27 विधायकों को लाभ के पद मामले में कोर्ट और चुनाव आयोग की क्लीन चिट मिलने से आम आदमी पार्टी की राहें और आसान हो गईं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में और मजबूत होगी। देखना यह है कि आम आदमी पार्टी अब सिर्फ इसी मुद्दे पर केंद्रित रहती है या फिर जनता के बीच जाकर अब भाजपा पर प्रहार भी करेगी या नहीं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि केजरीवाल को पता है कि लोकतंत्र में कौन से हथियार को किस वक्त चलाना है। अब वह टाइमिंग के माहिर हो गए हैं। लिहाजा भाजपा और कांग्रेस को सोचना होगा कि आगे कैसे चलना है। केजरीवाल एकदम ऐसी स्थिति में हैं कि जहां से वह अब आप्शन लेकर आगे बढ़ सकते हैं। अपनी सरकार के कामों को लोगों तक पहुंचाने के बाद उनका विश्वास जीतना और राजनीतिक दुश्मनों को बेनकाब करने के मामले में ऑफिस प्रॉफिट मामले में क्लीन चिट अब आदमी पार्टी की ताकत को और बढ़ाएगी, यह तय है।