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गुजरात : विधानसभा चुनावों से पहले BJP सरकार खेल सकती है 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' वाला दांव

गुजरात की बीजेपी सरकार समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) को लागू करने के मूल्यांकन समिति गठित करने का प्रस्ताव पेश कर सकती है।

02:51 PM Oct 29, 2022 IST | Desk Team

गुजरात की बीजेपी सरकार समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) को लागू करने के मूल्यांकन समिति गठित करने का प्रस्ताव पेश कर सकती है।

गुजरात   विधानसभा चुनावों से पहले bjp सरकार खेल सकती है  यूनिफॉर्म सिविल कोड  वाला दांव
गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की बीजेपी सरकार समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) का बड़ा दांव खेल सकती है। खबर है कि गुजरात सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के मूल्यांकन समिति गठित करने का प्रस्ताव पेश कर सकती है।
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गुजरात के गृहमंत्री ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है। इसके लिए एक कमेटी का गठन करने की योजना है। जानकारी के मुताबिक इस मामले में वह दोपहर तीन बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे। इससे पहले उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सरकारों ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के अपने फैसले की घोषणा की थी।
यूनिफॉर्म सिविल कोड BJP को दे सकता है बड़ा चुनावी फायदा
यूनिफॉर्म सिविल कोड हमेशा से ही बीजेपी के लिए बड़ा मुद्दा रहा है। जानकारों के मुताबिक, यदि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है तो यह बीजेपी के लिए चुनावी लिहाज से बहुत फायदेमंद साबित होगा। बीजेपी इसके पक्ष में रही है कि देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानून होना चाहिए। धर्म के आधार पर अलग-अलग व्यवस्था न हो। शादी, तलाक और संपत्ति जैसे मुद्दों पर एक जैसी व्यवस्था हो।
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क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या होता है, इसको जानने और समझे की जरूरत सभी नागरिकों को है। यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होने के लिए ‘एक देश एक नियम’ का आह्वान करता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ शब्द का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है। अनुच्छेद 44 कहता है कि “राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।”
निफॉर्म सिविल कोड शादी, तलाक, रखरखाव, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्रों को कवर करता हैं। यह कोड इस बात पर आधारित है कि आधुनिक सभ्यता में धर्म और कानून के बीच कोई संबंध नहीं है।भारतीय संविधान में निदेशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 44 का उद्देश्य कमजोर समूहों के खिलाफ भेदभाव को दूर करना और देश भर में विविध सांस्कृतिक समूहों में सामंजस्य स्थापित करना था।
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