Guru Nanak Dev Ji Teachings: आज यानी 5 नवंबर को गुरु नानक देव जी की 556 वीं जन्म वर्षगांठ मनाई जा रही है। सिख धर्म में गुरु नानक जयंती को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे गुरु पूरब या गुरुपर्व के नाम से भी जाना जाता है। सिख धर्म के लोग इसे बड़ी ही आस्था और उल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन को गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है।
Advertisement
हर वर्ष गुरु नानक देव जी की जयंती के दिन देश-विदेश के गुरुद्वारों में भव्य आयोजन होते हैं। गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है। सुबह के समय नगर कीर्तन निकाला जाता है। इसमें श्रद्धालु गुरु ग्रंथ साहिब को सजाकर पालकी में लेकर चलते हैं। गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन किया जाता है। इस दिन लोग शबद-कीर्तन गाते हैं और पूरे दिन भक्ति और सेवा में लीन रहते हैं।
Guru Nanak Dev Ji Teachings (Photo: AI Generated)
गुरु नानक देव जी ने ही सिख धर्म की नींव रखी थी। 15वीं शताब्दी के अंत में गुरु नानक देव जी पंजाब में सिख धर्म (Sikhism) स्थापित किया। यह धर्म मानवता, समानता, निस्वार्थ सेवा और एक ईश्वर की भक्ति पर केंद्रित है। गुरु नानक देव जी ने अपने विचारों, करुणा और सादगी से मानवता को एक नई दिशा दी।
Guru Nanak Dev Ji Teachings: नानक जी द्वारा दी गई 10 शिक्षाएं जो सदैव करेंगे आपका मार्गदर्शन
Guru Nanak Dev Ji Teachings (Photo: AI Generated)
Guru Nanak Dev Ji Teachings: गुरु नानक देव जी ने अपने पूरे जीवन काल में लोगों को प्रेम, सत्यता, सेवा और समानता की दिशा दिखाई। उन्होंने लोगों को सिखाया कि सच्ची भक्ति पूजा और उपवास से नहीं, बल्कि जरुरतमंदों की मदद और स्वयं की ईमानदारी से होती है। सच्चे भक्त वहीं होते हैं जो निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करते हैं। ऐसे में Guru Nanak Jayanti 2025 के अवसर पर आइए जानें गुरु नानक देव जी द्वारा जी गई 10 शिक्षाओं के बारे में।
1. एक ओंकार, सतनाम: गुरु नानक देव जी के अनुसार, ईश्वर एक है, वह हर जगह विद्यमान हैं और उनका नाम सत्य है। इसलिए सदैव एक ईश्वर की साधना में मन लगाना चाहिए।
2. नाम जप: गुरु नानक जी ने अपनी शिक्षाओं में लोगों को नाम जपने को कहा। उनका कहना था कि नाम जप से आत्मा को शांति और आनंद की प्राप्ति होती है। नाम जप से मनुष्य ईश्वर के करीब पहुंचता है।
3. कीरत करो: गुरु नानक देव जी का कहना है कि जीवन में कर्म के बिना कुछ भी मिलना संभव नहीं है। मनुष्य जीवन का उद्देश्य है कि अच्छे कर्म करते रहिए। सदैव ईमानदारी और परिश्रम से पैसा कमाकर अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करना चाहिए। इससे ही कीर्ति बढ़ती है।
4. वंड छको: वंड छको का मतलब है बांटना और दूसरों की सहायता करना। नानक जी ने लोगों को सामाजिक न्याय, एकता और आपसी सहयोग की विशेषता को समझाई। उनका कहना था कि परिश्रम और ईमानदारी की कमाई में से कुछ हिस्सा गरीब और जरुरतमंद लोगों को दान कर देना चाहिए।
5. समानता: गुरु नानक देव जी का कहना था कि सभी लोगों को समान नजरिये से देखना चाहिए। जाति,धर्म, हैसियत या स्त्री-पुरुष में भेदभाव करना गलत है।
6. सरबत दा भला: सरबत दा भला का अर्थ है- सबकी भलाई के लिए काम करना। गुरु नानक जी ने कहा है कि ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिसमें किसी का अहित हो।
7. संतोख: संतोख का अर्थ है संतोष। गुरु नानक जी ने जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए संतोष को महत्वपूर्ण बताया है। संतोषरूपी कमाया गया धन परम सुख देता है। मनुष्य को कभी किसी का हक नहीं मारना चाहिए।
8. करुणा और दया: गुरु नानक जी ने दया और करुणा को बहुत महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने लोगों को दूसरों के प्रति दया रखने की सीख दी है।
9. लोभ का त्याग करें: गुरु नानक जी ने अपनी शिक्षाओं में मनुष्य को लोभ यानी लालच का त्याग करने को कहा है। उनका कहना था कि मनुष्य के पास जितना है उसे उतने में प्रसन्न रहना चाहिए और अपनी गलतियों के लिए ईश्वर से क्षमा-याचना करना चाहिए।
10. धरमः गुरु नानक देव जी ने सच्चे धर्म को अहम को बताया है, क्योंकि सच्चे धर्म का पालन ही आत्मा के पुनर्निर्माण में मदद करता है।