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ज्ञानवापी परिसर में हुए सर्वे की रिपोर्ट सामने आ गई है।इसमें विश्व हिंदू परिषद (VHP) अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने शनिवार को दावा किया कि एएसआई की रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की है कि वाराणसी (Varanasi) में ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण उस स्थान पर एक ‘‘भव्य मंदिर’’ को ध्वस्त करने के बाद किया गया था। अलोक कुमार के इस पर अब श्रीराम मंदिर जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास की प्रतिक्रिया सामने आई है।
आपको बता दें आचार्य सत्येन्द्र दास का कहना है कि मुस्लिम की शरीयत के मुताबिक किसी का मकान तोड़कर, किसी मंदिर को तोड़कर या किसी प्रकार से जबरदस्ती मस्जिद बनी है तो मुसलमान उस मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ सकते।सतेंद्र दास ने अपने बयान में कहा कि जब यह साबित हो गया है कि यह मस्जिद एक मंदिर पर बनाई गई थी तो मुसलमानों को चाहिये कि वह ज्ञानवापी मस्जिद को या उसके पूरे अधिकार को हिंदूओं को सौंप दें और इस प्रकार से भाईचारा कायम रहेगा। इसे तुंरत हिंदू पक्ष को वापस कर दें। इससे हिंदू मंदिर बनाएंगे और अपने देवता की पूजा करना शुरू कर देंगे। मैं मुस्लिम समुदाय से अनुरोध करता हूं कि वे कुछ लोगों के उकसावे में न आएं। हमारे आपसी रिश्ते बचे रहेंगे और भाईचारा कायम रहेगा।
बता दें ज्ञानवापी की एएसआई रिपोर्ट संबंधित पक्षों को सौंप दी गई है।सर्वेक्षण रिपोर्ट में मंदिर के अस्तित्व के पर्याप्त सबूत मिलने की बात कही गई है, जिस पर मस्जिद का निर्माण किया गया था। मस्जिद के पीछे की पश्चिमी दीवार एक मंदिर की दीवार है।
दरअसल, आज से नहीं बल्कि बहुत दिनों से रहा कि अयोध्या, काशी और मथुरा यही तीन मंदिरों की मांग रही हैं। तीनों मंदिर में सर्वे जिस प्रकार से हुआ यही लगा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है। उन्होंने मुसलमानों से कहा कि वह अपने शरीयत में ध्यान दें और साथ ही साथ भाई चारे पर ध्यान दें।मुस्लिम भाई इसे तुरंत हिंदूओं को सौंप दें। यही हमारे देश समाज और आपसी भाई चारे के लिए हित है।