Top NewsIndiaWorld
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabJammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Business
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

एच-1बी वीजा : ट्रंप खेमे में टकराव

ट्रंप ने अवैध अप्रवासियों को निकालने और अप्रवासन नीति को सख्त बनाने का वादा किया था।

11:30 AM Dec 30, 2024 IST | Aditya Chopra

ट्रंप ने अवैध अप्रवासियों को निकालने और अप्रवासन नीति को सख्त बनाने का वादा किया था।

एच-1बी वीजा एक गैर प्रवासी वीजा है। यह आमतौर पर उन्हें मिलता है जो अमेरिका में काम करने जाते हैं। अमेरिकी आईटी कम्पनियों में भारतीय आईटी प्रोफैशनल्स की जबर्दस्त मांग के चलते यह वीजा भारतीय सबसे अधिक हासिल करते रहे हैं। इन वीजाधारकों को उनके अनुभव, शिक्षा, नौकरी और जॉब एरिया के आधार पर न्यूनतम सैलरी की गारंटी दी जाती है। यह वीजा भारतीय युवाओं के लिए अमेरिकन ड्रीम के समान है। अमेरिका के दूसरी बार निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान अमेरिका की आवर्जन नीति को मुख्य मुद्दा बनाया था। ट्रंप ने अवैध अप्रवासियों को निकालने और अप्रवासन नीति को सख्त बनाने का वादा किया था लेकिन अब उन्होंने पलटी मार ली है। उन्होंने एच-1बी वीजा को शानदार कार्यक्रम बताया और योग्य पेशेवरों के विरोध को लेकर चल रही खबरों को खारिज कर दिया। ट्रंप के अत्यंत करीबी और प्रबल समर्थक एलन मस्क और ट्रंप सरकार में आर्टिफिशियल इटैंलीजेंस नीति का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त भारतीय मूल के श्रीराम कृष्णन योग्यता आधारित अप्रवासन सुधारों की वकालत कर रहे हैं।

दूसरी तरफ ट्रंप के वफादारों में से एक लारा लूमर और अन्य कट्टर समर्थक इस नीति का विरोध कर रहे हैं। आम धारणा है कि ट्रंप के रुख में परिवर्तन एलन मस्क और श्रीराम कृष्णन द्वारा अपनाए गए रुख के चलते आया है। इस मुद्दे को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के खेमे में टकराव शुरू हो गया है। उनका कहना है कि मस्क और उद्यम पूंजीपति श्रीराम कृष्णन का रुख लोक लुभावन आदर्शों के साथ विश्वासघात है और उनके रुख में कहीं भी अमे​िरकी फर्स्ट नहीं है। इन दोनों पर आरोप लगाया जा रहा है कि उनकी नीति इंडिया फर्स्ट की है जो अमेरिकी श्रमिकों को कमजोर करेगी। एलन मस्क तो खुद एच-1बी वीजा पर अमेरिका में आए थे। ट्रंप खेमे के मैट गेट्ज, निकी हेली ब्राडकास्टर, ब्रेंडेन डिले आदि कई लोगों ने अप्रवासन नीतियों को लेकर एलन मस्क के ​विचारों का विरोध किया है। एलन मस्क एच-1बी वीजा की पुरजोर वकालत कर रहे हैं। उनका कहना है कि अमेरिकी टेक कंपनियों को देश में काम कर रहे इंजीनियरों की संख्या दोगुनी करने की जरूरत है। मस्क ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “अगर आप चाहते हैं कि आपकी टीम चैंपियनशिप जीते तो आपको टॉप टैलेंट को भर्ती करना ही होगा, चाहे वे कहीं भी हों।” लॉरा लूमर का विरोध करते हुए मस्क ने लिखा ‘अमेरिका में बेहतर इंजीनियरिंग टैलेंट की परमानेंट कमी है।

ये सिलिकॉन वैली को सीमित कर देने का मूलभूत कारण है। 26 दिसंबर को एक्स पर मस्क ने लिखा, ‘आप क्या चाहते हैं, अमेरिका जीते या हारे? अगर आप दुनिया की सबसे बेहतरीन प्रतिभाओं को दूसरी तरफ जाने के लिए मजबूर करेंगे तो अमेरिका हार जाएगा। बात यहीं आकर खत्म होती है।’एलन मस्क का विवेक रामास्वामी ने भी समर्थन किया। उन्होंने एक लंबी पोस्ट लिखी। इस पोस्ट की कुछ बातें बहुत से लोगों को पसंद नहीं आईं और एच-1बी पर छिड़ा विवाद और गहरा गया। रामास्वामी ने लिखा, ‘कुशल विदेशी लोगों के बिना अमेरिका का पतन निश्चित है। अमेरिकी संस्कृति औसत दर्जे की तरफ बढ़ रही है। टॉप टेक कंपनियां अक्सर ‘मूल’ अमेरिकियों की तुलना में विदेश में जन्मे और पहली पीढ़ी के इंजीनियरों को नौकरी पर रखती हैं। इसका कारण जन्मजात अमेरिकियों की आईक्यू कम नहीं है। निकी हेली भी विरोध में कूद पड़ी हैं। उनका कहना है कि हमें अमेरिकियों में निवेश करना चाहिए। उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए न कि विदेशी श्रमिकों को । एच-1बी वीजा पाने वालों में सबसे ज्यादा 70 फीसदी भारतीय हैं। इसलिए इसकी नीति में बदलाव करने का सबसे बड़ा असर भारतीयों पर ही होगा।

इतने बड़े पैमाने पर भारतीयों का होना अमेरिका की टेक उद्योग में भारतीय प्रोफैशनल्स के महत्व को दर्शाता है लेकिन ट्रंप के समर्थकों को यह बात रास नहीं आ रही है जबकि एलन मस्क ने यह ऐलान कर दिया है कि इस वीजा कार्यक्रम को बचाने के ​लिए वे युद्ध तक कर सकते हैं जबकि उनके विरोधियों का कहना है कि विदेशी प्रोफैशनल्स को बुलाने से अमेरिका की स्थिति कनाडा और अन्य देशों जैसी हो जाएगी। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यक्रम में एच-1बी वीजा पर महत्वपूर्ण प्रतिबंध लगाए थे लेकिन अब वे नरम रुख अपनाए हुए हैं। हाल ही में उन्होंने अमेरिकी ​विश्वविद्यालयों के विदेशी स्नातकों को ग्रीन कार्ड देने की घोषणा की थी। इससे भी अप्रवासन नीति को लेकर बहस छिड़ गई है। ट्रंप के शपथ लेने से पहले ही उनके खेमे में दरार पड़ने का राजनीतिक प्रभाव जरूर दिखाई देगा। विवाद तब शुरू हुआ जब ट्रंप ने भारतीय मूल के श्रीराम कृष्णन को एआई से जुड़े मामलों का सलाहकार बनाया। उनकी नियुक्ति को लेकर ट्रंप के अतिवादी समर्थकों ने नाराजगी जताई थी। एलन मस्क स्वयं बड़े उद्योगप​ति हैं इसलिए प्रतिद्वंद्वी उद्योगपति लॉबी द्वारा विरोध किए जाने की भी आशंकाएं प्रबल हैं। देखना होगा कि 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ट्रंप क्या रुख अपनाते हैं। उनकी सनक कब कुछ बदल दे कहा नहीं जा सकता।

Advertisement
Advertisement
Next Article