Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

हाफिज सईद पर फिर बहाना!

आतंकवादी हाफिज सईद के मामले में पाकिस्तान बार-बार दुनिया को बेवकूफ नहीं बना सकता है। उसने सईद को दोबारा नजरबन्द करके कहा था कि वह जेहाद के नाम पर आतंकवाद

04:01 PM May 14, 2017 IST | Desk Team

आतंकवादी हाफिज सईद के मामले में पाकिस्तान बार-बार दुनिया को बेवकूफ नहीं बना सकता है। उसने सईद को दोबारा नजरबन्द करके कहा था कि वह जेहाद के नाम पर आतंकवाद

आतंकवादी हाफिज सईद के मामले में पाकिस्तान बार-बार दुनिया को बेवकूफ नहीं बना सकता है। उसने सईद को दोबारा नजरबन्द करके कहा था कि वह जेहाद के नाम पर आतंकवाद फैलाने की कार्रवाई करता था। पाक की सरकार ने यह बयान अपने यहां की अदालत में दिया है जहां हाफिज सईद की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई चल रही है। हाफिज सईद की तंजीम जमात-उद-दावा राष्ट्र संघ से प्रतिबन्धित तंजीम है जिसे 2008 के मुम्बई हमले के बाद इस दर्जे में रखा गया था। इसके बाद से हाफिज सईद लगातार कश्मीर के नाम पर दहशत फैलाने की वकालत करता रहा है और पाकिस्तान में इस मुद्दे पर जेहाद का माहौल बनाता रहा है। असली सवाल यह है कि अगर पाकिस्तान की हुकूमत हाफिज सईद को आतंकवादी मानती है तो उसके खिलाफ अपने मुल्क के आतंक विरोधी कानून के तहत कार्रवाई क्यों नहीं करती? हाल ही में हाफिज को लेकर पाकिस्तान सरकार पर अन्तर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ा है।  इसलिए अपने को पाक-साफ दिखाने की गरज से पाकिस्तान ने हाफिज को नजरबन्द करके दुनिया को बेवकूफ बनाने की करतूत की है मगर अब यह दिखावा
ज्यादा चलने वाला नहीं है क्योंकि हाफिज सईद के खिलाफ भारत पुख्ता सबूत दे चुका है कि किस तरह उसने मुम्बई हमले की साजिश को कुछ अन्य तंजीमों के साथ मिलकर अंजाम दिया था। इसके बावजूद पाकिस्तान की न्याय प्रणाली उसे कानून के शिकंजे में नहीं खड़ा कर सकी और कह दिया गया कि उसके खिलाफ ऐसे सबूत नहीं मिले जो कानून की निगाह में टिकने वाले हों। हाफिज सईद इससे पहले ‘लश्करे तैयबा’ के झंडे के नीचे काम करता था और जब राष्ट्रसंघ ने लश्करे तैयबा पर प्रतिबन्ध लगाया तो उसने नई तंजीम ‘जमात-उद-दावा’ बनाकर काम करना शुरू कर दिया। भारत राष्ट्र संघ में इसका प्रमाण दे चुका है। यह प्रमाण राष्ट्र संघ में किसी और ने नहीं दिया था बल्कि दिसम्बर 2008 के करीब तब के विदेश राज्यमन्त्री स्व. ई. अहमद ने न्यूयार्क जाकर दिया था। श्री अहमद केरल मुस्लिम लीग के नेता थे और तत्कालीन विदेश मन्त्री प्रणव मुखर्जी ने उन्हें सारे सबूतों के साथ अमेरिका भेजा था। अत: यह दीवार पर लिखी हुई इबारत है कि पाकिस्तान हाफिज सईद को कोई न कोई बहाना बनाकर अपने दामन में महफूज रखना चाहता है और दुनिया की आंख में उसे बार-बार नजरबन्द करके धूल झोंकना चाहता है। क्या कयामत है कि पाकिस्तान एक तीसरे देश ‘ईरान’ से भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को अगवा करके अपने देश लाकर उसे आतंकवादी बताकर अपनी फौजी अदालत में मुकद्दमा चलाकर फांसी की सजा सुना देता है और हाफिज सईद को आतंकवाद को फैलाने का मुजरिम बताकर नजरबन्द करके अदालती कार्रवाई को आगे बढ़ाता है? अगर हुकूमते पाकिस्तान दहशतगर्दी के खिलाफ है तो उसे हाफिज सईद के खिलाफ पुख्ता सबूत रखते हुए फांसी की सजा दिलाने की कोशिश क्यों नहीं करनी चाहिए? क्या सितम है कि पाकिस्तान कुलभूषण के मामले में हेग के अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले को यह कहकर बरतरफ करने की कोशिश करता है कि दुनिया की इस अदालत को यह हक ही नहीं है कि वह जाधव के मामले में फैसला दे सके। यह पूरी तरह मानवाधिकारों का मामला है जो जिनेवा समझौते के तहत भारत को अधिकार देता है कि वह अपने एक नागरिक के जान-ओ-माल की हिफाजत करे और उस पर लगे इल्जामों के खिलाफ पैरवी के लिए कानूनी मदद मुहैया कराये मगर पाकिस्तान झुंझलाहट में भारत को वह जवाब देना चाहता है जो 1999 में भारत ने उसे तब दिया था जब  ‘रण-कच्छ’ के इलाके में अवैध घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी नौसेना के एक विमान ‘अटलांटिक’ को इसने मार गिराया था। इस मुद्दे पर पाकिस्तान अन्तर्राष्ट्रीय अदालत में चला गया था और उसने छह करोड़ डालर के हर्जाने की मांग की थी। जिस पर भारत ने कहा था कि यह मामला अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। इसकी वजह यह थी कि यह सैनिक सीमा के दायरे का सवाल था जिसका फैसला भारत और पाकिस्तान की सरकारों को ही ‘शिमला समझौते’ के अनुरूप करना था। कारगिल युद्ध के बाद ही यह घटना घटी थी मगर जाधव के मामले में मुद्दा पूरी तरह दूसरा है। जहां तक हाफिज सईद का सवाल है तो पाकिस्तान अपने ही बनाये हुए जाल में फंसे बिना नहीं रह सकता क्योंकि उसने कबूल कर लिया है कि वह आतंकवाद फैलाता है। पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ अहद किया हुआ है कि वह आतंकवाद के खिलाफ चल रही मुहिम में उसके साथ रहेगा। यह शर्त केवल अफगानिस्तान के मामले में ही लागू नहीं होनी थी बल्कि उसके अपने घर में भी लागू होनी थी। अब पाकिस्तानी हुक्मरान यह बहाना नहीं बना सकते कि हाफिज सईद के खिलाफ उसे पेश करने के लिए सबूत नहीं मिल रहे हैं। इसके साथ यह भी सवाल जुड़ा हुआ है कि यदि पाकिस्तान की सरकार मानती है कि हाफिज सईद आतंकवाद फैला रहा है तो उसे इस शख्स को भारत के हवाले करना चाहिए क्योंकि मुम्बई हमले का असली मुजरिम तो वही है जिसने सारी साजिश को अंजाम दिया था।

Advertisement
Advertisement
Next Article