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Hariyali Amavasya 2025 पर पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए करें 3 सरल उपाय, भगवान शिव भी होंगे प्रसन्न

10:46 AM Jul 24, 2025 IST | Shivangi Shandilya
hariyali amavasya 2025 पर पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए करें 3 सरल उपाय  भगवान शिव भी होंगे प्रसन्न
Hariyali Amavasya

Hariyali Amavasya 2025: हरियाली अमावस्या आज गुरुवार को मनाई जा रही है। इस दिन गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग भी बन रहा है। इसी के साथ ही सूर्य देव कर्क राशि में रहेंगे और चंद्रमा 10 बजकर 59 मिनट तक मिथुन राशि में रहेंगे। इसके बाद चंद्रमा कर्क राशि में गोचर करेंगे। दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त 12 बजे से शुरू होकर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। राहुकाल का समय 02 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 52 मिनट तक रहेगा।

Hariyali Amavasya: हरियाली नाम क्यों पड़ा?

Hariyali Amavasya
Hariyali Amavasya 2025

Hariyali Amavasya को सावन अमावस्या भी कहा जाता है, यह अमावस्या सावन की शिवरात्रि के ठीक अगले दिन और हरियाली तीज से पहले आती है। इस दिन का नाम 'हरियाली' इसलिए पड़ा क्योंकि यह सावन के हरे-भरे मौसम में आती है, जब प्रकृति अपने पूरे यौवन पर होती है। इस दिन कई लोग पूजा-पाठ के साथ ही पेड़-पौधे भी लगाते हैं। हरियाली अमावस्या पितरों को समर्पित होती है, इसलिए इस दिन पितरों के नाम पर दान और तर्पण करने का भी महत्व है। अमावस्या के दिन विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए झूले की पूजा भी करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में मधुरता और संतान सुख प्राप्ति होती है।

Hariyali Amavasya 2025 में पितरों को खुश रखने के लिए उपाए

Hariyali Amavasya
Hariyali Amavasya

इस दिन पितरों के तर्पण के लिए आप सुबह जल्दी उठकर गंगाजल से स्नान करें, यदि नदी में स्नान संभव न हो, तो नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इससे शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है। स्नान के बाद ध्यान लगाना और अपने ईष्ट का स्मरण करना चाहिए। इसके बाद शिवजी का विशेष पूजन करें। भगवान शिव को आक, मदार जैसे फूल चढ़ाना बहुत लाभकारी माना जाता है। साथ ही पीपल के पेड़ की पूजा करें। इसकी पूजा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाती है।

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इस विशेष दिन पर क्या-क्या करें?

घर के मुख्य द्वार पर घी का दिया जलाएं। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, दान करने और रुद्राभिषेक करने से कालसर्प दोष और शनि दोष जैसे अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। उत्तर भारत में हरियाली अमावस्या पर मथुरा एवं वृंदावन के मन्दिरों में विशेष दर्शन का आयोजन किया जाता है। भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भक्त मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में जाते हैं।

'हरियाली अमावस्या' क्यों कहा जाता है?

वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में बनाया जाने वाला फूल बंगला विश्व प्रसिद्ध है। इसके अलावा, शिव मंदिरों में भी विशेष शिव दर्शन की व्यवस्था की जाती है। दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में, जैसे आंध्र प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु में, यह आषाढ़ अमावस्या के रूप में जानी जाती है, क्योंकि इन राज्यों में अमान्त चंद्र कैलेंडर का पालन किया जाता है। गुजरात में इसे 'हरियाली अमावस' और 'हरियाली अमास' भी कहा जाता है।

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Shivangi Shandilya

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