For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

भारत-चीन में सौहार्द?­

क्या भारत और चीन बीती ताहि बिसार दे यानि पुरानी बातों को भूलकर रिश्तों की…

11:14 AM Jan 28, 2025 IST | Aditya Chopra

क्या भारत और चीन बीती ताहि बिसार दे यानि पुरानी बातों को भूलकर रिश्तों की…

भारत चीन में सौहार्द ­

क्या भारत और चीन बीती ताहि बिसार दे यानि पुरानी बातों को भूलकर रिश्तों की नई पटकथा लिखने लगे हैं? क्या दोनों देशों के बीच पिछले 5 साल से संबंधों पर जमी बर्फ अब पिघलने लगी है। इन प्रश्नों का उत्तर देना आसान नहीं है। क्योंकि दोनों देशों के रिश्ते काफी जटिल रहे हैं। दोनों देशों के संबंधों में कभी सीमा विवाद आड़े आता है तो कभी राजनीतिक मुद्दों पर तनाव रहता है। इसके बावजूद दोनों देशों में व्यापारिक और आर्थिक सहयोग बना हुआ है। तनाव के बावजूद एक के बाद एक राहत भरी खबरें मिल रही हैं। पहले पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध सुलझाया गया। दोनों देशों के सै​िनक विवादित बिन्दुओं से पीछे हटे। अब दोनों देश कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर से शुरू करने और सीधी उड़ानों पर सहमत हो गए हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरूआत रिश्तों में मील का पत्थर है। इस साल गर्मियों में यह यात्रा शुरू हो जाएगी। वर्ष 2020 में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी आैर पैगोंग झील के पास झड़पों के बाद तनाव बढ़ने के चलते कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद हो गई थी और सीधी विमान सेवाएं भी बंद थी।

हिन्दू धर्म में कैलाश मानसरोवर यात्रा का बेहद महत्व है। कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास माना जाता है। कैलाश मानसरोवर का अधिकांश हिस्सा तिब्बत में है जिस पर चीन अपना अधिकार जताता है। कैलाश मानसरोवर का बड़ा इलाका चीन के कब्जे में है इसलिए वहां जाने के लिए चीन की अनुमति जरूरी है। ​हिन्दुओं के लिए कैलाश पर्वत स्वर्ग के शक्तिशाली पर्वत मेरू का पार्थिव अवतार है। ​ितब्बतियों के लिए यह सुमेरू है जो ब्रह्मांड का केन्द्र है। कैलाश पर्वत सदियों से तीर्थयात्रियों के ​िलए आकर्षण का केन्द्र रहा है। यात्रा अति दुर्गम होने के बावजूद श्रद्धालु वहां दर्शन करने के लिए जाते हैं। मानसरोवर झील दिव्य कैलाश पर्वत की तलहटी में स्थित है। माना जाता है कि यह झील रंग बदलती रहती है। किनारे के पास इसका रंग नीला है और मध्य में यह पन्ना हरा रंग ले लेती है। झील की सतह पर कैलाश पर्वत की चोटी का प्रतिबिम्ब देखने को मिलता है जिससे झील की सुन्दरता कई गुणा बढ़ जाती है। कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने पर सहमति विदेश सचिव विवेक मिस्री और चीन के उप ​विदेश मंत्री सुन वीडोंग की बातचीत में बनी लेकिन यह सहमति अचानक नहीं बनी है।

सीमा पर गतिरोध दूर करने के लिए लगातार दोनों देशों ने बातचीत की है और इस बातचीत के परिणाम साकारात्मक निकले हैं। हालांकि, इसकी पटकथा दिल्ली से 3750 किलोमीटर दूर स्थित रूस के कजान शहर में लिखी गई। जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई। पिछले साल अक्तूबर महीने में पीएम मोदी और शी जिनपिंग कजान शहर में थे। मौका था ब्रिक्स समिट का। ब्रिक्स समिट के इतर पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात हुई थी। दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई। इस मुलाकात में ही सीमा पर शांति और दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने पर सहमति बनी थी। इसी दौरान सीमा पर तनाव कम करने, कैलाश मानसरोवर यात्रा और डायरेक्ट फ्लाइट की बहाली पर पीएम मोदी ने जिनपिंग को समझाया था। यही वह मुलाकात थी जिसके बाद भारत और चीन के बीच बातचीत का चैनल सक्रिय हो गया था।

दोनों देशों के रिश्तों में सुधार लाने के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रिश्ते सामान्य होने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह भी है कि चीन भारत का सबसे बड़ा भागीदार बना हुआ है। चीन को यह भी मालूम है कि अब भारत को धमका कर डराया नहीं जा सकता। दोनों देशों के बीच 2014 में एक नया व्यापारिक संदर्भ तय हुआ था। चीन ने भारत में बड़े पैमाने पर निवेश किया और व्यापार में बढ़ौतरी हुई।

वर्तमान में चीन भारत के तीसरे सबसे बड़े निर्यात बाजार के रूप में है। वहीं चीन से भारत सबसे ज्यादा माल आयात करता है और भारत चीन के लिए महत्वपूर्ण व्यापारिक बाजार है। चीन से भारत इलेक्ट्रिक उपकरण, मैकेनिकल सामान, कार्बनिक रसायन आदि खरीदता है, वहीं भारत चीन को खनिज ईंधन और कपास आदि बेचता है। भारत में चीनी टेलिकॉम कंपनियां 1999 से काम कर रही हैं और उनसे भारत को भी फायदा हुआ है। चीनी मोबाइल्स का बाजार भी भारत में बड़ा है। चीन दिल्ली मेट्रो के निर्माण में भी शामिल है। भारत में चीनी सोलर प्रोडक्ट्स का बाजार भी महत्वपूर्ण है। व्यापार में भारत चीन की मदद से बड़े हिस्से पर निर्भर है, जैसे कि थर्मल पावर के लिए उत्पाद चीन से आते हैं। चीन भारत के बाजार को छोड़ना नहीं चाहता। अमेरिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ लगाने की धमकियों से उत्पन्न हुई स्थिति में भी चीन को भारत का साथ चाहिए। दुनिया में नए-नए समीकरण बनते और बिगड़ते रहते हैं। अगर भारत और चीन के संबंध मैत्रीपूर्ण रहे तो यह दोनों देशों के हित में है लेकिन शर्त यह है कि चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों को लेकर समस्याएं न खड़ी करे और भारत की सीमाओं का सम्मान करे।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
×