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Hartalika Teej 2025 Kab Hai? क्यों बनाए जाते हैं भोलेनाथ के पार्थिव शिवलिंग

06:47 PM Aug 02, 2025 IST | Amit Kumar
Hartalika Teej 2025 kab hai

Hartalika Teej 2025 Kab Hai: हरतालिका तीज हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए एक अत्यंत पवित्र और विशेष पर्व है। यह पर्व विशेष रूप से विवाहित और कुंवारी महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। इस दिन वे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके सुखद वैवाहिक जीवन और अच्छे जीवनसाथी की कामना करती हैं। साल 2025 में हरतालिका तीज का पर्व 26 अगस्त, मंगलवार को मनाया जाएगा। यह पर्व भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है।

हरतालिका तीज का महत्व देवी पार्वती और भगवान शिव के दिव्य मिलन से जुड़ा है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव व माता पार्वती की रेत के द्वारा बनाई गई अस्थाई मूर्तियों को पूजती हैं व उपवास रखकर सुखद दांपत्य जीवन की कामना करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन देवी पार्वती ने शिवजी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था।

Hartalika Teej 2025 Kab Hai हरतालिका तीज का अर्थ

‘हरतालिका’ शब्द दो भागों से मिलकर बना है, ‘हरत’ यानी अपहरण और ‘आलिका’ यानी सहेली। मान्यता है कि देवी पार्वती की सहेलियों ने उनका अपहरण कर उन्हें वन में ले जाकर छिपा दिया था ताकि उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से न कर दें। वहां देवी पार्वती ने कठोर तप किया और अंततः भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया।

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Hartalika Teej 2025 Kab Hai  पूजन का शुभ मुहूर्त (2025)

Hartalika  तीज की पूजा सुबह के समय करना शुभ माना जाता है।

Hartalika Teej 2025 Kab Hai  हरतालिका तीज व्रत विधि

Hartalika Teej 2025 Kab Hai  तीज के प्रकार

Hartalika तीज के अलावा तीज के और भी दो पर्व मनाए जाते हैं:

Putrada Ekadashi 2025: August में कब मनाई जाएगी पुत्रदा एकादशी, जानें व्रत का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Putrada Ekadashi 2025: सावन का महीना चल रहा है और शिव भक्तों में गजब की उमंग देखने को मिल रही है। सावन का महीना व्रत-त्योहारों के लिए भी जाना जाता है। इस महीने में कई तीज-त्योहारों को मनाया जाता है। इन्हीं में से एक है पुत्रदा एकादशी। हिंदू धर्म में पुत्रदा एकादशी का काफी महत्व है। सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर पुत्रदा एकादशी का व्रत भी किया जाता है।

यह व्रत काफी महत्वपूर्ण होता है और भक्त सच्ची श्रद्धा से इस व्रत को रखते हैं और इसके कठोर नियमों का पालन भी करते हैं। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण को गायों से काफी लगाव था। इसी वजह से पुत्रदा एकादशी पर गाय को चारा खिलाने से संतान के उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद मिलता है। यह दिन भगवान विष्णु का उपासना का दिन होता है। इतना ही नहीं यह उपवास भगवान विष्णु को समर्पित है।

इस तिथि पर उनकी उपासना और दान पुण्य जैसे शुभ काम करने पर संतान सुख व पुत्र प्राप्ति के योग बनते हैं। बता दें कि पुत्रदा एकादशी को पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं यह एकादशी साल में दो बार आती है। पहली पुत्रदा एकादशी सावन मास में मनाई जाती है और दूसरी पौष मास में आती है।

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