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हरियाणा (Haryana) कर्मचारी चयन आयोग की ग्रुप सी के 20 हजार पदों की भर्ती एक बार फिर विवादों में आ गई है। दरअसल इस भर्ती पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की तलवार फिर लटक गई है।भर्ती के परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार व कर्मचारी चयन आयोग को नोटिस जारी किया है। दोनों से जवाब मांगते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इन पदों पर नियुक्तियां इस याचिका के फैसले पर निर्भर होंगी। साथ ही इस भर्ती में आई तकनीकी खामी की जांच के लिए कमेटी भी गठित होगी। इस कमेटी में आयोग शामिल नहीं होगा।
आपको बता दें जींद निवासी सुमित व अन्य ने याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया कि हरियाणा सरकार ग्रुप सी के 32 हजार पदों पर भर्ती कर रही है। भर्ती के दौरान उन्होंने आयोग की वेबसाइट पर आवेदन किया, लेकिन आवेदन दर्ज नहीं हुआ। इसके चलते वे योग्य होते हुए भी विभिन्न पदों के लिए आवेदन नहीं कर पाए।
बता दें याचिका में आरोप लगाया गया है कि तकनीकी गड़बड़ी के चलते योग्य उम्मीदवारों के दस्तावेज वेबसाइट पर दिखाई न देने की दलील देते हुए आयोग ने उन्हें अंकों का लाभ नहीं दिया। इससे वे मेरिट लिस्ट से बाहर हो गए और कम अंक वालों का नाम नियुक्त होने वालों की लिस्ट में आ गया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि आयोग को ज्ञापन देकर शिकायत की लेकिन उनकी मांग पर कोई उचित निर्णय नहीं लिया गया। याचिकाकर्ता ने मामले में उचित आदेश पारित कर परिणाम रद्द कर व तकनीकी गड़बड़ी दूर कर नए सिरे से परिणाम घोषित करने की मांग की। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता के वकील ने जसबीर मोर ने बताया कि हाई कोर्ट ने आयोग के रवैये को देखते हुए एक तकनीकी कमेटी बनाने का निर्णय लिया है जिसमें हाई कोर्ट के तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल किए जाएंगे।
दरअसल, याचिकाकर्ता के वकील ने एक उदाहरण के जरिए हाईकोर्ट को बताया कि एक याचिकाकर्ता ने बिजली विभाग में सहायक लाइनमैन के लिए आवेदन किया था। उसने कुल 51 अंक प्राप्त किए जबकि कट ऑफ 45.82 थी। 51 अंक आने के बावजूद उसका नाम चयन सूची में नहीं रखा गया जबकि उसी श्रेणी में उससे कम अंक वाले उम्मीदवारों का चयन कर लिया गया। ऐसे ही नर्स व अन्य श्रेणी के उम्मीदवारों के साथ भी हुआ है। इसमें कम अंक वालों को नियुक्ति दे दी गई लेकिन कट ऑफ से ज्यादा अंक लाने वालों को अयोग्य करार दिया गया।