For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

‘हिमगिरि’ और ‘उदयगिरि’

04:40 AM Aug 16, 2025 IST | Aakash Chopra
‘हिमगिरि’ और ‘उदयगिरि’
पंजाब केसरी के डायरेक्टर आकाश चोपड़ा

आईएनएस उदयगिरि को मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने बनाया गया है, जबकि हिमगिरि को कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने तैयार किया है। खास बात यह है कि उदयगिरि नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो का 100वां डिजाइन किया गया जहाज है। करीब 6700 टन वजनी ये जहाज शिवालिक क्लास से बड़े और ज्यादा उन्नत हैं। दोनों एक स्टेल्थ गाइडेड ​मिसाइल से लैस हैं, जिसे स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया है। प्रत्येक जहाज का विस्थापन लगभग 6,700 टन है और इसका डिज़ाइन ऐसा है कि रडार सिग्नल कम दिखाई देता है। भारतीय नौसेना भारत में निर्मित दो उन्नत युद्धपोत उदयगिरि और हिमगिरि को नौसेना में शामिल करेगी
भारतीय नौसेना लगातार अपनी क्षमताओं को बढ़ा रही है जो चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों के लिए चिंता का कारण बन रही है। भारतीय नौसेना पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरह के खतरों को संभालने वाली एक बहुआयामी ताकत के रूप में विकसित हुई है। पश्चिमी हिंद महासागर में रुकवाटों से वैश्विक शिपिंग की सुरक्षा के लिहाज से इसके सक्रिय काउंटर-पायरेसी ऑपरेशन और हाल ही में की गई तैनाती ने अन्तर्राष्ट्रीय स्वीकारोक्ति अर्जित की है। इसके अलावा पाकिस्तान की नौसेना क्षमता भारत के आगे बिल्कुल भी नहीं टिक पाएगी। भारतीय नौसेना के बेड़े में 26 अगस्त को एक साथ दो बेहद आधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट्स (रडार को चकमा देने वाले युद्धपोत) उदयगिरि (एफ35) और हिमगिरि (एफ34) शामिल होंगे। यह पहली बार होगा जब देश के दो बड़े शिपयार्ड में बने इस तरह के युद्धपोत एक साथ नौसेना में शामिल किए जाएंगे।
ये जहाज एक संयुक्त डीजल या गैस प्रणोदन प्रणाली द्वारा संचालित होते हैं जो नियंत्रित-पिच प्रोपेलर को चलाने के लिए डीजल इंजन और गैस टर्बाइन दोनों का उपयोग करती है। इन जहाजों का प्रबंधन एक एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से किया जाता है। उनकी हथियार प्रणालियों में सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 76 मिमी मुख्य तोप, 30 मिमी और 12.7 मिमी निकट हथियार प्रणालियां तथा पनडुब्बी रोधी युद्ध उपकरण शामिल हैं। इनका डिजाइन ऐसा है कि ये रडार को चकमा देने में सक्षम हैं। इनमें डीजल इंजन और गैस टर्बाइन दोनों लगे हैं, आधुनिक मिसाइलें, तोप और पनडुब्बी रोधी हथियार भी हैं। दोनों भारतीय नौसेना के नेक्स्ट-जनरेशन स्टील्थ वॉरशिप हैं जो प्रोजेक्ट 17ए के तहत बनाए गए हैं। इन युद्धपोत के निर्माण में 200 से ज्यादा भारतीय कंपनियों ने हिस्सा लिया जिससे 4,000 से ज्यादा लोगों को सीधी और 10,000 से ज्यादा को अप्रत्यक्ष नौकरियां मिलीं।'उदयगिरि' और 'हिमगिरि' का जलावतरण जहाज डिजाइन और निर्माण में आत्मनिर्भरता के प्रति नौसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। नौसेना इसके बाद अन्य स्वदेशी पोतों जैसे विध्वंसक आईएनएस सूरत, फ्रिगेट आईएनएस नीलगिरि, पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर, एएसडब्ल्यू शैलो वाटर क्राफ्ट आईएनएस अर्नाला और डाइविंग सपोर्ट वेसल आईएनएस निस्तार का जलावतरण 2025 में करेगी।
नौसेना के मुताबिक यह युद्धपोत भारत की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की ताकत दिखाने का मौका है, इन जहाजों के शामिल होने से हिंद महासागर में भारत की पकड़ और मजबूत होगी। इन दोनों युद्धपोत के आने से भारत न सिर्फ अरब सागर और बंगाल की खाड़ी की निगरानी कर सकेगा, बल्कि मलक्का जलडमरूमध्य तक चीनी जहाजों की हर हलचल पर नजर रख पाएगा। यह हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान को सीधा संदेश भी है। चीन हाल के वर्षों में हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है, खासकर श्रीलंका, मालदीव और अफ्रीकी तटों पर बंदरगाहों के जरिये। वहीं पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट पर चीन की नौसैनिक गतिविधियां भारत के लिए चिंता का विषय रही हैं। हिमगिरि और उदयगिरि सिर्फ युद्धपोत नहीं, बल्कि भारत के आत्मबल, तकनीकी प्रगति और वैश्विक ताकत बनने की दिशा में एक और मजबूत कदम है।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Aakash Chopra

View all posts

Advertisement
×