अमर्यादित बयानों से आहत हैं हिन्दू
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कांग्रेस के ‘महामहोपाध्याय’ शशि थरूर का वैसे तो पार्टी की मूल विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है। एक के बाद एक अनर्गल बयानबाजी कर वह केवल कांग्रेस पार्टी को ही आघात पहुंचा रहे हैं। जहां तक उनकी व्यक्तिगत छवि का सवाल है उस पर भी कोई चार चांद नहीं लगे हुए बल्कि उन पर दाग ही दाग हैं। शशि थरूर पर अपनी ही पत्नी सुनंदा पुष्कर की ‘अप्राकृतिक मृत्यु’ पर संदेह की अंगुली उठी है आैर अदालती प्रक्रिया में उन्हें भी आरोपी बनाया गया है। हैरानी की बात तो यह है कि अनर्गल बयानबाजी करने वाले मणिशंकर अय्यर को भी कांग्रेस ने निलम्बित कर दिया था। काफी अर्से बाद उनकी बहाली हुई, विवादित बयानबाजी करने वाले दिग्विजय सिंह को भी कांग्रेस में हाशिये तक पहुंचा दिया गया है। फिर क्यों कांग्रेस शशि थरूर के बोझ को सहन कर रही है? इस शख्स से तो कांग्रेस का टैग ही छीन लिया जाना चाहिए, जिस आदमी को अपनी विश्वसनीयता के बारे में किसी का डर नहीं है। शशि थरूर ने अपनी पुस्तक ‘मैं हिन्दू क्यों हूं’ के विमोचन के मौके पर हिन्दू धर्म की बहुलता व सहिष्णुता को रेखांकित करते हुए स्वामी विवेकानंद की दार्शनिक विचारधारा का विशेष रूप से स्मरण किया था।
हिन्दूवाद, हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद के आशयों को स्पष्ट करते हुए राजनीतिक हिन्दूवाद के रास्ते संविधान पर उठते संकटों को रेखांकित भी किया था। एक सम्पादक के नाते मैं उनके कुछ तर्कों से सहमत आैर असहमत हो सकता हूं लेकिन उन्हें अपने विचारों से हिन्दुओं की आस्था से खिलवाड़ करने का हक नहीं है। उन्होंने अब ट्विटर पर लिखा है कि ‘‘हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुत्व की विचारधारा देश को बांट रही है, हमें एकता की जरूरत है, समानता की नहीं।’’ दरअसल शशि थरूर ने ट्विटर पर मोहम्मद जिशान नाम के एक यूजर के ट्वीट को रीट्वीट किया है, जिसमें अमेरिका में रहने वाले अब्राहम सैम्युअल नाम के पीएचडी छात्र की तरफ से आरोप लगाया गया है कि मुम्बई एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारी ने इसलिए क्लीयरेंस नहीं दी क्योंकि वह हिन्दी नहीं बोल सकता था। इस छात्र ने अधिकारी पर आरोप लगाते हुए पीएम मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और द्रमुक अध्यक्ष एम.के. स्टालिन को टैग किया। मुम्बई पुलिस ने इस मामले की जांच के आदेश भी दे दिए हैं। अपवाद स्वरूप ऐसी घटनाएं हो जाती हैं। कभी-कभी ऐसी घटनाएं तकनीकी भी होती हैं। केवल इस ट्वीट पर शशि थरूर का हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुत्व की विचारधारा पर देश को बांटने का आरोप लगाना देश के करोड़ों हिन्दुओं का अपमान ही है।
इससे पहले उन्होंने कुम्भ में पवित्र स्नान को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सियासी हमला करने के चक्कर में ट्वीट किया था कि गंगा भी स्वच्छ रखनी है और पाप भी यहीं धोने हैं। इस संगम में सब नंगे हैं। इस पर काफी बवाल मचा हुआ है। सोशल मीडिया पर शशि थरूर इतने ट्रोल हुए कि लोगों ने उन पर तंज कसते हुए कहा कि जब राहुल-प्रियंका कुम्भ में स्नान करें तब लिखिएगा। कुछ ने तो उन्हें ही गंगा में स्नान कर जाने-अंजाने में हुए पाप धो लेने की सलाह दी। हिन्दी एक ऐसी भाषा है जो दिलों को जोड़ती है। भारत बहुसंख्यक हिन्दुओं का देश है आैर हिन्दुत्व जीवन पद्धति है। हिन्दू धर्म एकमात्र ऐसा धर्म है जो नए विचारों को खुले दिल से स्वीकार करता है और अपने अनुयायियों को अपने हिसाब से पूजा करने का अधिकार देता है। यह अतुल्य है क्योंकि यह कट्टर नहीं है, उदार है, यह उदार है क्योंकि यह समावेशी है। हिन्दू जिज्ञासु है क्योंकि यह विलक्षण है। भारत में कितने धर्म आए, कितने ही आक्रांता आए, कितने मुस्लिम शासक आए लेकिन हिन्दू धर्म खत्म नहीं हुआ। हिन्दुओं की रक्षा के लिए सिख गुरुओं ने बलिदान दिए।
कुछ समय पहले उन्होंने अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण के बारे में कहा था कि कोई भी अच्छा हिन्दू उस स्थान पर मन्दिर नहीं बनाना चाहेगा जहां पहले कभी किसी दूसरे धर्म की इमारत थी। वैसे शशि थरूर के पास ऐसा कौन सा पैमाना है कि वह किसी भी व्यक्ति के अच्छे और बुरे हिन्दू होने को नाप सकें। कभी उन्होंने ‘हिन्दू पाकिस्तान’ का शिगूफा बिना इसके जर्मनी व्याकरण को समझे छोड़ा था, कभी हवाई जहाज की यात्रा करने वाले सामान्य यात्रियों को ‘कैटल क्लास’ कहा था। केवल शशि थरूर ही क्यों, अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी धार्मिक प्रतीकों का सहारा लेकर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। जिस तरह से धार्मिक प्रतीकों का सहारा लेकर सियासत की बिसात बिछाई जा रही है, वह हमारे महान व्यक्तित्व के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।
लोकतंत्र में नैतिकता राजनीति के लिए होती है, क्योंकि यह लोक-लज्जा से चलती है। शशि थरूर ने तो लोक-लज्जा ही त्याग दी। वह तो स्वयं नग्न खड़े हैं। अमर्यादित बयान देश को आहत कर रहे हैं। हिन्दू खुद को अपमानित महसूस कर रहा है। भारतीय सियासत में कुछ राजनीतिज्ञों के बयान सूरज की गर्मी की तरह झुलसाने वाले होते हैं। हिन्दू आहत हैं। क्या कांग्रेस ने नरम हिन्दुत्व नहीं ओढ़ा हुआ है? अगर नहीं तो शशि थरूर को हिन्दुओं का अपमान करने पर देश से माफी मांगनी चािहए।