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इस्लामाबाद में हिन्दू मंदिर...

पाक-पंजाब में इन दिनों अल्पसंख्यक हिन्दू-सिख परिवारों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वहां की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ ने दीवाली और आगामी गुरुपूर्व के अवसर पर अपने प्रांत के 2200 परिवारों को 10 हजार पाकिस्तानी रुपए और उत्सव-उपहार स्वरूप देने की घोषणा की

10:04 AM Oct 27, 2024 IST | Dr. Chander Trikha

पाक-पंजाब में इन दिनों अल्पसंख्यक हिन्दू-सिख परिवारों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वहां की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ ने दीवाली और आगामी गुरुपूर्व के अवसर पर अपने प्रांत के 2200 परिवारों को 10 हजार पाकिस्तानी रुपए और उत्सव-उपहार स्वरूप देने की घोषणा की

पाक-पंजाब में इन दिनों अल्पसंख्यक हिन्दू-सिख परिवारों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वहां की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ ने दीवाली और आगामी गुरुपूर्व के अवसर पर अपने प्रांत के 2200 परिवारों को 10 हजार पाकिस्तानी रुपए और उत्सव-उपहार स्वरूप देने की घोषणा की है। यह भी घोषणा की गई है कि यह उत्सव-उपहार हर वर्ष दिया जाएगा।

इस बार श्री गुरुनानक देव की 555वीं जन्मतिथि के अवसर पर भारत से 3000 सिखों अन्य देशों से भी 1000 सिख यात्रियों के लिए विशेष आतिथ्य सत्कार का प्रबंध किया जा रहा है। उधर, वहां के हिन्दू-नेताओं ने भी मरियम नवाज़ से आग्रह किया है कि इस बार कटासराज यात्रा के लिए वीज़ा संख्या बढ़ाई जाए।

पाक-पंजाब में इन दिनों कुछ हिन्दू मंदिरों के पुनर्निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा है। इस बदलाव का सही कारण तलाशना फिलहाल सही नहीं होगा। कुछ समय प्रतीक्षा तो करनी ही होगी। अभी हाल ही में पाक-पंजाब में ही एक मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए वहां की प्रदेश सरकार ने एक करोड़ का अनुदान जारी किया है।

उधर, इस्लामाबाद में भी इन दिनों एक हिन्दू मंदिर का निर्माण अंतिम चरण में है। इस निर्माण की सारी राशि, वहां की सरकार वहन कर रही है। अकेले इस्लामाबाद में हिंदुओं की तादाद लगभग तीन हजार है। इनमें डॉक्टर्स भी हैं, सरकारी कर्मी भी और निजी क्षेत्र में काम करने वाले युवक-युवतियां भी। यहां एक हिंदू पंचायत भी है। यह पंचायत पाकिस्तान में राष्ट्रीय स्तर पर गठित ‘पाकिस्तान हिंदू पंचायत से जड़ी हुई है। इसे ‘पीएचपी के रूप में भी याद रखा जाता है।

इस्लामाबाद का हिंदू मंदिर शहर के एच-9 सेक्टर में लगभग 20 हज़ार वर्ग फीट भूमि में बन रहा है। इसका नींव पत्थर रख दिया गया है। इस अवसर पर पाक सरकार के एक संसदीय सचिव लालचंद मल्ही ने बाकायदा पूजा-पाठ भी किया, नारियल फोड़ा गया। हवन हुआ, भूमि पूजन हुआ। मंदिर के लिए स्वयं प्रधानमंत्री इमरान खान ने 10 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की। इस अवसर पर संसदीय सचिव ने अपने संक्षिप्त भाषण में यह भी बताया कि विभाजन से पूर्व इस्लामाबाद के आसपास विशेष रूप से साथ लगे गांव सैदपुर में कई हिंदू मंदिर थे लेकिन वहां अब केवल खंडहर हैं। सरकार प्रयास करेगी कि वहां भी कुछ सामाजिक संस्थाएं सक्रिय हों और धर्मशालाएं बन जाएं। इस्लामाबाद की हिंदू पंचायत की सबसे बड़ी मांग थी कि वहां हिंदुओं के लिए श्मशान घाट की व्यवस्था हो। इस मामले में इतनी रियायत दे दी गई है कि यदि मंदिर की बगल में श्मशान घाट बनाना चाहें तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी। यानि हिंदुओं को अपने दिवंगत परिजनों की अंतिम क्रिया के लिए भी वहां की सरकार का शुक्रगुजार होना पड़ा है।

वस्तुस्थिति यह है कि वहां अर्थात् पाकिस्तान में भी ऐसे पुराने शहर आज भी हैं जहां मंदिरों की संख्या सैकड़ों में है। वहां के ‘इवैक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के रिकार्ड में भी 428 मंदिर दर्ज हैं। इनमें से 30 हिंदू मंदिरों को ‘बाबरी मस्जिद ध्वंस की प्रतिक्रिया के रूप में वहां तोड़ दिया गया था। शेष चर्चित पुराने ऐतिहासिक मंदिरों में मुल्तान का आदित्य मंदिर, सियालकोट का अम्ब मंदिर, लाहौर का कृष्ण मंदिर रावी रोड, वाल्मीकि मंदिर, नीला गुम्बद मंदिर, इच्छरा का चांद रात मंदिर, इच्छरा का भैरों मंदिर, शाह आलमी गेट और लोहारी गेट के बीच स्थित दूध वाली माता मंदिर, लाहौर के किले में स्थित लव मंदिर, जो कि भगवान राम के पुत्र लव के नाम पर बना था, वच्छोवाली का कृष्ण मंदिर, अनारकली बाजार का शीतला मंदिर, आर्य समाज मंदिर, मॉडल टाउन बी ब्लॉक व डी के भव्य मंदिर, थड़ी भाबडिय़ां स्थित जैन श्वेतांबर मंदिर, पुराने अनारकली बाज़ार का दिगम्बर जैन मंदिर, लाहौर छावनी के मंदिर आदि चर्चा में रहे हैं। अन्य चर्चित मंदिरों में कटासराज का नाम शिखर पर है। इसी सूची में हिंगलाज मंदिर, वरुण मंदिर और रावलपिंडी के 16 मंदिर शामिल हैं। वैसे कटासराज ही पाकिस्तान में एकमात्र हिन्दू तीर्थ है जहां पर यात्रा की अनुमति साल दो साल में एक बार अवश्य मिल जाती है। अब हालात बदल गए हैं। पहले तो यात्री दो-दो दिन लाहौर में भी रुक जाते थे, मगर अब तो अटारी से सीधे कटासराज क ेलिए व्यवस्था की जाती है। बीच में चाय, भोजन के लिए बसें रुकती हैं। पूरी यात्रा ज़ैड प्लस-सुरक्षा के तहत सम्पन्न होती है और यात्रियों को यह भी हिदायत दी जाती है कि वे रास्ते में न तो ‘शिव-शम्भू का जयकारा लगाएं और न ही भजन कीर्तन करें। ‘जो भी करना हो, अपने कटासराज जाकर कर लें। यह हिदायत दी जाती है सभी यात्रियों को। यही कटासराज एक बार फिर खबरों में है। कुछ समय पूर्व पाकिस्तानी अखबारें भी कटासराज की चर्चा से भरी हुई थीं। वहां के सुप्रीम कोर्ट व पाक-पंजाब के हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस तीर्थ के महत्व को उजागर किया और पाकिस्तान सरकार को इसके बारे में कड़े आदेश भी जारी किए। पहला दखल वहां के हाईकोर्ट ने दिया। खबरें थीं कि हिन्दुओं के इस महान तीर्थ से भगवान राम और हनुमान की मूर्तियां चोरी हो गई हैं। एक खबर यह भी थी कि कटासराज के पवित्र सरोवर का जल पूरी तरह सूख चुका है। भगवान राम और सीता की मूर्तियां, कटासराज मंदिर परिसर से जुड़ी हरि सिंह नलवा की हवेली में स्थापित थीं।

पाक सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के समीप स्थित सीमेंट प्लांट को एक सप्ताह के अंदर कटासराज के तालाब में पानी भरने का आदेश दिया है। तालाब सूखने की खबर के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुनाया था।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तालाब के पास सीमेंट के कारखानों द्वारा भारी भूजल दोहन के कारण वह सूखता जा रहा था।

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