कुंडली में कैसे बनता है पितृ दोष और क्या होते हैं इसके साईड इफेक्ट
प्रायः यह बहुतायत में देखा जाता है कि कुंडली में पितृ दोष नहीं होने के बावजूद भी कुछ ज्योतिषी पितृ दोष बता देते हैं। इसकी एक वजह तो यह भी हो सकती है कि अनुभव नहीं होने के कारण भी भ्रमवश पितृदोष को निरूपित कर दिया जाता है। पितृदोष की परिभाषा बहुत विस्तृत है। केवल कुंडली में सूर्य या चन्द्रमा के पाप प्रभावित होने मात्र से ही पितृ दोष बता देना पूरी तरह से गलत है। इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। यह ठीक वैसा ही है जैसे कि शरीर में असली बीमारी की पहचान किये बिना ही इलाज आरम्भ कर देना। इस स्थिति में हम कितनी भी दवा-दारू क्यों न कर दें, लाभ नहीं होगा। इसलिए सर्वप्रथम तो हमें यह जानकारी होने चाहिए कि वास्तव में जन्मांग चक्र में पितृ दोष है भी या नहीं है। जब यह कन्फर्म हो जाए कि जन्म कुंडली में पितृ दोष है, तो यह निश्चित करें कि यह पितृ दोष कौनसा है - स्त्री पितृ दोष है या फिर पुरूष पितृ दोष है।
कुंडली में कैसे बनता है पितृ दोष
किसी भी कुंडली में पितृ दोष के अनेक रूप या योग होते हैं। जब एक से अधिक योग विद्यमान हो तो ही पितृदोष समझना चाहिए। अन्यथा जातक के जीवन में पितृदोष का प्रभाव नहीं होता है या बहुत कम होता है। जैसा कि मैं लिख चुका हूं कि पितृ दोष के योग दो तरह के होते हैं। पहला है पुरूष पितृ दोष और दूसरा है महिला पितृ दोष। दोनों की अलग-अलग परिभाषाएं हैं, अलग-अलग ग्रह योग हैं। दोनों का कभी भी सम्मिलित आकलन नहीं किया जाना चाहिए। जब यह तय हो जाए कि कुंडली में पितृ दोष है तो उसके बाद यह निर्णय करना चाहिए कि कौनसा पितृ दोष है।
पुरूष पितृ दोष कैसे बनता है
जब जन्म कुंडली में सूर्य और नवम भाव पाप प्रभावित हो तो पुरूष पितृ दोष होता है। इसमें सूर्य की राशि और अंशों का बहुत महत्व है। सूर्य यदि 7 से 22 अंशों के मध्य है तो पुरूष पितृ दोष का प्रभाव बहुत कम होता है। इसी प्रकार से यदि सूर्य मेष, सिंह, वृश्चिक राशि में हो तो भी पितृ दोष को नष्ट की पॉवर सूर्य में होती है।
स्त्री पितृ दोष कैसे बनता है
जब किसी जन्मांग चक्र में चन्द्रमा, कर्क राशि और चौथा भाव पाप प्रभाव में हो या फिर चन्द्रमा पक्षबलहीन हो तो साधारण भाषा में आप इसे स्त्री पितृ दोष की श्रेणी में रख सकते हैं। यह दोष कितना कुछ प्रभावित कर सकता है और यह दोष किस दिशा विशेष से संबंधित है इसके निर्णय के लिए जन्मांग चक्र का समग्र अध्ययन करना चाहिए। एक बात ध्यान में रखने वाली यह भी है कोई भी योग पूरे जीवन भर प्रभावी नहीं होता है। ग्रहों की दशा-अन्तरदशा के आधार पर उसका प्रभाव कम या ज्यादा होता या नष्ट हो जाता है। यही बात स्त्री पितृ दोष पर भी लागू होती है।
पितृ दोष हों तो क्या करें उपाय
जब यह कन्फर्म हो जाए कि आपके जन्मांग चक्र में पितृ दोष है तो निम्न उपाय करने से पितृों की शान्ति होती है।
- हालाँकि सामान्यतः तो हमारे शास्त्रों में पित्तरों की शान्ति के लिए श्राद्ध पक्ष के 16 दिन निर्धारित किए गए हैं। यदि विधिवत श्राद्ध किया जाए तो फिर पित्तरों की शान्ति के लिए दूसरे किसी उपाय की आवश्यकता नहीं है।
- प्रत्येक अमावस्या को पित्तरों को जल चढ़ाना चाहिए। पितृ दोष शान्ति के लिए इससे अच्छा कोई उपाय नहीं है। इसलिए ही पित्तरों का स्थान हमेशा जल के निकट बनाया जाता है। आमतौर पर पेंडे में पित्तरों की स्थापना की जाती है।
- प्रत्येक अमावस्या को पित्तरों को सफेद चावल या दूध से बने हुए खाद्य पदार्थ अर्पित करने चाहिए। यह तभी करना चाहिए जबकि कुंडली में पितृ दोष हो। सामान्य स्थिति में श्राद्ध करना और जल देना ही पर्याप्त है।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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